शहरे अलफाज का सौदागर, अहसासों के गुलशन में,
ले कर झोली भर गीत मधुर, बैठा है लब खामोश लिए ।
कुछ भीगे से, कुछ खिलते से, कुछ मुरझाते, कुछ सपनीले,
कुछ उलझे से, कुछ सुलझे से, कुछ ख्वाब हसीं आगोश लिए ।
कुछ यार मिले, गमख्वार मिले, कुछ इश्को सुकूं, कुछ शिकवे गिले,
कुछ मंजर वाबस्ता दिल में, कुछ खुशियाँ, कुछ अफसोस लिए ।
कुछ अपने हैं, कुछ अपनाए, कुछ पलते हैं बिन बतलाये,
कुछ रंज हमेशा मुस्काते, संग आते इक सा जोश लिए ।
कुछ यादें हैं, कुछ फरियादें, कुछ जाम विसाले माह के हैं,
कुछ ख्वाब लिए सरशार फलक, जागा है दिल मदहोश लिए।
कुछ चहके से, कुछ बहके से, यादों के जुगनू महके से,
कुछ गुल राहों में देख हबीब खिले नगमा-ए-नोश लिये।***********************
* मंजर = दृश्य | वाबस्तः = सम्बद्ध | सरशार = नशे में मत्त | विसाल = मिलन | नोश = अमृत
***********************
दिल खुश कर देने वाली रचना... बहौत बधाई..
ReplyDeleteकुछ यादें हैं, कुछ फरियादें, कुछ जाम विसाले माह के हैं,
ReplyDeleteकुछ ख्वाब लिए सरशार फलक, जागा है दिल मदहोश लिए। bahut hi khaas ehsaas
बहुत उम्दा..........!!
ReplyDeleteमस्त रचना है, अब कूछ नव वर्ष के लिए हो जाए।
ReplyDeleteइतनी स्तरीय रचना पे कुछ कहने के काबिल नहीं हूँ... बस अच्छी लगी इसलिए वाह कहने को दिल बेताब हो गया जी...
ReplyDeleteबहुत खूब रचना है...
ReplyDeleteखुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
ReplyDeleteकुछ अपने हैं, कुछ अपनाए, कुछ पलते हैं बिन बतलाये,
ReplyDeleteकुछ रंज हमेशा मुस्काते, संग आते इक सा जोश लिए ।
बहुत उम्दा....
शहरे अलफाज का सौदागर, अहसासों के गुलशन में,
ReplyDeleteले कर झोली भर गीत मधुर, बैठा है लब खामोश लिए ।
बहुत खूब एहसास, वाह !!!
बहुत खूब!
ReplyDeleteसंजय जी शब्दों को बड़े ही क़रीने से सजाते हैं आप। बधाई।
ReplyDeleteवाह .....बहुत खूब
ReplyDeleteफुर्सत के दो क्षण मिले, लो मन को बहलाय |
ReplyDeleteघूमें चर्चा मंच पर, रविकर रहा बुलाय ||
शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
वाह , बहुत खूबसूरत एहसास लिए हुए .. बेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ग़ज़ल.....खुबसूरत अल्फाजो से सजी|
ReplyDeleteहर एक शेर उम्दा ...बेहतरीन गजल ..!
ReplyDeleteखुबसूरत ग़ज़ल बहुत पसंद आई....
ReplyDeleteकुछ शब्द सीखे इसी बहाने।
ReplyDeleteएहसासों का यह गुलशन अच्छा लगा ।
ReplyDeleteकुछ अपने हैं, कुछ अपनाए, कुछ पलते हैं बिन बतलाये,
ReplyDeleteकुछ रंज हमेशा मुस्काते, संग आते इक सा जोश लिए ।
ग़ज़ब का प्रयोग करते हैं। लगता है जैसे शब्दों से आप खेल रहे हों।
जबर्दश्त पकड़ है इस विधा पर आपकी। आपकी कोई एक रचना हम आंच पर लेने की योजना बना रहे हैं। आपकी सहमति चाहिए।
bhaut khubsurat ehsaas aur alfaz.....
ReplyDeleteकुछ चहके से, कुछ बहके से, यादों के जुगनू महके से,
ReplyDeleteकुछ गुल राहों में देख हबीब खिले नगमा-ए-नोश लिये।
आपका लहजा ...अंदाज-ऐ-बयां कमाल का है हबीब साहब ...हर शेर जानदार !
खूबसूरत एहसास और खूबसूरती से सजे शब्द...
ReplyDeleteसादर बधाई|
कुछ यादें हैं, कुछ फरियादें, कुछ जाम विसाले माह के हैं,
ReplyDeleteकुछ ख्वाब लिए सरशार फलक, जागा है दिल मदहोश लिए।
vah mishra ji badhai ho...
कुछ भीगे से, कुछ खिलते से, कुछ मुरझाते, कुछ सपनीले,
ReplyDeleteकुछ उलझे से, कुछ सुलझे से, कुछ ख्वाब हसीं आगोश लिए
bahut sundar.
कुछ अपने हैं, कुछ अपनाए, कुछ पलते हैं बिन बतलाये,
ReplyDeleteकुछ रंज हमेशा मुस्काते, संग आते इक सा जोश लिए ।
कुछ यादें हैं, कुछ फरियादें, कुछ जाम विसाले माह के हैं,
कुछ ख्वाब लिए सरशार फलक, जागा है दिल मदहोश लिए।
वाह ...बहुत खूब ।
अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई "कुछ भीगे से -------कुछ ख्याब
ReplyDeleteहंसीं आगोश लिए "बेहतरीन पंक्तियाँ
आशा
बेहद खुबसूरत ..
ReplyDeleteआपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबेहतरीन...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
बधाई.
कुछ यार मिले, गमख्वार मिले, कुछ इश्को सुकूं, कुछ शिकवे गिले,
ReplyDeleteकुछ मंजर वाबस्ता दिल में, कुछ खुशियाँ, कुछ अफसोस लिए ।
सुभान अल्लाह...बेहतरीन...दाद कबूलें.
नीरज