दिल तोड़ चले जाने वाले, दिल सूना सा है बिन तेरे.
दिल में बसते हो तुम ही तुम, दिल में क्यूँ फिर गम के डेरे.
दिल याद करे फ़रियाद करे, दिल भूल नहीं सकता यारां,
दिल देख पुकार रहा तुझको, दिल ले स्मृतियों के फेरे.
दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.
दिल रोगी है, दिल योगी भी, दिल तेरे बिन हठयोगी भी,
दिल चाहे बस 'हबीब' का ये, दिल साथ रहें तेरे मेरे.
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sundar gazal ...
ReplyDeletelaazawab sher ...
दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
दिल रोगी है, दिल योगी भी, दिल तेरे बिन हठयोगी भी,
ReplyDeletevaah.bahut hee khoob.
दिल तोड़ चले जाने वाले, दिल सूना सा है बिन तेरे.
ReplyDeleteदिल में बसते हो तुम ही तुम, दिल में क्यूँ फिर गम के डेरे.
sunder nazm..
shubhkamnayen.
bhaut hi umda gazal.....
ReplyDeleteदिल याद करे फ़रियाद करे, दिल भूल नहीं सकता यारां,
ReplyDeleteदिल देख पुकार रहा तुझको, दिल ले स्मृतियों के फेरे.bahut hi badhiyaa
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुन्दर ग़ज़ल !
ReplyDeleteवाह !दिल को सही आवाज़ दी है..बहुत सुन्दर लिखा है.बधाई.
ReplyDeleteगज़ब .....
ReplyDelete''दिल है की मानता नहीं ''
दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
ReplyDeleteदिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.
दिल बाग बाग हो उठा इस ग़ज़ल को गा कर।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteदेवोत्थान पर्व की शुभकामनाएँ!
हबीब जी इस बार तो बस दिल ही दिल है .....
ReplyDeleteऔर दिल का ऐतबार क्या कीजै ....
:))
दिल नीर भरी बदली बहुधा
ReplyDeleteवाह!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
बहुत सुंदर ..
ReplyDeleteदिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
ReplyDeleteदिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे
बहुत सुन्दर ...
हठयोगी दिल से निकली सुन्दर रचना
ReplyDeleteएक अच्छी और गहन रचना. की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeletedil kuchh ankhi baaten...badhiya
ReplyDeleteदिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
ReplyDeleteदिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
bahut sundar rachna..
दिल तोड़ चले जाने वाले, दिल सूना सा है बिन तेरे.
ReplyDeleteदिल में बसते हो तुम ही तुम, दिल में क्यूँ फिर गम के डेरे. bhaut hi umda gazal...
"दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,"
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण और सुंदर ग़ज़ल ! बधाई हबीब साहब ।
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
ReplyDeletehttp://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
अत्यंत भावपूर्ण और सुंदर ग़ज़ल !
ReplyDeleteदिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
ReplyDeleteदिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
बहुत खूब
नीरज
दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
ReplyDeleteदिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
...waah! bahut sundar
दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
ReplyDeleteदिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.
...दिल तो दिल है...बहुत सुंदर
दिल रोगी है, दिल योगी भी, दिल तेरे बिन हठयोगी भी,
ReplyDeleteदिल चाहे बस 'हबीब' का ये, दिल साथ रहें तेरे मेरे. ...
बहुत खूब संजय जी ... गज़ब का शेर है ये ...
सुभानाल्लाह.........बहुत खूबसूरत लगी ग़ज़ल|
ReplyDeleteबेहतरीन शायरी कही है आपने , कहते रहे ऍम पढ़ते रहेंगे
ReplyDeleteदिल है कि मानता नही
ReplyDeletejabardast dillagi he ye to dil ke sath....aakhir bechara dil hi to tha.
ReplyDelete:)
jabardast gazal.
bahut sundar gajal hai
ReplyDeletehar pankti me gahare bhav ka ahsas hai..
आपकी ये खूबशूरत गजल
ReplyDeleteहर पन्तियो में दिल ही दिल ...सुंदर पोस्ट ,,,
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है
bahut khub....khubsurat gazal padhne ko mili ...aabhar
ReplyDeleteसंजय हबीब भाई बहुत सुन्दर गजल आप की गुनगुनाने को मन कर दिया ....
ReplyDeleteभ्रमर ५
दिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
दिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
दिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.
आप आये ख़ुशी हुयी .आभार आप का ...अच्छा लगे तो अपना समर्थन भी दीजिये भ्रमर का दर्द और दर्पण को और सुझाव स्नेह भी
भ्रमर ५
दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
ReplyDeleteदिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.
बहुत हि सुन्दर गजल !
bahut achchi ghazal....dil ke kafi kareeb.
ReplyDeleteदिल ने कह दी दिल की बातें,ये दिल वो दिल है बाग बाग
ReplyDeleteदो दिल मिल कर जब एक हुए,दिल से दिल कैसे मुँह फेरे.
संजय भाई, दिल की गज़ल दिल को ऐसे छू गई कि दिल में कुछ-कुछ
होने लगा है.बहुत खूब......
sunder likh habeeb bhai,yoo hi kalam se jadoo jagate rahiye
ReplyDeleteaapka hi
dr.bhoopendra
rtewa mp
बेहतरीन गज़ल ने आनंदित कर दिया.
ReplyDeleteदिल है वैसा, दिल जैसा हो, दिल आसमान का इन्द्रधनुष,
ReplyDeleteदिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
वाह! दिल की बहुत खूबसूरत परिभाषा दी है आपने.
सभी शेर खूबसूरत लगे
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने ! बेहद पसंद आया ! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है कल शनिवार (12-11-2011)को नयी-पुरानी हलचल पर .....कृपया अवश्य पधारें और समय निकल कर अपने अमूल्य विचारों से हमें अवगत कराएँ.धन्यवाद|
ReplyDeleteदिल नीर भरी बदली बहुधा, दिल अंगारे भी बहुतेरे.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
bahut khoob !!
ReplyDeletekhas taur par maqta achchha laga
दिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
ReplyDeleteदिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे.
बहुत खूबसूरत गज़ल ... मन के सारे भाव ही उड़ेल दिए हैं ..
बहुत सुंदर गजल.बधाई..
ReplyDeleteमेरे मुख्य ब्लॉग काव्यांजली में मेरी नई पोस्ट -वजूद-
में आपका स्वागत है
नमस्कार बहुत सुन्दर गजल दिल गा खुद को ------------------- मेरे ब्लाग पर भी आपका स्वागत है।
ReplyDeleteदिल गा खुद को बहलाता है, दिल रो कर थक सो जाता है,
ReplyDeleteदिल भोर कभी उजला सा है, दिल रातों के भी अँधेरे।
बहुत खूब।
दिल की बात ही निराली है।
वाह!
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल.
दाद कबूल करें.