आओ सब बच्चे हो जायें | मनभावन सच्चे हो जायें ||
बचपन में खुद ही चल दें या | बचपन को ही पास बुलायें ||
बचपन यानि... मस्ती, मौज, शरारत... बिंदास बचपन के इन बिंदास छंदों और मोहक संसमरणों के साथ नटखट बचपन की सैर करते हुए सभी सम्माननीय मित्रवृन्द को "बाल दिवस" की बिंदास बधाईयाँ....
दो०
बचपन चिनता मुक्त है, बचपन सुख कै धाम|
बचपन, अम्बर बादल जस, घुमडत रहि दिन-शाम|
चौ०
बाल काल मन में बस जाही| जीवन सकल अटल सुख पाही||
खेलत संगि संग दिन रैना| कबहु न निकसि कटु मुख बैना||
राज पाट अउ राजा रानी| गुल्ली डंडा, इत उत पानी|
रात दादि से सुनउ कहानी| सूरज कब निकलै ना जानी||
धरि के बस्ता इसकुल भागा| खेलत पाइ ज्ञान कै धागा||
संझा किरकिट, बांटी, भौरा| आमा, जामा निम्बू, औंरा|
दो०
अमराइ में जाई के, पत्थर केरी तोड़|
घर कुम्हार का राह में, सूखत मटकी फोड||
चौ०
उपवन बीच कटे इतवारा| खेला, कूदा, जीता हारा|
दादाजी के चढ के कांधे| करतब ऐसे नट क्या साधे||
भाइ-भगिन सन झूमा झाँटी| एहि लड़कपन कै परिपाटी||
झूठ-मूठ के कबहु रिसावा| मातु-पितू का नेह कमावा||
जानत कंह का होई चिनता| सुख में बइठे सुख ही बिनता||
छुटपन जइसे गुड कै धानी| मिठ ही पाई मीठ बखानी||
दो०
बाल काल की का कहें, भइया निश्छल बाट|
बाल काल को सुमिर सुमिर, जीवन सारा काट||
सवै०
बालपना सुख की गगरी भरि नौरस नित्छ्लकावत जाये|
सत्य समोहक साज सुहावन सुन्दर संग सुनावत आये|
नींद नकारत, नन्द नहावत, नाच नचावत, नेह निभाये|
मोहक अर्थ लिये कहिनी नित हांसि हंसावत राह चलाये|
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बाल दिवस पर बहुत सुन्दर रचना .. अलग ही अंदाज़ है ..
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
bachche ban jayen ... mere bheetar yah khwaahish hamesha hoti hai
ReplyDeleteबचपन की बात ही कुछ और है. सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबाल दिवस पर बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबचपन का रंग खिल उठा है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
बहुत अच्छी रचना !
ReplyDeleteबाल भावों को बहुत अच्छे से व्यक्त किया है आपने,बधाई !
बाल दिवस के अवसर पर प्यारी रचना ...
ReplyDeleteअमराइ में जाई के, पत्थर केरी तोड़|
ReplyDeleteघर कुम्हार का राह में, सूखत मटकी फोड||
बहुत सुंदर । बाल दिवस की बधाई सभी छोटे-बड़े बच्चों को !
sanjay ji
ReplyDeletebahut bahut hiachha laga bachpan ka pyaara pyaar sa din,yaad aa gaya.
dohe aur savaiya padh kar to aanand hi aa gaya.
behad behad hi achhi prastuti
poonam
soory aapka naam galat likh diya.really sorry
ReplyDeleteponam
बाल दिवस पर सुंदर रचनाएँ अच्छी लगी काश हम भी बच्चे ही रहते !
