Tuesday, May 3, 2011

"लादेन सुपुर्द-ए-आब"

अमेरिका ने आक्रान्ता को दीगर मुल्क में घुस कर मार गिराया...


हम हत्यारों को क़ैद कर के भी पाल रहे हैं... क्यों??


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जश्न है अमेरिका में, लादेन सुपुर्दे आब।
खौफ मचा कर हिंद में, ज़िंदा अफजल-कसाब॥

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बैठे, खाए ऐश में, जैसे हों दामाद।
रईयत को हक भी नहीं, करने की फ़रियाद॥

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अधिवक्ता मिल गए इन्हें, कैसे भाई जान ?
कौन इनके करमों से, बन बैठा अनजान ??
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इन्हें बचा कर हासिल क्या, होगा बड़ा सवाल ?
गद्दारों की पैरवी पर, मचता नहीं बवाल॥
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जाने कित्ता खींचेगा, केस नहीं है साफ़।

खुशकिस्मती शहीदों की, अगर मिला इन्साफ॥
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हिंद के हत्यारे, सज़ा न पायेंगे क्या रे?

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2 comments:

  1. बिल्कुल सही लिखा है ....सच्चाई कहती रचना

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  2. सच को बेबाकी से कहती रचना........वाकई "अतिथि देवो भवः" के कहावत को हमने अफज़ल और कसाब के मामले में सच कर दिखाया है |
    बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई !!

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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