सम्मुख मो सम मुख लिये, बैठा रूप विराट ।
अहंकार मेरा सदा, रोके मेरा बाट ।।
फूट गया दिन का किला, रजनी आई फूट ।
मुल्क रहे ना फूट भर, जिनमें पड़ती फूट ।।
जंगल गाय गीत हरे, पल पल सुबहो शाम ।
पर्यावरण बचाने को, जंग लडें अविराम ।।
अपना अन्तर सत्य ही, जैसे एक दर्पन ।
दर्प न मन में लाईये, निर्मल राखिये मन ।।
मंजिल नज़रों में सदा, लक्षित हो स्पष्ट ।
बड़ा निज विश्वास करे, छोटे सारे कष्ट ।।
हिम्मत बहता है सदा, संग रुधिर बन होश ।
हिम मत बनने दे कभी, दह्काया रख जोश ।।
अपने हाथों भाग है, ले संवार तू भाग ।
बैठे भाग न जागता, भाग जगाने भाग ।।
सावन जाने नेह का, बीत गया किस ओर ।
रजनी बिन रजनीश है, व्याकुल हुआ चकोर ।।
रजनी जागत गत हुई, सजना रहे विदेश ।
सजना सजनी का हुआ, बिन सजना अतिशेष ।।
समझे, गुनें, शांत हो, थोड़ी रख परवाह ।
वक्त सुझाए वक्त में, हर उलझन की राह ।।
महका दोहों का चमन, भांति भांति के रंग ।
महका लें हम जिंदगी, सदभावों के संग ।।
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दोहों पर प्रयास सराहनीय है
ReplyDeleteआप में संभावनाएं प्रचुर मात्रा में हैं
बहुत सुंदर दोहे ....
ReplyDeleteजंगल गाय गीत हरे, पल पल सुबहो शाम ।
ReplyDeleteपर्यावरण बचाने को, जंग लडें अविराम ।।
... arth bhare dohe , bahut hi achhe lage
प्रभावशाली अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteसुंदर दोहे, शब्द शब्द दूह लिया। मन मोह लिया।
ReplyDeleteसुंदर दोहे!
ReplyDeleteदोहों के लघु कलेवर में यमक के चमत्कार से मनोहारी अर्थ-योजना !
ReplyDeleteसुन्दर !
very beautiful.
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ||
terahsatrah.blogspot.com
रजनी जागत गत हुई, सजना रहे विदेश ।
ReplyDeleteसजना सजनी का हुआ, बिन सजना अतिशेष ।।
वाह वाह वाह क्या दोहे रचे है संजय जी. सभी एक से बढकर एक है. बहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिए.
महका लें हम जिंदगी मनोहारी दोहे के संग | हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDelete..
समझे, गुनें, शांत हो, थोड़ी रख परवाह ।
ReplyDeleteवक्त सुझाए वक्त में, हर उलझन की राह ।।
गहन ....अर्थ पूर्ण और बहुत सुंदर दोहे
दोहों के माध्यम से आपने बड़े
ReplyDeleteसहज ढंग से सब कुछ कह डाला.
अति सुंदर प्रयास.
धन्यवाद.
आनंद विश्वास.
जी हाँ बिलकुल यह चमन तो दोहों से महका हुआ है और सच्चाई की खुशबू बिखेर रहा है.
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर और लाजबाब दोहे हैं ....
ReplyDeleteमनुहारी दोहे लगे सुंदर लगा प्रयास
ReplyDeleteइसी तरह लिखते रहो,नित करो अभ्यास,
बहुत बढ़िया ,....
मेरे नए पोस्ट में आइये,...
apke yah rang - birange dohe bahut hi sundar hai...
ReplyDeletevah mishr ji badhai ......... bhai aj k smay me Doha Ko sundartm roop dekar use aur saras v jeevant kiya hai . Badhai Habib bhai..
ReplyDeleteवाह हर शेर में अंदाज़े बयानी लाजवाब है....
ReplyDelete.हार्दिक आभार हबीब जी
sabhi dohe bahut achchhe lage. badhai.
ReplyDeleteअच्छा साधा है आपने अपनी कला को। सुमधुर,सहज और सत्यपरक।
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत अच्छे ..सार्थक सन्देश देते हुए
ReplyDeleteआपका प्रयास अच्छा है,थोड़ा संपादन पर ध्यान दें,और बढ़िया बन जायेगा !
ReplyDeleteआपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट ' आरसी प्रसाद सिंह ' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसमझे, गुनें, शांत हो, थोड़ी रख परवाह ।
ReplyDeleteवक्त सुझाए वक्त में, हर उलझन की राह ।।
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
समझे, गुनें, शांत हो, थोड़ी रख परवाह ।
ReplyDeleteवक्त सुझाए वक्त में, हर उलझन की राह
सार्थक सन्देश .
यमक का बढ़िया प्रयोग हुआ है दोहों में.
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देते हुए बहुत सुन्दर दोहे...आभार...
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत अच्छे ....सन्देश देते हुए
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सटीक दोहे..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे...और सार्थक भी..
ReplyDeleteसंजय जी,..बहुत सुंदर सार्थक दोहे,पसंद आए,..बधाई
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट की चंद लाइने पेश है..........
नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,
अगर आपको पसंद आए तो समर्थक बने....
मुझे अपार खुशी होगी,......धन्यबाद....
अपने हाथों भाग है, ले संवार तू भाग ।
ReplyDeleteबैठे भाग न जागता, भाग जगाने भाग ।।
भाग के अलग अलग अर्थ से प्रभावी बन पड़ा है
अपने हाथों भाग है, ले संवार तू भाग ।
ReplyDeleteबैठे भाग न जागता, भाग जगाने भाग ।
दोहों छटा निराली है ,मनभावन और मतवाली है .
गहरे अर्थपूर्ण दोहे हैं सभी ... कमाल के सब ...
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