Sunday, December 18, 2011

आह!

तेरी सूखी यादों के
photo taken with thanks from google & edited
तिनके चुन चुन कर
बनाया एक घर
बैठकर उसके भीतर
गाने लगा नज़्म मुहब्बत की
कि उट्ठेन्गी लपटें...
मुझे भी कर देंगी भस्म
साथ साथ घर के....

लेकिन मेरी आवाज में
कुकनुस* वाली बात कहाँ?
कि जल उट्ठे आग...

मुझे तो जीना होगा
उस चकोर की तरह
जो ठंडी चांदनी में
जलता तो उम्र भर
भस्म नहीं होता जल कर....!!!
_________________________
कुकनुस = (काल्पनिक यूनानी पक्षी) जिसके बारे में कहा जाता है कि वह बहुत मधुर स्वर में गाता है, और उसके गाने से घोंसले में आग लग जाती है... वह जल कर भस्म हो जाता है.
___________________________

32 comments:

  1. कुकनुस के बारे में पहली बार पता चला ... सुन्दर प्रस्तुति ..

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  2. ख़ूबसूरत चित्र और प्यारी रचना! कुकनुस के बारे में नयी जानकारी मिली!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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  3. बेजोड़ रचना ... मन खुश हो गया . कुकनुस पक्षी के विषय में जाना ... कितने सारे रहस्य हैं

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  4. bahut bhaav pravan rachna.kuknus ke vishya me pahli bar jana.

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  5. बेहतरीन सुन्दर प्रस्तुति, साथ ही बहुत ही रोचक जानकारी दी आपने.
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  6. कुकुनुस की जानकारी मिली ...........रचना भी बहुत सुंदर है

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  7. बेमिसाल रचना .... कुछ नयी जानकारी दे गयी..... बहुत बढ़िया

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  8. बहुत गहन भाव ..मन को छूते हुए ...
    बेहतरीन प्रस्तुति ...!!
    शुभकामनायें...

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  9. बहुत खुबसूरत अहसास हैं कुकनुस के बारे में बताने के लिए आभार |

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  10. गहन भावों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  11. कुकनुस के बारे में तो पता ही नहीं था .....बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने

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  12. mishra ji aap ne aah likha hai lekin padhane ke mere muh se Vah nikala hai .... badhai.

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  13. मुझे तो जीना होगा
    उस चकोर की तरह
    जो ठंडी चांदनी में
    जलता तो उम्र भर
    भस्म नहीं होता जल कर....

    वाह , एकदम नई approach.

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  14. मुझे तो जीना होगा
    उस चकोर की तरह
    जो ठंडी चांदनी में
    जलता तो उम्र भर
    भस्म नहीं होता जल कर....!!!

    ...बहुत खूब! लाज़वाब प्रस्तुति..

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  15. कुक्नुस के आत्मदाह के बारे में पहली बार जाना. सूखी यादों का नीड़..... चकोर अपने एक तरफा प्यार में ठंडी चाँदनी में तमाम उम्र जलता रहा, वाह !!!
    पक्षियों में प्रेम और पक्षियों से प्रेम.......

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  16. बाया का घोंसला, कुकनुस की बातें - वाह क्या मंज़रकशी है संजय भाई, बहुत खूब

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  17. काकनूस की जानकारी के लिए आभार सुंदर रचना,....

    मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

    आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
    जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
    कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
    सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
    महत्व है,...

    पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

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  18. घायल की गति घायल जाने।

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  19. वाह कुकनुस की दाद देनी होगी उसे मालूम है कि वह फ़ना हो जायेगा फिर भी गाता है ...
    सुन्दर रचना

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  20. ऐसी आग पैदा करनी होगी कुक्नुस की तरह जो अपने जलने की परवा भी न करे ... लाजवाब लिखा है संजय जी ...

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  21. बेहतरीन नज़म...वाह

    नीरज

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  22. मुझे तो जीना होगा
    उस चकोर की तरह
    जो ठंडी चांदनी में
    जलता तो उम्र भर
    भस्म नहीं होता जल कर....!!!


    waah!....kya baat hai!!

    behtareen abhivyakti

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  23. प्रकृति और भावनाओं का बेजोड़ संगम ....बहुत सुन्दर कविता

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  24. बहुत खूब! लाज़वाब प्रस्तुति..

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  25. मुझे तो जीना होगा
    उस चकोर की तरह
    जो ठंडी चांदनी में
    जलता तो उम्र भर
    भस्म नहीं होता जल कर..
    sundar rachna....

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  26. वाह वाह...
    बहुत सुन्दर..
    सादर.

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  27. जलता तो उम्र भर..बहुत सुन्दर |

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  28. क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  29. मुझे तो जीना होगा
    उस चकोर की तरह
    जो ठंडी चांदनी में
    जलता तो उम्र भर
    भस्म नहीं होता जल कर....!!!

    mujhe bhi Habeeb Sahab .....mujhe bhi waise hi jeena hoga..
    kahan se le ayae hain itna dard aap ? ufff.

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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