समस्त सम्माननीय स्नेही मित्रों को सादर नमस्कार और शुभकामनाएं... अभी दीपावली में मित्रों को मेसेज भेजने के लिए चार पंक्तियों का सन्देश बनाया... नन्हें आयाम (बेटे) ने पढ़ा तो कहने लगा इसमें और पंक्तियाँ जोड़कर गीत बनाईये... बना कर सुनाया तो उसे बेहद पसंद आया.... आज आयाम के साथ दुनिया भर के तमाम नन्हें मुन्नों, बेटे/बेटियों को यह प्यारा सा गीत दीपावली के तोहफे के रूप में समर्पित है....
रोशनी की कश्ती में होकर सवार
आया है दीपों का झिलमिल त्यौहार
कितना भी गहरा हो तय है मगर
हारेगा सत से सदा अन्धकार.
तारों की लड़ियों से जगमग हो घर
अम्बर से आयें ये सारे उतर
रोशन हों राहें हो क़दमों में फूल
मुस्काएं नैना तेरे उम्र भर
आनंद हिलोरें लें दिल में अपार
हारेगा सत से सदा अन्धकार...
जीवन में उलझन जो आये अगर
मायूस होना ना तू रत्ती भर
भागेंगे दुःख गीदड़ों की तरह
जाएगा जब सीना तू तानकर
सिंह की तरह रखना अपना व्यौहार
हारेगा सत से सदा अन्धकार...
फूलों के जैसे ही सुन्दर है तू
आशाओं का इक समंदर है तू
मुस्कानें तेरी दें दिल को सुकूं
बहता ज्यों इक दरिया अन्दर है तू
बहता चला चल तू लेकर बहार
हारेगा सत से सदा अन्धकार....
विश्वास दिल में ले बढना तुझे
अपना ही कल उज्जवल गढ़ना तुझे
जाना तुझे है बड़ी दूर तक
फैला ले पर अपने उड़ना तुझे
सपने तू अपने कर सारे साकार
हारेगा सत से सदा अन्धकार...
रोशनी की कश्ती में होकर सवार
आया है दीपों का झिलमिल त्यौहार
कितना भी गहरा हो तय है मगर
हारेगा सत से सदा अन्धकार.
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दीपों का यह रोशन त्यौहार जीवन पथ पर सदा के लिए
स्थाईत्व पा ले, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ...
शुभ दीपावली
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इस गीत को स्वरबद्ध करने का प्रयास... सुनें...
bahut khoob sanjay bhai.aapki aavaaz bhi bahut achchee hai
ReplyDeleteरोशनी की कश्ती में होकर सवार
ReplyDeleteआया है दीपों का झिलमिल त्यौहार
कितना भी गहरा हो तय है मगर
हारेगा सत से सदा अन्धकार.
सकारातमक सोंच होनी ही चाहिए !!
हारेगा सत से सदा अन्धकार...
ReplyDeleteसुन्दर!
बहुत सुन्दर गीत ..आयाम को आभार ..जिसकी वजह से सुन्दर गीत रचा गया .
ReplyDeleteकितना भी गहरा हो तय है मगर
ReplyDeleteहारेगा सत से सदा अन्धकार.
आमीन ......
विश्वास दिलाती पंक्तियाँ ....
वाह बहुत खूब ....दिल से लिखी गई हर पंक्ति
ReplyDeletebahut sundar geet likha hai.
ReplyDeleteजीवन में उलझन जो आये अगर
ReplyDeleteमायूस होना ना तू रत्ती भर
भागेंगे दुःख गीदड़ों की तरह
जाएगा जब सीना तू तानकर
सिंह की तरह रखना अपना व्यौहार
हारेगा सत से सदा अन्धकार...bahut badhiyaa
अंधियारा दूर हटाने को
ReplyDeleteप्रकाश फैलाने को
आपका यह गीत
उत्तम अगा
रोशनी की कश्ती में होकर सवार
ReplyDeleteआया है दीपों का झिलमिल त्यौहार
कितना भी गहरा हो तय है मगर
हारेगा सत से सदा अन्धकार...
Bahut Sunder...Shubhkamnayen...
गीत बहुत सुन्दर बन पड़ी है.. शुभकामना..
ReplyDeleteसुन्दर एहसासात सकारात्मक भाव और राग का गीत .मनोहर आनंद वर्षण करता हुआ नव जीवन भरता हुआ .आभार आपका इस सुन्दर प्रस्तुति को सांझा करने के लिए .ब्लॉग पर दस्तक के लिए .
