Tuesday, January 25, 2011

"हेप्पी रिपब्लिक डे"

रेड ग्राउंड से वापस आते हुए मैंने उसे देखा... सड़क किनारे सिर झुकाए बैठा था. निकट ही बड़ी सी गठरी रखी थी. मैं बगल में बैठ गया, धीरे से कंधे पे हाथ रखा तो उसने चौंक कर सिर उठाया.... यह क्या...? मैंने कहा- "आज के दिन आपकी आँखों में उदासी? और आप यहाँ क्यूँ बैठे हैं? भीतर मैंने काफी तलाश किया आपको, आप भीतर क्यूँ नहीं आये?"
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आना तो चाहता था भीतर, उसने बुझे स्वर में कहा,- पर सुरक्षा में लगे जवान ने बाहर ही रोक दिया।
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मुझे ताज्जुब हुआ- "आपको रोक दिया... आपने बताया नहीं ये सारा उत्सव आपके ही जन्मदिन का है?"
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"बताया था" पर वह बोला- "बिना पास के अन्दर नहीं जा सकते। मैंने तो यह भी कहा कि मेरे आने की सुचना महामहिम को दे दो, तो बोला मैं महामहिम तक नहीं जा सकता, अपने अफसर को बता सकता हूँ, फिर वह अपने अफसर को बतायेगा, फिर उसका अफसर अपने अफसर को, फिर वह अपने... और जब तक सुचना वापस बाहर आयेगी यह उत्सव ही ख़त्म हो गया होगा... फिर भीतर जा कर क्या करोगे? पास है तो दिखाओ वरना किनारे हटो, माथा मत खाओ... कहकर उसने मुझे इधर धकेल दिया... चलते चलते थक गया था सो बैठ गया..." कहता हुआ वह धीरे से खडा हुआ और बोला "तुम थोड़ी मदद करो, यह गठरी मेरे सिर में रख दो तो अपने रास्ते जाऊं..."
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"मैंने पूछा -"पर बाबा इस गठरी में है क्या... और आप जाओगे कहाँ?
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उसने धीरे से कहा- " हाँ... इस गठरी में शुभकामनाएं हैं, जो लोगों ने एक दुसरे को मेरे नाम से दिया था... मुझे रास्ते में पड़े मिले तो उठा लिया है... शुभकामनाएं व्यर्थ नहीं होनी चाहिए ना.... और कहाँ जाऊंगा यह तो मुझे भी नहीं मालूम...."
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मैंने खामोशी से गठरी उठाने में उसकी मदद की, वह झुके कंधे पर शुभकामनाओं की गठरी लिए, लाठी टेकता धीरे धीरे चला गया.... पीछे से मैनें "गणतंत्र बाबा" को जन्मदिन मुबारक कहा और जल्दी से गाडी उठाकर चल पडा.... छुट्टी का दिन... बच्चे को कहीं पिकनिक पर ले जाने का वादा जो पूरा करना था.... ।
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10 comments:

  1. बाबा जैसा हाल हमारा भी हुआ। अब के 26 जनवरी में हमारा भी पास नहीं आया। पता नहीं मुख्यमंत्री साहेब भूल गए कि तहसीलदार अलाली कर गया। 10 बरसों में पहली बार हुआ है।

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. bahut sundar aalekh. aap ko gantantra diwas ki dhero sari badhayi.have a good family and happy day.

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  3. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. सही कहा ..आज गणतंत्र ही की पहचान नहीं है ..

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

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  5. सुभानाल्लाह .....
    दुआ है इस गणतंत्र बाबा की उम्र लम्बी हो ....
    और आप जैसे वीर यूँ ही सहारा दिए उन्हें आगे बढ़ाते रहे .....!!

    शानदार लेखन .....!!

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  6. बहुत सुन्दर. गणतंत्र बाबा को उनके जन्मदिन पर बधाई और शुभकामनाये.

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  7. बहुत सुंदर ....एक दम सार्थक ...आपके जज्बे को सलाम ....स्वीकार करें

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  8. आदरणीय हबीब भाईजान
    आदाब !

    एक अलग ही प्यारे अंदाज़ में प्रस्तुति के लिए आभार !

    गणतंत्र बाबा के जन्मदिवस पर आपको भी हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  9. क्या खूब लिखा है आपने वास्तव मे त्योहार न रह गया है बल्कि शोक सभा होनी चाहिये कि लोकतंत्र का देहावसान हो गया है और राजशाही की आत्मा ने उसके शरीर पर कब्जा कर लिया है ।

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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