लहरों की मत रफ़्तार देख |
अपने बाजू हर बार देख |
थमने की बातें भी न सोच,
ठहरा है कब संसार देख |
रिश्तों में प्रीत रही न आज,
चलता है सब व्यापार देख |
करता है ऐश लूट कर मुल्क,
तिहाड़ में खुश गद्दार देख |
हत्यारे यां रहें बा चैन,
लीला यह अपरम्पार देख |
भूखे मेहनतकश ! धिक्कार!
मौज में सब गुनहगार देख |
चुभते से प्रश्न कभी न पूछ,
हबीब है कब अधिकार देख |
अपने बाजू हर बार देख |
थमने की बातें भी न सोच,
ठहरा है कब संसार देख |
रिश्तों में प्रीत रही न आज,
चलता है सब व्यापार देख |
करता है ऐश लूट कर मुल्क,
तिहाड़ में खुश गद्दार देख |
हत्यारे यां रहें बा चैन,
लीला यह अपरम्पार देख |
भूखे मेहनतकश ! धिक्कार!
मौज में सब गुनहगार देख |
चुभते से प्रश्न कभी न पूछ,
हबीब है कब अधिकार देख |
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bahut behtreen ghazal.
ReplyDeleteमौज में सब गुनहगार देख |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
मेरी बधाई स्वीकार करें ||
यथार्थ चित्रित करती गज़ल!
ReplyDeleteलहरों की मत रफ़्तार देख |
ReplyDeleteअपने बाजू हर बार देख |
बेहद सुंदर पंक्तियाँ...
बहुत उम्दा ग़ज़ल.....
ReplyDeleteउम्दा लिखा है..बधाई.
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteभूखे मेहनतकश ! धिक्कार!
ReplyDeleteमौज में सब गुनहगार देख |
सारे शेर अच्छे हैं मगर ये शेर ख़ास है..... अच्छी रचना का आभार !
चुभते से प्रश्न कभी न पूछ,
ReplyDeleteहबीब है कब अधिकार देख |
.... behad achhe bhaw
रचना चर्चा-मंच पर, शोभित सब उत्कृष्ट |
ReplyDeleteसंग में परिचय-श्रृंखला, करती हैं आकृष्ट |
शुक्रवारीय चर्चा मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
करता है ऐश लूट कर मुल्क,
ReplyDeleteतिहाड़ में खुश गद्दार देख |
वाह...बहुत खूब
एक ही हादसा तो है हिंदूस्तान में
ReplyDeleteकि बात नही पूछी गयी
और बात नही सुनी गयी
हां,हमारा समय ऐसा ही है।
ReplyDeletebeautiful ghazal
ReplyDeleteवाह ..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खूब
रिश्तों में प्रीत रही न आज,
ReplyDeleteचलता है सब व्यापार देख |
करता है ऐश लूट कर मुल्क,
तिहाड़ में खुश गद्दार देख |
gazab kii abhivyakti.....bahut khub
करता है ऐश लूट कर मुल्क,
ReplyDeleteतिहाड़ में खुश गद्दार देख |
kya likha hai kamal bahut bahut sunder gazal
rachana
लहरों की मत रफ़्तार देख |
ReplyDeleteअपने बाजू हर बार देख |
थमने की बातें भी न सोच,
ठहरा है कब संसार देख |
रिश्तों में प्रीत रही न आज,
चलता है सब व्यापार देख |
बहुत अच्छी रचना हबीब साहब..
विसंगतियों को उजागर करते हुए.. प्रेरणा देती रचना..आभार..
aajkal ke halat ka sahi chitran bahut achhi lagi rachna
ReplyDeleteभाई आप विषय बहुत अच्छे से छाँटते हैं
ReplyDeleteकरता है ऐश लूट कर मुल्क,
ReplyDeleteतिहाड़ में खुश गद्दार देख |
wah wah kabiletarif...........
shukriya
रिश्तों में प्रीत रही न आज,
ReplyDeleteचलता है सब व्यापार देख ...
बहुत लाजवाब शेर है इस गज़ल का ... दार्शनिक अंदाज़ है ... जीवन का सच ...
रिश्तों में प्रीत रही न आज,
ReplyDeleteचलता है सब व्यापार देख |
mera fav.bahut sundar......
शुभकामनायें भाई !
ReplyDeleteलहरों की मत रफ़्तार देख |
ReplyDeleteअपने बाजू हर बार देख |
हर शेर सच्चाई को कहता हुआ ... बहुत अच्छी गज़ल ..
वाह ..
ReplyDeleteबहुत बढिया !!
एक बेहतरीन ग़ज़ल जो दिल के साथ दिमाग में भी जगह बनाती है।
ReplyDeleteकरता है ऐश लूट कर मुल्क,
ReplyDeleteतिहाड़ में खुश गद्दार देख |
हत्यारे यां रहें बा चैन,
लीला यह अपरम्पार देख |
भूखे मेहनतकश ! धिक्कार!
मौज में सब गुनहगार देख |
In panktiyon mein prastut karara vyang bada pasand aaya.. Bahut khub...
www.poeticprakash.com
रिश्तों में प्रीत रही न आज,
ReplyDeleteचलता है सब व्यापार देख ।
रिश्तों को भी व्यापार समझा जाता है अब।
सही संदेश देती ग़ज़ल।
kadve sach ko mukhrit karati sateek gazal.
ReplyDeleteकरता है ऐश लूट कर मुल्क,
ReplyDeleteतिहाड़ में खुश गद्दार देख |
waah,kya sher kaha aapne,
bahut umda sir ji ...
वाह...
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन गजल है ...