सभी सम्माननीय मित्रों को सादर नमन. नवरात्रे की तिथियाँ बिदा ले रही हैं... आज दुर्गा नवमी को जगतजननी माँ अंबे के चरणों में यह "छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल" ब्लॉगर भाई ललित शर्मा के अनुसार नया नामकरण 'छजल' सादर समर्पित है...
तोर अंचरा के छईंया म मैया रहँव
में ह जिनगी भर तोरे जस ल गावँव
दाई आसीस अतकेच तें दे दे मोला,
तोर पंउरी के सेवा ल सब दिन करँव.
मोर मन के अंधियारी ल उजियार दे,
दाई निर्मल बनौं, नंदिया कस बहँव.
देखायेस जौन रद्दा में रेंगँव ओमा,
गिरे हपटे बर थेभा में बन के चलँव.
कोनो पीरा सहय काबर दुःख म रहय,
तोर किरपा मिलय सब ल अतके मांगँव.
तोरेच बेटा हबीब झंन भुलाबे ओला,
तोर दुआरी बइठे मैया पैयां परँव.
*हिंदी तर्जुमा
* तेरी आँचल की छाँवों में माता रहूँ
मैं जीवन भर गुण तेरे गाता रहूँ
आशीष मुझको बस देंवें इतना
तेरी चरणों में साँसें चढ़ाता रहूँमेंरे मन के अंधेरों को रोशन करें,
खुद को नदिया सा निर्मल बहाता रहूँ
राहों में पावन सी तेरी चलूँ
सहारा निर्बल को नित मैं दिलाता रहूँ
कोई पीड़ा सहे, काहे दुःख में रहे,
तेरी किरपा की राहें बनाता रहूँ.
बेटा तेरा हबीब न भुलाना उसे,
तेरी चौखट में माथा झुकाता रहूँ.
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(समस्त स्नेही स्वजनों को नवरात्र एवं विजया दशमी की हार्दिक हार्दिक बधाईयाँ)
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Waah ! Bahut hi manbhawan rachna...
ReplyDeleteHappy Durga puja..
मुझे तो इसके दोनों ही रूप मन को भाए।
ReplyDeleteआपको विजयदशमी की शुभकामनाएं।
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर
ReplyDeleteछतीसगढ़ी और हिंदी दोनों रूप सराहनीय हैं !
विजयदशमी की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं !
बड़ सुग्घर छजल हे भाई
ReplyDeleteजम्मो ला दसरहा के बधाई
दोनों भाषा में पढ़ना सुखद है.विजयादशमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचनाये....
ReplyDeleteकोई पीड़ा सहे, काहे दुःख में रहे,
ReplyDeleteतेरी किरपा की राहें बनाता रहूँ.
maa ki kripa bani rahe
बहुत ही भावपूर्ण और भक्ति मयी रचना बनी है छ्त्तीसगढ़ी और हिंदी दोनो मे एक सा रस आया बहुत बहुत साधुवाद
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ... दोनों भाषाएँ खिल रही हैं ... लाजवाब ...
ReplyDeleteविजय दशमी की हार्दिक बधाई ...
पावन भाव!
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाएं!
विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
ReplyDeleteनवीन सी. चतुर्वेदी
Jagat janani mata ambe ke prati achhi shradha suman arpit. vijay dashmi ki hardik subhkamna.
ReplyDeletesunder rachnaaye...
ReplyDeleteसुंदर पावन भाव.... बहुत बढ़िया बन पड़ी है छजल....
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने!
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
मंगलमय एवं पुनीत भावें से भरी आपका अभिव्यक्ति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteदशहरा पर्व के अवसर पर आपको और आपके परिजनों को बधाई और शुभकामनाएं...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति मिश्रा जी !
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ी , काफी कुछ अवधी से मिलती है |
कोई पीड़ा सहे, काहे दुःख में रहे,
ReplyDeleteतेरी किरपा की राहें बनाता रहूँ.
बहुत नेक ख्याल है हबीब भाई.
मेंरे मन के अंधेरों को रोशन करें,
ReplyDeleteखुद को नदिया सा निर्मल बहाता रहूँ
बहुत सुंदर ।.
बहुत उम्दा रचना पढ़ने को मिली...
ReplyDeleteविजयदशमी की शुभकामनाओं सहित.
बहुत सुन्दर स्तुति
ReplyDeleteकोनो पीरा सहय काबर दुःख म रहय,
ReplyDeleteतोर किरपा मिलय सब ल अतके मांगँव।
सुंदर वंदना में सर्वहित की कामना, उत्तम सृजन।
बहुत सुन्दर रचनाएँ ....
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