Saturday, November 5, 2011

ग़ज़ल

दिल तोड़ चले जाने वाले, दिल सूना सा है बिन तेरे. 
दिल में बसते हो तुम ही तुम, दिल में क्यूँ फिर गम के डेरे. 

दिल याद करे फ़रियाद करे, दिल भूल नहीं सकता यारां,
दिल देख पुकार रहा तुझको, दिल ले स्मृतियों के फेरे.

दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे. 

दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे. 

दिल रोगी है, दिल योगी भी, दिल तेरे बिन हठयोगी भी,
दिल चाहे बस 'हबीब' का ये, दिल साथ रहें तेरे मेरे. 

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49 comments:

  1. sundar gazal ...
    laazawab sher ...
    दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
    दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.

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  2. दिल रोगी है, दिल योगी भी, दिल तेरे बिन हठयोगी भी,

    vaah.bahut hee khoob.

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  3. दिल तोड़ चले जाने वाले, दिल सूना सा है बिन तेरे.
    दिल में बसते हो तुम ही तुम, दिल में क्यूँ फिर गम के डेरे.

    sunder nazm..
    shubhkamnayen.

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  4. दिल याद करे फ़रियाद करे, दिल भूल नहीं सकता यारां,
    दिल देख पुकार रहा तुझको, दिल ले स्मृतियों के फेरे.bahut hi badhiyaa

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  5. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुन्दर ग़ज़ल !

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  6. वाह !दिल को सही आवाज़ दी है..बहुत सुन्दर लिखा है.बधाई.

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  7. गज़ब .....

    ''दिल है की मानता नहीं ''

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  8. दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
    दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.
    दिल बाग बाग हो उठा इस ग़ज़ल को गा कर।

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    देवोत्थान पर्व की शुभकामनाएँ!

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  10. हबीब जी इस बार तो बस दिल ही दिल है .....

    और दिल का ऐतबार क्या कीजै ....

    :))

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  11. दिल नीर भरी बदली बहुधा
    वाह!
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  12. दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
    दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे

    बहुत सुन्दर ...

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  13. हठयोगी दिल से निकली सुन्दर रचना

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  14. एक अच्छी और गहन रचना. की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  15. दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
    दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
    bahut sundar rachna..

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  16. दिल तोड़ चले जाने वाले, दिल सूना सा है बिन तेरे.
    दिल में बसते हो तुम ही तुम, दिल में क्यूँ फिर गम के डेरे. bhaut hi umda gazal...

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  17. "दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,"

    अत्यंत भावपूर्ण और सुंदर ग़ज़ल ! बधाई हबीब साहब ।

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  18. मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
    http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html

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  19. अत्यंत भावपूर्ण और सुंदर ग़ज़ल !

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  20. दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
    दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.

    बहुत खूब

    नीरज

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  21. दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
    दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
    ...waah! bahut sundar

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  22. दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
    दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.

    ...दिल तो दिल है...बहुत सुंदर

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  23. दिल रोगी है, दिल योगी भी, दिल तेरे बिन हठयोगी भी,
    दिल चाहे बस 'हबीब' का ये, दिल साथ रहें तेरे मेरे. ...

    बहुत खूब संजय जी ... गज़ब का शेर है ये ...

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  24. सुभानाल्लाह.........बहुत खूबसूरत लगी ग़ज़ल|

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  25. बेहतरीन शायरी कही है आपने , कहते रहे ऍम पढ़ते रहेंगे

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  26. दिल है कि मानता नही

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  27. jabardast dillagi he ye to dil ke sath....aakhir bechara dil hi to tha.

    :)

    jabardast gazal.

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  28. bahut sundar gajal hai
    har pankti me gahare bhav ka ahsas hai..

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  29. आपकी ये खूबशूरत गजल
    हर पन्तियो में दिल ही दिल ...सुंदर पोस्ट ,,,
    मेरे नए पोस्ट में स्वागत है

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  30. bahut khub....khubsurat gazal padhne ko mili ...aabhar

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  31. संजय हबीब भाई बहुत सुन्दर गजल आप की गुनगुनाने को मन कर दिया ....
    भ्रमर ५
    दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
    दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.

    दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
    दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.

    आप आये ख़ुशी हुयी .आभार आप का ...अच्छा लगे तो अपना समर्थन भी दीजिये भ्रमर का दर्द और दर्पण को और सुझाव स्नेह भी
    भ्रमर ५

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  32. दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
    दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.

    बहुत हि सुन्दर गजल !

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  33. bahut achchi ghazal....dil ke kafi kareeb.

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  34. दिल ने कह दी दिल की बातें,ये दिल वो दिल है बाग बाग
    दो दिल मिल कर जब एक हुए,दिल से दिल कैसे मुँह फेरे.

    संजय भाई, दिल की गज़ल दिल को ऐसे छू गई कि दिल में कुछ-कुछ
    होने लगा है.बहुत खूब......

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  35. sunder likh habeeb bhai,yoo hi kalam se jadoo jagate rahiye
    aapka hi
    dr.bhoopendra
    rtewa mp

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  36. बेहतरीन गज़ल ने आनंदित कर दिया.

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  37. दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
    दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.

    वाह! दिल की बहुत खूबसूरत परिभाषा दी है आपने.
    सभी शेर खूबसूरत लगे

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  38. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने ! बेहद पसंद आया ! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  39. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है कल शनिवार (12-11-2011)को नयी-पुरानी हलचल पर .....कृपया अवश्य पधारें और समय निकल कर अपने अमूल्य विचारों से हमें अवगत कराएँ.धन्यवाद|

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  40. दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.

    बहुत सुन्दर

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  41. bahut khoob !!
    khas taur par maqta achchha laga

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  42. दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
    दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.

    बहुत खूबसूरत गज़ल ... मन के सारे भाव ही उड़ेल दिए हैं ..

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  43. बहुत सुंदर गजल.बधाई..
    मेरे मुख्य ब्लॉग काव्यांजली में मेरी नई पोस्ट -वजूद-
    में आपका स्वागत है

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  44. नमस्कार बहुत सुन्दर गजल दिल गा खुद को ------------------- मेरे ब्लाग पर भी आपका स्वागत है।

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  45. दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
    दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे।

    बहुत खूब।
    दिल की बात ही निराली है।

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  46. वाह!
    बेहतरीन गज़ल.
    दाद कबूल करें.

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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