ReplyDeleteकितना भी गहरा हो तय है मगर
ReplyDeleteहारेगा सत से सदा अन्धकार Bahut khoob.
रोशनी की कश्ती में होकर सवार
ReplyDeleteआया है दीपों का झिलमिल त्यौहार
कितना भी गहरा हो तय है मगर
हारेगा सत से सदा अन्धकार.
...बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर और प्रेरक अभिव्यक्ति..
सत से हारा है नित तम
ReplyDeleteगीत गढ दिया है सुंदरतम
शुभकामनाएं
कितना भी गहरा हो तय है मगर
ReplyDeleteहारेगा सत से सदा अन्धकार.
बहुत सुन्दर.
बहुत प्रेरक और सुन्दर कविता भाई संजय जी
ReplyDeleteबहता चला चल तू लेकर बहार
ReplyDeleteहारेगा सत से सदा अन्धकार.....
प्रेरक विचार ...सुन्दर रचना
हर पँक्ति मन को छूती .... वाह बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआपकी ये कश्ती घर घर में पहुंचे ये ही कामना करुँगी शुभ दीपावली
ReplyDeleteकितना भी गहरा हो तय है मगर
ReplyDeleteहारेगा सत से सदा अन्धकार.
यह हुई ना बात बहुत अच्छे बधाई तो लेनी ही पड़ेगी
रोशनी की कश्ती में होकर सवार
ReplyDeleteआया है दीपों का झिलमिल त्यौहार
कितना भी गहरा हो तय है मगर
हारेगा सत से सदा अन्धकार.
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं संजय जी ! सकारात्मक ऊर्जा को प्रचारित प्रसारित करती बहुत ही प्रेरक रचना है ! बेटे आयाम की पसंद लाजवाब है ! शुभकामनायें व बधाई दीपावली की !
सुन्दर गीत .
ReplyDeleteविश्वास दिल में ले बढना तुझे
ReplyDeleteअपना ही कल उज्जवल गढ़ना तुझे
जाना तुझे है बड़ी दूर तक
फैला ले पर अपने उड़ना तुझे
सपने तू अपने कर सारे साकार
हारेगा सत से सदा अन्धकार...
bahut sundar....
मधुर गीत और मधुर आवाज़ ... मजा आ गया ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर..हर पंक्ति में बच्चों के लिए प्रेरणादायक संदेश|
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर आशा है नन्हा आयाम भी बड़े होकर आप ही की तरह हिंदी जगत को उजियारा कर देगा। दीपावली और साथ ही पड़ने वाले ढेर सारे उत्सवों की आपको शुभकामनायें और नव वर्ष रचनामयी होने की भी
ReplyDeleteकितना भी गहरा हो तय है मगर
ReplyDeleteहारेगा सत से सदा अन्धकार.
ये चिरंतन सत्य है और दीपावली यही याद दिलाने हाती है हर साल ।
बहुत सुंदर कविता ।
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteसच में हारेगा अन्धकार... बस हमें दीप जलाए रखना है|
मधुर आवाज में मधुर गीत देता मधुर सन्देश !
ReplyDeleteआभार और शुभकामनाएँ!
संजय भाई पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
ReplyDeleteआपकी सुन्दर प्रस्तुति पढकर और आपका मधुर
गायन सुनकर अभिभूत हूँ.
बहुत बहुत शुभकामनाएँ और आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
आपकी रचना पढ़ा काफी उत्कृष्ट लिखा है आपने
ReplyDeleteबधाई हो !
मेरे बलोंग पे आपका स्वागत है !
कितना भी गहरा हो तय है मगर
ReplyDeleteहारेगा सत से सदा अन्धकार.
विशवास और प्रेरेना का संचार करती हुईं
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ....
बहुत बढिया! गीत और स्वर, दोनों ही मधुर!
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteफूलों के जैसे ही सुन्दर है तू
ReplyDeleteआशाओं का इक समंदर है तू
मुस्कानें तेरी दें दिल को सुकूं
बहता ज्यों इक दरिया अन्दर है तू
बहता चला चल तू लेकर बहार
शुभकामनाओं से संयुक्त भावों को शब्द प्रदान करता सुंदर और प्रेरक गीत।
बहुत ही सुन्दर गीत है ..
ReplyDeleteऔर आपकी आवाज भी बहुत अच्छी है.
bahut sundar
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