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धूप का तिनका तिनका जोड़.
चाँद की चादर बुनकर ओढ.
ताकत अपनी क्यूँ भुला है?
जाग के रुख दरिया का मोड़.
दाम अगर खुशिया मांगे तो,
अम्बर खींच के तारे तोड़.
मंजिल तुझे पुकार रही है,
भाग तू सबसे आगे दोड़.
गहरे पैठ मिले है मोती,
संग लहरों के कर ले होड़.
जीत राग के नगमें गा तू,
रंजो गम की दुनिया छोड़.
रत्न 'हबीब' छुपे सब मन में,
मान ले, मन की छाती कोड़.
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शानदार गजल....
ReplyDelete।बहुत सुन्दर गज़ल्।
ReplyDeleteवाह वाह बेहतरीन.
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteउर्जा देती सुन्दर गज़ल ..
ReplyDeleteगहरे पैठ मिले है मोती,
ReplyDeleteसंग लहरों के कर ले होड़.
jo baura dooban dara.... kismat kismat karta rahta hai
गजल गंगा बहा दी आपने बहुत ही अच्छा लिखा है आपने साधुवाद
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल....
ReplyDelete।बहुत सुन्दर और शानदार गज़ल्।...
ReplyDeleteदिल में प्रवेश करती हुई बेहतरीन ग़ज़ल |
ReplyDeleteachchha likh rahe ho tum bhi. shubhkamanaye...
ReplyDeleteछोटे बहर की उत्कृष्ट ग़ज़ल।
ReplyDeleteहबीब साहब, जवाब नहीं आपका।
ReplyDelete------
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...?
...खींच लो जुबान उसकी।
बहुत सुंदर गज़ल से नवाज़ा है आपने.
ReplyDeleteबधाई.
गहरे पैठ मिले है मोती,
ReplyDeleteसंग लहरों के कर ले होड़.
खूबसूरत गजल
वाह ...शानदार
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी.....शानदार गज़ल् ।
ReplyDeletealag hat ke lagi gazal....
ReplyDeleteगहरे पैठ मिले है मोती,
ReplyDeleteसंग लहरों के कर ले होड़....
Awesome !
.
ताकत अपनी क्यूँ भुला है?
ReplyDeleteजाग के रुख दरिया का मोड़.
गहरे पैठ मिले है मोती,
संग लहरों के कर ले होड़.
मेरी घरेलु भाषा भोजपुरी है.. इच्छा हुई की भोजपुरी में प्रतिक्रिया दूँ...
बहुत बढ़िया लिखले बनी.. आभार.. राउर प्रतिक्रिया के हमरो बा इंतिजार.. एक बेर जरूर आइब.. राउर स्वागत बा...
गहरे पैठ मिले है मोती,
ReplyDeleteसंग लहरों के कर ले होड़.
...बहुत प्रेरक और सुन्दर गज़ल..
गहरे पैठ मिले है मोती,
ReplyDeleteसंग लहरों के कर ले होड़.
जीत राग के नगमें गा तू,
रंजो गम की दुनिया छोड़.
वाह ...एक संदेश देती पंक्तियां ...अनुपम प्रस्तुति ।
ताकत अपनी क्यूँ भूला है?
ReplyDeleteजाग के रुख दरिया का मोड़ |
दाम अगर खुशिया मांगे तो,
खींच के अम्बर, तारे तोड़ |
वाह
हिम्मत बढ़ाती --जान फूंकती |
बधाई ||
जीत राग के नगमें गा तू,
ReplyDeleteरंजो गम की दुनिया छोड़.
बहुत खूब...वाह...
(EK BAAR GHAZAL KI BAHAR CHECK KAR LEN PLS)
धूप का तिनका तिनका जोड़.
ReplyDeleteचाँद की चादर बुनकर ओढ.
ताकत अपनी क्यूँ भुला है?
जाग के रुख दरिया का मोड़.
खूबसूरत गजल, बधाई!!
जीने के लिये आत्म-विश्वास जगाती हुई बेमिसाल गज़ल.
ReplyDeleteनटखट बालक जैसा है दु:ख
मत इसके तू कान मरोड़.
आज नहीं तो कल सुधरेगा
सुख देगा यह ताबड़्तोड़.
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ReplyDeleteचारों तरफ़ छा रहे हैं आप तो …
क्या बात है !
अच्छा लिख रहे हैं
और श्रेष्ठ के लिए शुभकामनाएं हैं …
बहुत अच्छे शेर बन पढ़े हैं ... भाव बहुत ही लाजवाब हैं ...
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteगहरे पैठ मिले है मोती,
ReplyDeleteसंग लहरों के कर ले होड़।
खूबसूरत ग़ज़ल।
पाठक के दिलो-दिमाग में जगह बना लेने वाले शे‘र।
गहरे पैठ मिले है मोती,
ReplyDeleteसंग लहरों के कर ले होड़.
...प्रेरक। सदा याद रखने लायक।
धूप का तिनका तिनका जोड़.
ReplyDeleteचाँद की चादर बुनकर ओढ.
वाह! खूबसूरत मतले से आग़ाज़ हुआ इस उम्दा ग़ज़ल का!