Wednesday, October 5, 2011

छजल (छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल)

सभी सम्माननीय मित्रों को सादर नमन. नवरात्रे की तिथियाँ बिदा ले रही हैं... आज दुर्गा नवमी को जगतजननी माँ अंबे के चरणों में यह  "छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल" ब्लॉगर भाई ललित शर्मा  के अनुसार नया नामकरण  'छजल' सादर समर्पित है...

तोर अंचरा के छईंया म मैया रहँव                   
में ह जिनगी भर तोरे जस ल गावँव

दाई आसीस अतकेच तें दे दे मोला,
तोर पंउरी के सेवा ल सब दिन करँव.

मोर मन के अंधियारी ल उजियार दे,
दाई निर्मल बनौं, नंदिया कस बहँव.

देखायेस जौन रद्दा में रेंगँव ओमा,
गिरे हपटे बर थेभा में बन के चलँव.

कोनो पीरा सहय काबर दुःख म रहय,
तोर किरपा मिलय सब ल अतके मांगँव.

तोरेच बेटा हबीब झंन भुलाबे ओला, 
तोर दुआरी बइठे मैया पैयां परँव

*हिंदी तर्जुमा
  
* तेरी आँचल की छाँवों  में माता रहूँ        
मैं जीवन भर गुण तेरे गाता रहूँ 

आशीष मुझको बस  देंवें इतना 
तेरी चरणों में साँसें चढ़ाता रहूँ

मेंरे मन के अंधेरों को रोशन करें,
खुद को नदिया सा निर्मल बहाता रहूँ

राहों में पावन सी तेरी चलूँ 
सहारा निर्बल को नित मैं दिलाता रहूँ 

कोई पीड़ा सहे, काहे दुःख में रहे,
तेरी किरपा की राहें बनाता रहूँ. 

बेटा तेरा हबीब न भुलाना उसे,
तेरी चौखट में माथा झुकाता रहूँ.   



*************
(समस्त स्नेही स्वजनों को नवरात्र एवं विजया दशमी की हार्दिक हार्दिक बधाईयाँ)
*************


24 comments:

  1. Waah ! Bahut hi manbhawan rachna...

    Happy Durga puja..

    ReplyDelete
  2. मुझे तो इसके दोनों ही रूप मन को भाए।
    आपको विजयदशमी की शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छा लगा पढ़ कर

    छतीसगढ़ी और हिंदी दोनों रूप सराहनीय हैं !
    विजयदशमी की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  4. बड़ सुग्घर छजल हे भाई
    जम्मो ला दसरहा के बधाई

    ReplyDelete
  5. दोनों भाषा में पढ़ना सुखद है.विजयादशमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .

    ReplyDelete
  6. बहुत ही अच्छी रचनाये....

    ReplyDelete
  7. कोई पीड़ा सहे, काहे दुःख में रहे,
    तेरी किरपा की राहें बनाता रहूँ.
    maa ki kripa bani rahe

    ReplyDelete
  8. बहुत ही भावपूर्ण और भक्ति मयी रचना बनी है छ्त्तीसगढ़ी और हिंदी दोनो मे एक सा रस आया बहुत बहुत साधुवाद

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुन्दर ... दोनों भाषाएँ खिल रही हैं ... लाजवाब ...
    विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

    ReplyDelete
  10. पावन भाव!

    विजयादशमी की शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  11. विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
    नवीन सी. चतुर्वेदी

    ReplyDelete
  12. सुंदर पावन भाव.... बहुत बढ़िया बन पड़ी है छजल....

    ReplyDelete
  13. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने!
    लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  14. मंगलमय एवं पुनीत भावें से भरी आपका अभिव्यक्ति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  15. दशहरा पर्व के अवसर पर आपको और आपके परिजनों को बधाई और शुभकामनाएं...

    ReplyDelete
  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति मिश्रा जी !
    छत्तीसगढ़ी , काफी कुछ अवधी से मिलती है |

    ReplyDelete
  17. कोई पीड़ा सहे, काहे दुःख में रहे,
    तेरी किरपा की राहें बनाता रहूँ.

    बहुत नेक ख्याल है हबीब भाई.

    ReplyDelete
  18. मेंरे मन के अंधेरों को रोशन करें,
    खुद को नदिया सा निर्मल बहाता रहूँ

    बहुत सुंदर ।.

    ReplyDelete
  19. बहुत उम्दा रचना पढ़ने को मिली...
    विजयदशमी की शुभकामनाओं सहित.

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर स्तुति

    ReplyDelete
  21. कोनो पीरा सहय काबर दुःख म रहय,
    तोर किरपा मिलय सब ल अतके मांगँव।

    सुंदर वंदना में सर्वहित की कामना, उत्तम सृजन।

    ReplyDelete
  22. बहुत सुन्दर रचनाएँ ....

    ReplyDelete

मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

एक नज़र इधर भी...