कैसे कैसे दुष्कृत्य कर जाते हैं हम.... सुबहा होने लगता है कि हम इंसान हैं.... आफरीन को जानकार कुछ दिन पूर्व मेरी पोस्ट बेटियाँ की क्षणिकाएं कमल की पंखुरियों में थिरकती ओस की बूँद और रजनीगंधा के फूल के रूप में आफरीन बनकर आँखों के सामने आ फिर से आ गईं... बिलखती हुईं... जाने शक्ति पूजक यह देश शक्ति की सच्ची आराधना कब करेगा...
सूरत क्या दिखलायेँ बिटिया?
देवों की हम संताने, सच !
दुनिया को भरमायेँ बिटिया।
धरती को माता हम बोलें,
रुदन नहीं सुन पायेँ बिटिया।
तेरे आने की खबरें सुन,
माँ को ही धमकायेँ बिटिया।
अपनी लालच की ज्वाला में,
तुझको भी सुलगायेँ बिटिया।
बिन तेरे दुनिया क्या होगी ?
इतना समझ न पायेँ बिटिया।
भोली भाली मुसकानों को,
डस कर ना पछतायेँ बिटिया।
दूर सुहाना ढोलक फूटे,
जब बेटे धकियायेँ बिटिया।
प्रभु करें इक दिन आए, सब,
बिटिया बिटिया गायें बिटिया।
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खुशियों के दीपक बुझा जा रहे है।
कहाँ जा रहे हम, कहाँ जा रहे है ?
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दर्द से भरी बहुत गहन ...मार्मिक अभिव्यक्ती ....पिछले कुछ दिनों से यही भाव मन में घूम रहे हैं ....कुछ लोग भी अगर अपने विचार बदलें तो कुछ तो परिवर्तन हो .....!!सबको सन्मति दें भगवान ......!!
ReplyDeleteअपनी लालच की ज्वाला में,
ReplyDeleteतुझको भी सुलगायेँ बिटिया।
बहुत सुंदर रचना के भाव ...संजय जी बेहतरीन संग्रहणीय लाजबाब प्रस्तुति
.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
लोगों को समझ में आनी होगी बिटियों की अहमियत..
ReplyDeleteपर हम समझने को तैयार ही नहीं इन सबको , बहुत अच्छी रचना, बधाई
ReplyDeletebahut khub bhaw hai...dil ko chhu gai ye kawita..
ReplyDeletejinse hai srishti... wo sada muskuraye betiyan...... kyo dar dar ki thokre khayen betiya .. dua hai hmari sada hi muskurayen betiya, badhai ho sanjay ji..
मर्मस्पर्शी रचना।
ReplyDeleteक्या होगा इस दुनिया का ?
जितनी जल्दी हो सके, लो गलतियाँ सुधार ।
ReplyDeleteबिटिया बिन इस जगत में, छा जाए अंधियार ।।
झकझोर देने वाली रचना ... बेटियों का महत्त्व वही जान सकते हैं जो बेटी वाले हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 16-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत मार्मिक और भावुक ....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
खुशियों के दीपक बुझा जा रहे है।
ReplyDeleteकहाँ जा रहे हम, कहाँ जा रहे है ?
ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियां
दो दो कुलों की लाज को ढोती हैं बेटियां
मार्मिक और भावुक रचना ....
ReplyDelete♥
प्रभु करें इक दिन आए, सब,
बिटिया बिटिया गायें बिटिया
प्रियवर संजय जी
नमस्कार!
आपकी संवेदनशीलता स्तुत्य है …
अच्छी रचना के लिए धन्यवाद !
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह.............वाह..................
ReplyDeleteबहुत सुंदर और भावभीनी रचना.....
सादर.
बहुत ही भावपूर्ण और मर्मस्पशी रचना...
ReplyDeleteसादर
bahut marmik ...
ReplyDeleteLIKE THIS PAGE AND WISH INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC
एक ज्वलंत समस्या पर बेहतरीन अभिव्यक्ति। आंख में आंसू आ गए।
ReplyDeleteआपके आह्वान में हम भी जुट गए हैं --
प्रभु करें इक दिन आए, सब,
बिटिया बिटिया गायें बिटिया।
जल्द आये ऐसा दिन....
ReplyDeleteबहुत सुंदर.... बेटियों माँ के जीवन का मान करना न जाने कब सीखेंगें हम....
ReplyDeleteखुशियों के दीपक बुझा जा रहे है।
ReplyDeleteकहाँ जा रहे हम, कहाँ जा रहे है ?
bilkul sach kahan aapne
अपनी लालच की ज्वाला में,
ReplyDeleteतुझको भी सुलगायेँ बिटिया।
बहुत सुंदर रचना , भाव
.
बहुत मार्मिक रचना...
ReplyDeletesundar aur behatrin post.
ReplyDeletebahut achchhi aur marmsparshi rachnaa..
ReplyDeleteसृष्टि की जननी के प्रति आपके यह उदगार प्रशंसनीय है!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteब्लॉग वार्ता के माध्यम से माताजी के निधन का दुखद समाचार मिला..........
ReplyDeleteहमारे श्रद्धा सुमन..
आपके लिए धैर्य और शक्ति की कामना.
सादर.
अनु
ब्लॉग वार्ता के माध्यम से माताजी के निधन का दुखद समाचार मिला..……ईश्वर आपको ये दुख सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
ReplyDeleteब्लॉग वार्ता के माध्यम से माताजी के निधन का दुखद समाचार मिला.श्रद्धा सुमन..
ReplyDeleteमन की गहरे में जाकर बस्ता है ममता का रिश्ता ,
यह कोई भूलने या याद करने का नहीं है पूजा का रिश्ता
अपनी तू ही बढाले ताकत
ReplyDeleteसब तुझको पहचाने बिटिया ।
सामयिक, सटीक, सुंदर गज़ल ।
आपकी माताजी को विनम्र श्रध्दांजली ।
ReplyDeleteसुंदर गज़ल
ReplyDeleteमाताजी को विनम्र श्रध्दांजली
प्रभु करें इक दिन आए, सब,
ReplyDeleteबिटिया बिटिया गायें बिटिया।..........काश !!
बिन तेरे दुनिया क्या होगी ?
ReplyDeleteइतना समझ न पायेँ बिटिया।
....बहुत मार्मिक प्रस्तुति...काश लोग समझ पाते कि बेटी के बिना वे भगवान की कितनी बड़ी नेमत से महरूम है......
ब्लॉग वार्ता के माध्यम से आपकी माता जी के निधन का दुखद समाचार मिला...माता जी को विनम्र श्रद्धांजलि..
waah sabhi sher ek se badhkar ek ,........hardik badhai
ReplyDeleteतेरे आने की खबरें सुन,
ReplyDeleteमाँ को ही धमकायेँ बिटिया।
अपनी लालच की ज्वाला में,
तुझको भी सुलगायेँ बिटिया।
बहुत कड़वा सच. सुंदर प्रस्तुति.
गहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत देर नहीं है जब ऐसा कहेंगे...
ReplyDelete''बिन तेरे दुनिया क्या होगी ?
इतना समझ न पायेँ बिटिया।
जब तक सबको समझ आये तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी. बहुत ही अर्थपूर्ण रचना. सभी शेर उत्तम. बधाई.
भावपूर्ण मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteभावविभोर करती मार्मिक रचना....
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति...