सम्माननीय स्नेही मित्र वृन्द को सादर अभिवादन. मित्रों चैत्र नवरात्र की पावन तिथियाँ चल रही हैं... इस अवसर पर जगतजननी को "छन्दान्जली" (दोहान्जली) अर्पित करते "सर्वे भवन्तु सुखिना" की कामना रखते हुए आप सभी सुधि जनों को नवरात्र और नव संवत की हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ...
मातु आगमन आपका, धन्य हो गया भाग।
तन पावन मंदिर बना, निर्मल हृदय प्रयाग।1।
रूप अलौकिक उर सजा, जगमग जोति दीप।
भक्ति में खो जाएँ ज्यों, सागर मोती सीप।2।
जग मे समरसता बढ़े, प्रेम प्रसारण नित्य।
लोभ राहु ना ग्रस सके, समता का आदित्य।3।
निर्भय निश्चय कर चलें, जीवन के दिन चार।
सत का पथ छूटे नहीं, पाये नित विस्तार।4।
नव संवत, नव दीप बन, हर ले हर अज्ञान।
नौ रूपों की रात नौ, पवरित तन मन प्राण।5।
अँधियारा उज्जर बने, महके मोहक रंग।
आप रहें सँग हर घड़ी, हर याचक के संग।6।
रखो कृपा की छांव में, इतनी दो आशीष।
पल पल चरणों में रहे, दंभहीन नत शीश।7।
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॥चैत नवरात्र और नवसंवत की सादर बधाईयाँ॥
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नव संवत, नव दीप बन, हर ले हर अज्ञान।
ReplyDeleteनौ रूपों की रात नौ, पवरित तन मन प्राण।5।
मां के चरणॊं में शत-शत नमन!
निर्भय निश्चय कर चलें, जीवन के दिन चार।
ReplyDeleteसत का पथ छूटे नहीं, पाये नित विस्तार।4।
इससे मिलेगी अपार अशांति ......बस यही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है !
आपको भी नव सम्वत की ढेर सारी शुभकामनाएं
सुंदर स्तुति..... माँ को नमन
ReplyDeleteनव संवत, नव दीप बन, हर ले हर अज्ञान।
ReplyDeleteनौ रूपों की रात नौ, पवरित तन मन प्राण।5।......बहुत सुन्दर..आपको भी नव सम्वत की ढेर सारी शुभकामनाएं
है माता की कृपा सदा,संतति ही अनजान ।
ReplyDeleteनिर्मल हृदय,मात का सुमिरन,जीवन हो वरदान।।
लाज़वाब छ्न्दोदय ,फैला उजल प्रभात
ReplyDeleteउम्दा दोहे...जय माता दी!!
ReplyDeleteरूप अलौकिक उर सजा, जगमग जोति दीप।
ReplyDeleteभक्ति में खो जाएँ ज्यों, सागर मोती सीप।2।
जग मे समरसता बढ़े, प्रेम प्रसारण नित्य।
लोभ राहु ना ग्रस सके, समता का आदित्य।3।
मन में भक्तिभाव उत्पन्न करने वाली सुंदर रचना।
रखो कृपा की छांव में, इतनी दो आशीष।
ReplyDeleteपल पल चरणों में रहे, दंभहीन नत शीश।
माँ के चरणों में मेरा भी नमन और आपको भी चैत नवरात्र और नवसंवत की सादर बधाईयाँ.
माँ के चरणों में अर्पित शब्द ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteआपको नवरात्रि और श्री रामनवमी की मंगल कामनाएं ...
माँ के चरणों में मेरा भी नमन...आपको नवरात्रि और श्री रामनवमी की मंगल कामनाएं
ReplyDeleteअँधियारा उज्जर बने, महके मोहक रंग।
ReplyDeleteआप रहें सँग हर घड़ी, हर याचक के संग।6।
प्रात :स्मरणीय प्रार्थना ,वंदना सा बन पडा है यह अर्चन गीत .सुन्दरम मनोहरम .आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए आभार .अभिव्यक्ति विकृत न होने पाए वरना हम ही कहलायेंगे मानसिक रोगी .
माँ के चरणों में अर्पित दोहान्जली...आस्था और विश्वास से ओतप्रोत सुन्दर रचना ! हार्दिक शुभकामनायें! एवं साधुवाद !
ReplyDeleteअच्छी रचना, बहुत शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भक्तिमय दोहे...जय माता दी
ReplyDeleteसंजय जी नवरात्रि के पावन अवसर पर बड़े ही पावन दोहे रच कर वातावरण को पवित्र कर दिया है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे ...
ReplyDeleteaah bahut sundar bhaavmay dohe.
ReplyDeleteमातु आगमन आपका, धन्य हो गया भाग।
ReplyDeleteतन पावन मंदिर बना, निर्मल हृदय प्रयाग।1।
अद्भुत ....!!
हबीब जी इक -इक दोहा मातु प्रेम में रंगा हुआ
पल पल चरणों में रहे, दंभहीन नत शीश
नमन आपको ....!!
bahut badiya rachna..
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत अच्छे लगे...
ReplyDeleteहम तो दोहे -छंद की मात्राओं में उलझ जाते हैं .. लिख नहीं सकते जो भी अभिव्यक्ति के इस माध्यम को जीवित रखे हैं उन्हें सादर नमन.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
ReplyDeleteअँधियारा उज्जर बने, महके मोहक रंग।
ReplyDeleteआप रहें सँग हर घड़ी, हर याचक के संग।
वाह!!!!!!बहुत सुंदर सार्थक दोहे ,अच्छी प्रस्तुति....
देर से आने के क्षमा,
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
bahut acchi istuti,,,
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteJAI MATA DI
ReplyDeleteBAHUT HI SUNDAR BHAKTI BHAWNA SE YUKT HRIDAY SPARSHI DOHE
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनिर्भय निश्चय कर चलें, जीवन के दिन चार।
ReplyDeleteसत का पथ छूटे नहीं, पाये नित विस्तार।4।
सुंदर अभिनन्दन ...सुंदर अर्चना ....
बहुत सुंदर दोहे ... मातु अर्चना करते हुये
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पवित्र - पावन दोहे... सादर नमन आपको, आपकी कलम को और चैत नवरात्र और नवसंवत की बधाईयाँ.
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,सुंदर अर्चना ..
ReplyDeleteMY RECENT POST...:चाय....
पता नहीं, इतने पहले लिखी कविता इतनी देर से फीड में कैसे आयी..
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