Saturday, April 2, 2011

"बाहों में आया आकाश"

मस्त सम्मानीय मित्रों को सादर, सहर्ष, सगर्व नमस्कार। अनेक देशों को धुल चटा कर हिन्दुस्तान ने क्रिकेट विश्व कप अपने हाथों में उठा लिया। अपने छोटे बच्चे और उस जैसे ही उसके छोटे छोटे दोस्तों को दोनों हाथ उठाकर बंदरों की तरह उछलते, अगड़म-बगड़म नाचते देख कर आँखों में बिम्बित हो आया १९८३ का वह पल और एक किशोर जो रेडिओ हाथ में लेकर कुछ इसी तरह अगड़म बगड़म नाच रहा था.... उस वक़्त दिल में होने वाली आतिशबाजी आज आसमान में प्रत्यक्ष होती दिखाई पडी। वही भावना, वही उत्साह... ऐसे में स्वयम को बच्चों के साथ बच्चों की तरह उछलने से रोकना संभव नहीं था, सो खूब उछला- कूदा.... सचमुच गर्व और उत्साह की भावना हर काल में एक जैसी ही अभिव्यक्त होती है.... एकदम निश्छल बच्चों की तरह.....

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अट्ठाईस बरसों का इतिहास,

बदलने आया पल ये ख़ास।

जीया है इन पलों को हमने,

थाम के दिल और रोक के श्वास।

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दुनिया खडी थी बन कर बाधा,

हिंद ने ज्यों ही लक्ष्य को साधा,

उड़े हैं सूखे तिनके बनकर,

राह में आई हर एक बाधा।

जीती हैं उम्मीदें सबकी

जीता शेरों का विश्वास।

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धरती पर खुशियों की लहरें,

अम्बर में आतिश के पहरे,

वक्त ने रुक कर स्वयं लिखे हैं,

माथे पर अपने हर्फ़ सुनहरे,

कदमों में दुनिया है देखो

बाहों में आया आकाश।

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सभी सम्माननीय मित्रों को क्रिकेट विश्व विजय की हार्दिक बधाइयां....

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7 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना ..... विश्व कप विजेता होने के लिए बधाई

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  2. kabhi na badlane vala ithas rach diya hamne... congratulation ham jeet gaye....

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  3. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 04 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  4. इतिहास रचा गया.

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  5. Itihaas likha ja chuka hai .. sabhi Bharat vasiyon ko badhaai ...

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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