Sunday, March 27, 2011

"बचपन"

भी सम्माननीय सुधि मित्रों को सादर नमस्कार... । शरारत और मस्ती के बीच होली तन और मन को रंगता गुजर गया किन्तु माहौल में खुमारी बाकी है। छोटे छोटे बच्चों को धमाचौकड़ी मचाते देखना वाकई मजेदार होता है और ऐसे में अपना बचपन बिना याद आये कैसे रह सकता है... मेरी भी इच्छा हुई कि अपने बचपन से बातें करूँ, और मैंने अपने बचपन को याद कर उससे से वार्तालाप प्रारंभ किया तो एक प्यारे से गीत की शक्ल उभर आई है.... शायद आप को भी यह स्मृतियाँ अपने बचपन की सी लगे...

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किसी ताजे पुष्प सी सुरभित, सब स्मृतियाँ तेरी हैं।

जाने किस रंग में तुने यह आकृतियाँ उकेरी हैं॥

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लहरों की मस्ती है इनमें,

सागर सी स्निगधता भी।

नादानों का संशय कभी है,

विद्वजनों की विद्वता भी।

उत्साह का संचार लिए यह चंचल हैं, बड़ी चितेरी हैं।

जाने किस रंग में तुने, यह आकृतियाँ उकेरी हैं॥

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जीवन के सब पथ पथरीले,

लगते हैं ज्यों गीत सुरीले।

नेह की शीतल छाया तेरी,

नित्य हरे सब कंट-कटीले।

दुःख उलझ मुरझाते जाते, सुखों की यह झरबेरी है।

जाने किस रंग में तुने यह आकृतियाँ उकेरी हैं॥

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तेरे ही रंग रंगा अभी तक,

रंगा रहूँ, साँसे हैं जब तक।

तेरे ही सब हंसी ठीठोली,

गूँजा करें धरा से नभ तक।

मेरे चिर मीत, मेरे बचपन, क्या कथा सुहानी तेरी हैं।

जाने किस रंग में तुने, यह आकृतियाँ उकेरी हैं॥

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किसी ताजे पुष्प सी सुरभित, सब स्मृतियाँ तेरी हैं।

जाने किस रंग में तुने, यह आकृतियाँ उकेरी हैं॥

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7 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव ...बहुत पसंद आई यह रचना

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  2. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 29 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. तेरे ही रंग रंगा अभी तक
    रंगा रहूँ साँसें हैं जब तक

    वाह .......!!
    बहुत सुंदर हबीब जी .....

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  4. बचपन की यादें ताजा हो गईं । बहुत अच्छा लगा पढ़कर ।

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  5. बचपन का प्रतिबिम्बन हर पद हर बंद में खूबसूरत बन पडा है .सब का बचपन इतना ही सुन्दर हो अनुभूतियाँ सान्द्र .

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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