Friday, March 9, 2012

बेटियाँ (क्षणिकाएं)

(१)
सुबह सुबह
कँवल की पांखुरी पर
थिरकती...
शबनम की वह बूँद
कितनी खुश...
कितनी प्यारी
लग रही है....

उसे कहाँ पता है..
अभी कुछ ही देर में
सूरज की किरने आयेंगी....!!!
Photo Taken from google & Edited

(२)
दो परिचित से हांथों ने
आगे बढ़कर
खिल कर महकने को आतुर
रजनीगंधा के पौधे को,.
उखाड लिया जड़ से....
और डाल दिया
लेजाकर बाहर कूड़ेदान में...

बिलखती धरती का हाथ
हाथों में लिए सिसकता रहा
देर तक पूनम का चाँद.....!!!

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||लें बेटियों को बचाने का संकल्प; तभी होगा सृष्टि का कायाकल्प||
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49 comments:

  1. खूबसूरत क्षणिकाये...

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  2. बहुत सुन्दर...
    चंद अलफ़ाज़ कितना कुछ कह गए...
    सादर.

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  3. मर्मस्पर्शी ह्रदय के भाव ....!!
    बहुत गहन रचना ....!!

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  4. संजय की दृष्टी सजग, जात्य-जगत जा जाग ।

    जीवन में जागे नहीं, लगे पिता पर दाग ।

    लगे पिता पर दाग, पालिए सकल भवानी।

    भ्रूण-हत्या आघात, पाय न पातक पानी ।

    निर्भय जीवन सौंप, बचाओ पावन सृष्टी ।

    कहीं होय न लोप, दिखाती संजय दृष्टी ।।


    दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
    dineshkidillagi.blogspot.com
    होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
    कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

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  5. सूरज आने तक ही जी लेती है शबनम की बूँद..

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  6. bahut hikhubsurat rachna habib ji बिलखती धरती का हाथ
    हाथों में लिए सिसकता रहा
    देर तक पूनम का चाँद.....!!!
    nice..

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  7. सशक्त क्षणिकाये...

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  8. वाह !!!!!बहुत सुंदर सशक्त प्रस्तुति,..संजय जी,...बधाई

    RESENT POST...फुहार...फागुन...

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  9. हृदयस्पर्शी रचना ....सार्थक सन्देश

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  10. लें बेटियों को बचाने का संकल्प; तभी होगा सृष्टि का कायाकल्प||... लिया संकल्प

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  11. अद्भुत बिम्ब ले कर क्षणिकएं रची हैं .... मर्मस्पर्शी ....


    लें बेटियों को बचाने का संकल्प; तभी होगा सृष्टि का कायाकल्प||...

    दृढ़ता से संकल्प लिया ॰

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  12. समाज को आइना दिखलाती भ्रूण ह्त्या के बिम्ब मुखरित करती बहतरीन विचार कणिकाएं .भाव सरिता .

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  13. कलंक है अपने समाज पे ... जहा पर और जब तक अपने देश में भ्रूण हत्याएं होती रहेंगी समाज उन्नति नहीं कर सकेगा ...देश वासियों को ये बात समझनी चाहिए ...

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  14. लें बेटियों को बचाने का संकल्प; तभी होगा सृष्टि का कायाकल्प||

    यह संदेश जन जन तक पहुँचे...

    सादर

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  15. प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति ..

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  16. इन दोनों क्षणिकाओं की मारक क्षमता जबर्दस्त है। सीधे दिल पर प्रहार करती है। पर क्या हम इतने थेथर हो गए हैं, जो कुछ भी असर ही नहीं करता?

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  17. सुन्दर,,व कलात्मक,भावाव्यक्ति ...

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  18. कविता कुछ सोचने के लिए बाध्य करती है।
    नए बिम्बों के प्रयोग से रचना ज्यादा प्रभावशाली बन गई है।

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  19. बिलखती धरती का हाथ
    हाथों में लिए सिसकता रहा
    देर तक पूनम का चाँद.....!!!
    कलात्मक,भावाव्यक्ति ...

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  20. अद्भुत कविताएं हैं। कोई जी नहीं पाता,तो कोई जीते-जी मर जाता है!

