समस्त स्नेही और सुधि मित्रों को सादर नमस्कार.... । इन दिनों अत्यधिक व्यस्तता ब्लॉग पठन और लेखन में अवरोध का कारण बना हुआ है। आप सभी स्नेही जनों से उपस्थिति में कमी हेतु क्षमा के साथ मुझ पर अपना स्नेह आवरण यथावत बनाए रखने का निवेदन ..... । मित्रों, जनवरी का अंतिम सप्ताह सुभास चन्द्र बोस की जयन्ती, गणतन्त दिवस और बापू के महाप्रयान को स्मरण करा कर बीतने को है। गणतंत्र के इन दो पुरोधाओं को यह पोस्ट 'वर्तमान की पाती' समर्पित है....
*
राष्ट्र के गगन तुम्हें है मेरा सदनमन।
राष्ट्र के गगन तुम्हें है मेरा सदनमन।
पर देख कैसे सूख रहा तेरा ये चमन।।
*
दी हमें स्वतन्त्रता कुर्बान हो गए,
शान्ति की धरा के आसमान हो गए,
लिख समय पटल पे हिंद की अमिट कथा,
राष्ट्र अस्मिता के तुम उत्थान हो गए।
याद कर तुम्हें सजल हैं मेरे दो नयन॥
*
स्वप्न देख कर गए जो दिव्य हिंद का
हाल बुरा हो रहा है भव्य हिंद का
बेच बेच देश रख रहे हैं नेतागण
स्विटज़ बेंक में तमाम द्रव्य हिंद का।
राष्ट्र को निगल रहा है लोभ का व्यसन॥
*
आज जिनके हाथों में देश की कमान,
क्षमता शून्य हैं, चलाये सिर्फ शब्दबाण,
घिर रही घटा सघन आतंकवाद की,
हर ह्रदय में लहरे भय की लेती हैं उफान।
पुण्य धरा में है आज हिंसा और घुटन॥
*
मुफलिसी की मार से दुखी हैं जन अपार,
दैत्य मंहगाई का किये जाता बंठाधार,
छोटा लग रहा है शिखर हिमगिरी का भी
द्रुत गति से आज गगनमुखी भ्रष्टाचार ।
एक पक्ष और विपक्ष का है अंतर्मन॥
*
देख कैसे सूख रहा तेरा ये चमन।।
*
*************
"वर्तमान की पाती" समयानुकूल रचना के लिए आप का आभार !!! आप की ये पाती आज की देश की ज्वलंत समस्या की और ना केवल इशारा करती है बल्कि देश के नेतावों में मुह पर तमाचा भी है |
ReplyDeleteहर हर महादेव
sundar..sochane k liye baadhya karane vala geet. badhai iss lekhan k liye.
ReplyDeleteYeh sachmuch vartaman ki pati hai, hamesha ki tarah sach ka aaina dikhane wali zordar rachna. Badhai!!
ReplyDelete"आज जिनके हाथो में देश की कमान
ReplyDeleteक्षमता शून्य है चलाये सिर्फ शब्दबाण"
अत्यंत सुन्दर बड़े भैया,
वाकई आपकी रचना वर्तमान की पाती है.
प्रणाम भैया,
ReplyDeleteवाकई यह आपकी कविता वर्तमान को अक्छरसाः बयान करती है, इस बेहतरीन कविता के लिए बधाई स्वीकार करें |
utam***
ReplyDeleteबहुत सार्थक और यथार्थपरक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई!
ReplyDeleteमंगल कामना के साथ.......साधुवाद!
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
आपकी प्रस्तुति झकझोर देने वाली है ...लेकिन सच्चाई को बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने आपका शुक्रिया
ReplyDeletemn.neey rachnaa
ReplyDeletewaah-waa !!