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबाल दिवस को समर्पित इससे अच्छी रचना आज तक मैंने नहीं पढ़ी।
बालपना सुख की गगरी भरि नौरस नित्छ्लकावत जाये|
ReplyDeleteसत्य समोहक साज सुहावन सुन्दर संग सुनावत आये|
नींद नकारत, नन्द नहावत, नाच नचावत, नेह निभाये|
मोहक अर्थ लिये कहिनी नित हांसि हंसावत राह चलाये|
वाह !!! बाल्य-काल के साथ ही व्याकरण भी ताजा कर दिया. दोहा, चौपाई , सवैया याने शब्दों की मिठाइयाँ, मीठे भाव की चाशनी में पगी. संजय भाई , बहुत खूब .मजा आ गया.
doha chopaai savaiya sabhi ek se badhkar ek hain.baal divas ki shubhkamnayen.
ReplyDeleteआओ सब बच्चे हो जायें | मनभावन सच्चे हो जायें ||
ReplyDeleteबचपन में खुद ही चल दें या | बचपन को ही पास बुलायें ||
वाह ...मनमोहक पंक्तियाँ.... बाल दिवस पर प्रस्तुत बहुत सुंदर पोस्ट
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने बाल दिवस पर ! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई!
ReplyDeleteबालदिवस पर अब तक पढ़ी पोस्ट्स में सब से अच्छी लगी यह पोस्ट। चौपाई, दोहा और सवैया वो भी अनुप्रास अलंकार से सुसज्जित। बहुत खूब। आनंद आया संजय भैया।
ReplyDeleteबाल काल की का कहें, भइया निश्छल बाट|
ReplyDeleteबाल काल को सुमिर सुमिर, जीवन सारा काट||
....सच में बचपन की यादें ही जीवन के कठिन समय में संबल होती हैं...बाल दिवस पर बहुत सुन्दर रचना..
बचपन के दिन भी क्या दिन थे उड़ते फिरते तितली बन...
ReplyDeleteनीरज
राज पाट अउ राजा रानी| गुल्ली डंडा, इत उत पानी|
ReplyDeleteरात दादि से सुनउ कहानी| सूरज कब निकलै ना जानी||
बचपन की याद दिलाती बेहद खूबसूरत रचनाएँ...सादर बधाई|
बाल दिवस पर बहुत सुन्दर रचना ..प्यारा-प्यारा अलग सा अंदाज...
ReplyDeleteबचपन की याद दिलाती सुन्दर रचना |बधाई |
ReplyDeleteआशा
बाल दिवस पर एक सुन्दर पोस्ट|
ReplyDeleteहैप्पी चिल्ड्रेन्स डे
ReplyDeleteअति-सुंदर,बाल-दोहावली.
ReplyDeleteबहुत खूब हबीब साहब !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है...
ReplyDeleteकाव्य रचना का यह अलग अंदाज़ दिखा..दोहे ..चौपाई ..सभी बेहद सुंदर लगे.
ReplyDeleteभाई संजय जी बहुत सुन्दर पोस्ट |ब्लॉग पर आते रहने के लिए आभार
ReplyDeleteसुंदर बाल रचना। बहुत बढिया
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeletewah.....bal-man ki sunder soch......
ReplyDeleteअपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
ReplyDeleteऔचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता
very meaningful post!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बेहद पसंद आई! आपको शुभकामनाएं!
" मुद्दों पर आधारित स्वस्थ बहस के लिए हमारे ब्लॉग
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पर आपका स्वागत है!
बचपन... इसकी तो हर बात निराली है.. बहुत सुन्दर रचना .. निराला अंदाज़...
ReplyDeletebahut khub !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दोहा - चौपाई संयोजन
ReplyDeleteबचपन को सुंदर छंदों में बांधा है आपने।
ReplyDeleteबचपन से अच्छा कुछ भी नहीं ..यदि संभव होता तो हर कोई बचपन मैं लोटना चाहता
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पर आना अच्छा लगा
मेरी पोस्ट पर आने के लिए सुक्रिया
अमराइ में जाई के, पत्थर केरी तोड़|
ReplyDeleteघर कुम्हार का राह में, सूखत मटकी फोड||
ये दोहा बहुत मनभावन है ..आभार आपने हौसला अफजाई की
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteरचना अच्छी लिखी है।
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