तेरी सूखी यादों के
photo taken with thanks from google & edited |
तिनके चुन चुन कर
बनाया एक घर
बैठकर उसके भीतर
गाने लगा नज़्म मुहब्बत की
कि उट्ठेन्गी लपटें...
मुझे भी कर देंगी भस्म
साथ साथ घर के....
लेकिन मेरी आवाज में
कुकनुस* वाली बात कहाँ?
कि जल उट्ठे आग...
मुझे तो जीना होगा
उस चकोर की तरह
जो ठंडी चांदनी में
जलता तो उम्र भर
भस्म नहीं होता जल कर....!!!
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कुकनुस = (काल्पनिक यूनानी पक्षी) जिसके बारे में कहा जाता है कि वह बहुत मधुर स्वर में गाता है, और उसके गाने से घोंसले में आग लग जाती है... वह जल कर भस्म हो जाता है.
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कुकनुस के बारे में पहली बार पता चला ... सुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteख़ूबसूरत चित्र और प्यारी रचना! कुकनुस के बारे में नयी जानकारी मिली!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
बेजोड़ रचना ... मन खुश हो गया . कुकनुस पक्षी के विषय में जाना ... कितने सारे रहस्य हैं
ReplyDeletebahut bhaav pravan rachna.kuknus ke vishya me pahli bar jana.
ReplyDeleteबेहतरीन सुन्दर प्रस्तुति, साथ ही बहुत ही रोचक जानकारी दी आपने.
ReplyDeleteMy Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
.
कुकुनुस की जानकारी मिली ...........रचना भी बहुत सुंदर है
ReplyDeleteबेमिसाल रचना .... कुछ नयी जानकारी दे गयी..... बहुत बढ़िया
ReplyDeleteएक उत्तम कविता।
ReplyDeleteबहुत गहन भाव ..मन को छूते हुए ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ...!!
शुभकामनायें...
बहुत खुबसूरत अहसास हैं कुकनुस के बारे में बताने के लिए आभार |
ReplyDeleteगहन भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteकुकनुस के बारे में तो पता ही नहीं था .....बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने
ReplyDeletemishra ji aap ne aah likha hai lekin padhane ke mere muh se Vah nikala hai .... badhai.
ReplyDeleteमुझे तो जीना होगा
ReplyDeleteउस चकोर की तरह
जो ठंडी चांदनी में
जलता तो उम्र भर
भस्म नहीं होता जल कर....
वाह , एकदम नई approach.
मुझे तो जीना होगा
ReplyDeleteउस चकोर की तरह
जो ठंडी चांदनी में
जलता तो उम्र भर
भस्म नहीं होता जल कर....!!!
...बहुत खूब! लाज़वाब प्रस्तुति..
कुक्नुस के आत्मदाह के बारे में पहली बार जाना. सूखी यादों का नीड़..... चकोर अपने एक तरफा प्यार में ठंडी चाँदनी में तमाम उम्र जलता रहा, वाह !!!
ReplyDeleteपक्षियों में प्रेम और पक्षियों से प्रेम.......
बाया का घोंसला, कुकनुस की बातें - वाह क्या मंज़रकशी है संजय भाई, बहुत खूब
ReplyDeleteकाकनूस की जानकारी के लिए आभार सुंदर रचना,....
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
bahut samvedansheel abhivyakti. badhai.
ReplyDeleteघायल की गति घायल जाने।
ReplyDeleteवाह कुकनुस की दाद देनी होगी उसे मालूम है कि वह फ़ना हो जायेगा फिर भी गाता है ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ऐसी आग पैदा करनी होगी कुक्नुस की तरह जो अपने जलने की परवा भी न करे ... लाजवाब लिखा है संजय जी ...
ReplyDeleteबेहतरीन नज़म...वाह
ReplyDeleteनीरज
मुझे तो जीना होगा
ReplyDeleteउस चकोर की तरह
जो ठंडी चांदनी में
जलता तो उम्र भर
भस्म नहीं होता जल कर....!!!
waah!....kya baat hai!!
behtareen abhivyakti
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteप्रकृति और भावनाओं का बेजोड़ संगम ....बहुत सुन्दर कविता
ReplyDeleteबहुत खूब! लाज़वाब प्रस्तुति..
ReplyDeleteमुझे तो जीना होगा
ReplyDeleteउस चकोर की तरह
जो ठंडी चांदनी में
जलता तो उम्र भर
भस्म नहीं होता जल कर..
sundar rachna....
वाह वाह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
सादर.
जलता तो उम्र भर..बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
मुझे तो जीना होगा
ReplyDeleteउस चकोर की तरह
जो ठंडी चांदनी में
जलता तो उम्र भर
भस्म नहीं होता जल कर....!!!
mujhe bhi Habeeb Sahab .....mujhe bhi waise hi jeena hoga..
kahan se le ayae hain itna dard aap ? ufff.