राह काँटों से भरी हो,
या उमड़ती सी सरी हो,
जीत की चाहत खरी हो,
काल सिर नत हो झुकाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
पंख अपने आजमाता,
नीड़ तिनके चुन बनाता,
एक पंछी यह सिखाता,
भाल, साहस कब झुकाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
ढूँढता फिरता कहाँ रे,
हाथ में तेरे सितारे,
जाग खुद जग को जगा रे,
आंधियाँ दिल में छुपाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
खींच अंबर को धरा पर,
पाँवों के अपने बराबर,
तू ही चन्दा तू दिवाकर
राह जग को जो दिखाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
लक्ष्य नजरों में बसे जब,
पाँव थकते फिर कहाँ कब,
चाह सब पूरी करे रब,
साथ विधना मुस्कुराये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
********************************
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteबहुत प्रेरणादायी और आत्मविश्वास भरती रचना...
सादर
साथ विधना मुस्कुराये।
ReplyDeleteबढ़ कदम रुकने न पाये।
प्रेरणात्मक शब्दों के साथ उत्कृष्ट प्रस्तुति।
पंख अपने आजमाता,
ReplyDeleteनीड़ तिनके चुन बनाता,
एक पंछी यह सिखाता,
भाल, साहस कब झुकाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
वाह बहुत सुन्दर और प्रेरणा देती रचना
साथ विधना मुस्कुराये।
ReplyDeleteबढ़ कदम रुकने न पाये।
प्रेरणात्मक शब्दों के साथ उत्कृष्ट प्रस्तुति।
collactable lines so please mail me ,
i will be so thankful to you.
.इशी आशा के साथ तो हम जिन्दगी जी जाते है..... प्रेरक और खुबसूरत रचना....
ReplyDeleteआशावादी और प्रेरक रचना, बहुत बधाई.
ReplyDeleteलक्ष्य नजरों में बसे जब,
ReplyDeleteपाँव थकते फिर कहाँ कब,
चाह सब पूरी करे रब,
साथ विधना मुस्कुराये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
प्रेरक सुंदर रचना के लिये बधाई ,,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
सकारात्मक प्रेरणात्मक कविता...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर...
सादर बधाई !!
बस यूँ ही बढ़ते रहें कदम..
ReplyDeleteवाह हबीब जी बहुत शानदार कविता बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteपंख अपने आजमाता,
ReplyDeleteनीड़ तिनके चुन बनाता,
एक पंछी यह सिखाता...
बहुत ही बढ़िया
शानदार... प्रेरक रचना... आभार
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष पर" आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
ReplyDeleteदिनकर वाला ओज है इस कविता में।
ReplyDeleteकुछ पंक्तियां बरबस याद आ गईं इसकी आशावादिता के स्वर से
हर मुश्किल का हल निकलेगा,
आज नहीं तो कल निकलेगा।
भोर से पहले किसे पता था,
सूरज से काजल निकलेगा।
प्रेरणा से भरी ये कविता बहुत सुन्दर लगी।
ReplyDeleteपंख अपने आजमाता,
ReplyDeleteनीड़ तिनके चुन बनाता,
एक पंछी यह सिखाता,..
छोटे छोटे छंदों के माध्यम से प्रेरक शब्द उतारे हैं आपने उस रचना में ... बहुत सुन्दर ...
लक्ष्य नजरों में बसे जब,
ReplyDeleteपाँव थकते फिर कहाँ कब,
चाह सब पूरी करे रब,
साथ विधना मुस्कुराये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
वाह, कितना विश्वास और जोश भरा है इन पंक्तियों में...बहुत सुंदर !
लक्ष्य चाहे आसमां हो
ReplyDeleteपांव धरती पर जमा हो
विघ्न आगे सौ खड़ा हो
हौसला मिटने न पाए
बढ़ कदम रूकने न पाए....
प्रेरणादायी सुन्दर सार्थक रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन:-)
प्रेरक गीत। पढ़ने का अवसर देने के लिए..शुक्रिया।
ReplyDeleteआपकी विस्तार पाती लेखनी ...खुद को निहारती हैं ..उम्दा
ReplyDeleteप्रोत्साहन भरा गीत|अच्छा बन पड़ा है !
ReplyDeleteप्रेरणादायी सार्थक बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteभाल, साहस कब झुकाये।
ReplyDeleteबढ़ कदम रुकने न पाये।
चाह सब पूरी करे रब,
साथ विधना मुस्कुराये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
श्रम और साहस का मानवीकरण करती अति उत्कृष्ट रचना स्व को ऊर्जित करती अनुप्राणित करती ....सितारों से आगे जहां और भी हैं ,तेरे सामने इम्तिहान और भी हैं . .कृपया यहाँ भी -
.
बृहस्पतिवार, 31 मई 2012
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
खींच अंबर को धरा पर,
ReplyDeleteपाँवों के अपने बराबर,
तू ही चन्दा तू दिवाकर
राह जग को जो दिखाये।
....बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति...
सकारात्मक बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,
लक्ष्य नजरों में बसे जब,
ReplyDeleteपाँव थकते फिर कहाँ कब,
- ओजपूर्ण प्रेरणादायक कविता के लिये बधाई !
क्या बात!!!....अति सुन्दर
ReplyDeleteढूँढता फिरता कहाँ रे,
ReplyDeleteहाथ में तेरे सितारे,
जाग खुद जग को जगा रे,
आंधियाँ दिल में छुपाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
बहुत ही सुंदर प्रेरणा देती हुई रचना के लिये बधाई.
बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |सुन्दर शब्द चयन और अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteआशा
sunder rachna, achha laga padhna
ReplyDeleteshubhkamnayen
आज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteumda...prerna milti hai padh kar.....
ReplyDeletesadar badhai .....bilkul lajbab prastuti mishr ji
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