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  21. बहुत ख़ूबसूरत मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं!

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  22. बहुत सुंदर लाजबाब रचना, बेहतरीन प्रस्तुति.......

    MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...

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  23. बहुत सुन्दर अलफ़ाज़ कितना कुछ कह गए...बेहतरीन प्रस्तुति

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  24. जिन के बेटियाँ नहीं है वही जान सकते हैं बेटियों का महत्त्व |बहुत अच्छी प्रस्तुति |
    आशा

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  25. मैं भी एक बेटी का बाप हूँ.. जितनी संवेदनशीलता से आपने बयाँ किया है उतनी ही गहराई से पैठ गए हैं भाव मेरे ह्रदय में!! बहुत सुन्दर!!

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  26. kavita bolti kam hai ishaare jyada karti hai..behtarin prateekon se itne najakat bhare andaaj me sochne ko bibash karti rachna...bhrun hatya ko bhee bahut hee khoobsurti se shabdon kee jaadugari se dikhaya hai,,,shabdon kee is jaadugari ko naman aaur amantran ke sath

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  27. कोमल अहसास ,सहज कर रखने के वास्ते !
    शुभकामनाएँ!

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  28. गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  29. bahut hi sundar aur shandar post.

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  30. आप मेरे ब्लॉग पे आये बहुत ही अच्छा लगा आपका बहुत बहुत हार्दिक अभिनन्दन है मेरे ब्लॉग पे बस आप असे ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहिये
    जिसे मुझे उर्जा मिलती है
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
    आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
    और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है बस असे ही लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये
    होली की हार्दिक सुभकामनाये
    १.बेटी है गर्भ में गिराए क्या ??????
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_07.हटमल
    2दो जन्म

    कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: जब इस्लाम मूर्ति पूजा के विरुद्ध है तो मुसलमान काब..
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_27.html

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  31. मन को छू गयी आपकी क्षणिका ...खास तौर पर दूसरी वाली ..बहुत सुन्दर !

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  32. सुबह सुबह
    कँवल की पांखुरी पर
    थिरकती...
    शबनम की वह बूँद
    कितनी खुश...
    कितनी प्यारी
    लग रही है....
    ...................बेहतरीन प्रस्तुति.

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  33. प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति। सुन्दर,
    कलात्मक,भावाव्यक्ति।
    धन्यवाद।

    आनन्द विश्वास

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  34. सार्थक सन्देश... दूर तक पहुंचे ये आवाज....

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  35. सुन्दर सन्देश
    बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
    " सवाई सिंह "

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  36. कितनी प्यारी लग रही वह शबनम की बूँद
    कुछ पल में खो जायेगी यूँ ही आँखें मूँद
    यूँ ही आँखें मूँद , मिटाने को हैं आतुर
    उसके अपने हुये आज असुरों से निष्ठुर
    रजनीगंधा की कलियों की उफ् लाचारी
    माली ही तेजाब डाल कर सींचे क्यारी.

    संजय जी, सार्थक संदेश देती क्षणिकाओं के लिये बधाई स्वीएकार करें.

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  37. बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सशक्त सटीक रचना,......

    MY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
    MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

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  38. बिम्बों के माध्यम से बोलती रचना। अनुभूतियों की ऐसी तीव्रता मैंने कम जगह ही देखी है। तारीफ के लिए अल्फाज़ कम पड़ जाएँ शायद। खूब जमेगी दोस्त! इसी तरह लिखते रहिए।

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  39. बिलखती धरती का हाथ
    हाथों में लिए सिसकता रहा
    देर तक पूनम का चाँद.....!!!
    मत बनने दो -माँ की कोख को बच्ची का कब्रिस्तान .
    MOTHER'S WOMB CHILD'S TOMB.

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  40. सुंदर कोमल भावपूर्ण कवि‍ता

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  41. sundar bimb ke sath sarthak chintanpurn rachna prastuti hetu aabhar!

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  42. bahut hi sundar mishr ji .....sadar badhai

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  43. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    इस अद्भुत रचना के लिए बधाई स्वीकारें. .

    नीरज

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  44. .

    सब क्षणिकाएं सराहनीय हैं …
    साधुवाद!

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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