तदबीरों पर दाँव लगा.
अपनी किस्मत आप जगा.
लकीरों पर विश्वास न कर,
अक्सर ये दे जायें दगा.
भला, कौन इस दुनिया में,
वक़्त ने जिसको नहीं ठगा.
शाम ज़रा हो ले फिर देख.
साया भी संग छोड़ भगा.
हौसले का साथ न छोड़,
गैरों में बस यही सगा.
हबीब गगन यह तेरा है,
उड़ सपनों के पंख लगा.
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वाह जनाब हौसलो से टूटेगा ताला जो तिलिस्म मे है लगा
ReplyDeletehausala jagati sunder abhivyakti .....
ReplyDeleteभाई हबीब साहब आदाब |अच्छा लिखा है आपने बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteशाम ज़रा हो ले फिर देख.
ReplyDeleteसाया भी संग छोड़ भगा.
वाह.
अच्छा लिखा.
हबीब साहब आदाब |
ReplyDelete..........अच्छा लिखा....!
पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें
ReplyDeleteमेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
हौसला बढाती रचना...
ReplyDeleteभला, कौन इस दुनिया में,
ReplyDeleteवक़्त ने जिसको नहीं ठगा.
शाम ज़रा हो ले फिर देख.
साया भी संग छोड़ भगा.
सटीक लिखा है ..बहुत सुन्दर भावों को समेटे गज़ल
bhaut hi sunder bhaavo ko prstut karti rachna....
ReplyDeleteहौसले का साथ न छोड़,
ReplyDeleteगैरों में बस यही सगा.
--क्या बात कही है! वाह!
achchi rachna ,sahaj bhavabhivyakti!!!!
ReplyDeleteलकीरों पर विश्वास न कर,
ReplyDeleteअक्सर ये दे जायें दगा.
बहुत बढ़िया लिखा है शायद पहली बार आई हूं ब्लाग पर ...अच्छा लगा...फॉलो भी कर लिया है ताकि आगे भी पढ़ती रहूं....
लकीरों पर विश्वास न कर,
ReplyDeleteअक्सर ये दे जायें दगा.
behtreen gazal
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 28 - 07- 2011 को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज- खामोशी भी कह देती है सारी बातें -
छोटे बहर में शानदार गजल।
ReplyDelete.......
प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।
छोटी बहर में लिखी लाजवाब गज़ल ... दार्शनिक अंदाज़ लिए .. गज़ब के शेर ...
ReplyDelete'शाम जरा हो ले फिर देख
ReplyDeleteसाया भी संग छोड़ भगा '
.................सच्चा शेर
.......छोटी बहर की उम्दा ग़ज़ल हबीब भाई
हौसले का साथ न छोड़,
ReplyDeleteगैरों में बस यही सगा.
हबीब गगन यह तेरा है,
उड़ सपनों के पंख लगा.
हौंसलो से ही ये जिन्दगी बंधी है
आभार
कम शब्दों में बड़ी बात कही है आपने, धन्यवाद
ReplyDeleteशाम ज़रा हो ले फिर देख.
ReplyDeleteसाया भी संग छोड़ भगा.
हबीब साहब.. बहुत सच्ची कही आपने..
hausla badathi acchhi abhivyakti.
ReplyDeleteभला, कौन इस दुनिया में,
ReplyDeleteवक़्त ने जिसको नहीं ठगा.
शाम ज़रा हो ले फिर देख.
साया भी संग छोड़ भगा.
बहुत ही खूबसूरत अलफ़ाज़....लाजवाब गज़ल ...