धवल,
साईरन बजाती हुई
कार के रुकने पर
जैसे ही वह
कार से बाहर निकला,
भीड़ में भगदड़ सी मच गयी...
एकत्र हजारों मासूम लोग
भागने लगे,
बदहवास, यत्र - तत्र
चीखते चिल्लाते, मदद को पुकारते...
उसे कुछ समझ नहीं आया,
कार के काले शीशे में
अपनी छवि देखी,
सन्न रह गया-
भयानक, डरावना चेहरा,
रक्त-रंजित हाथ,
लूंगी में खुंसी
लम्बी नंगी कटार... भरी पिस्तोल...
ड्राईवर को इशारा कर
झपट कर घुस गया वह
कार के भीतर,
जल्दबाजी में आज
डालना भूल गया था, वह-
अपने ऊपर लबादा - "सत्य का"।
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... bahut sundar ... behatreen !!!
ReplyDeleteडालना भूल गया था वह - अपने ऊपर लबादा सत्य का....
ReplyDeleteवाह....क्या बात कही है आपने
बधाई स्वीकार करें ....