पंचम सुर में जम के गा लो.
आंसू पी लो गम को खा लो.
चूभ गए न टूट आँखों में,
किसने कहा कि सपने पालो.
तुम तो भूखे प्यासे तड़पो!
उनकी सेहत भालो - भालो?
जिनकी नियत ही खोटी है,
उनसे कहो कि आप विदा लो.
आज पहाड़ों से टकराओ,
जीतो अपनी राह सजा लो.
दर्द बसे हैं जो सीनों में,
उन्हें मशाले मिस्र बना लो.
बहुत हुआ हबीब अब चीखो,
चीखो सर पे गगन उठा लो.
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चूभ गए न टूट आँखों में,
ReplyDeleteकिसने कहा कि सपने पालो।
कमाल का शेर है।
जीवन रेखा के समानांतर एक रेखा खींचती हुई ग़ज़ल।
बहुत हुआ हबीब अब चीखो,
ReplyDeleteचीखो सर पे गगन उठा लो.
vedana had se badh jaye to yahi raah theek hai ..
gahan abhivyakti.
इस चीख में बहुत चीत्कार है .. सार्थक सन्देश देती रचना
ReplyDeleteतुम तो भूखे प्यासे तड़पो!
ReplyDeleteउनकी सेहत भालो - भालो?
कि भैया आल इज वेल
दर्द बसे हैं जो सीनों में,
ReplyDeleteउन्हें मशाले मिस्र बना लो.
बहुत हुआ हबीब अब चीखो,
चीखो सर पे गगन उठा लो.
... parivartan ke liye ek cheekh zaruri hai
जिनकी नियत ही खोटी है,
ReplyDeleteउनसे कहो कि आप विदा लो
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बहुत हुआ हबीब अब चीखो,
चीखो सर पे गगन उठा लो.
बहुत खूब!ख्याल सामायिक हैं ,कबीले तारीफ़ भी .
परिवर्तन बहुत जरुरी है... सार्थक पोस्ट....
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 08-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट....
ReplyDeleteचूभ गए न टूट आँखों में,
ReplyDeleteकिसने कहा कि सपने पालो.
BHAVPURN RACHNA KE LIYE AAPKO HARDIK BADAHAI
..........**
bhaut hi sarthak rachna...
ReplyDeletebahut behtreen laajabab kavita.bahut pasand aai.dhanyavaad aapka aapke blog ka pata laga.jud rahi hoon aapke blog se.
ReplyDeleteyathart ko batati hui saarthak rachanaa.badhaai sweekaren.
ReplyDelete"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
शानदार गजल ....
ReplyDeleteजनकी नीयत ही खोटी है ,
ReplyDeleteउनसे कहो कि आप विदा लो '
......................उम्दा शेर
छोटी बहर की बढ़िया ग़ज़ल......हर शेर अर्थपूर्ण
प्रिय बंधुवर संजय 'हबीब' जी
ReplyDeleteनमस्कार !
क्या बात है … आज अलग ही तेवर हैं -
पंचम सुर में जम के गा लो
आंसू पी लो , ग़म को खा लो
बेहतर है…
मशाले मिस्र पल्ले नहीं पड़ा … क्या है , अभी मिस्र में हुई जन क्रांति ?
आज पहाड़ों से टकराओ,
जीतो अपनी राह सजा लो
ओऽऽ ख़ुशामदीद
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
दर्द बसे हैं जो सीनों में,
ReplyDeleteउन्हें मशाले मिस्र बना लो....ati sundar...wah..wah...
चूभ गए न टूट आँखों में,
ReplyDeleteकिसने कहा कि सपने पालो.
लाजवाब...
मैंने सोचा चलो यहाँ भी,
ReplyDeleteअपनी टिप्पणियाँ दे डालो.
सुन्दर लगी आपकी रचना,
मेरी ये टिप्पणी संभालो.
दर्द बसे हैं जो सीनों में,
ReplyDeleteउन्हें मशाले मिस्र बना लो,
बहुत ही सुंदर,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जिनकी नियत ही खोटी है,
ReplyDeleteउनसे कहो कि आप विदा लो.
आज पहाड़ों से टकराओ,
जीतो अपनी राह सजा लो...
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जिनकी नियत ही खोटी है,
ReplyDeleteउनसे कहो कि आप विदा लो.
इस धारदार ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर, खूबसूरत
ReplyDeleteबहुत सटीक और सुन्दर.
ReplyDeleteजिनकी नियत ही खोटी है,
ReplyDeleteउनसे कहो कि आप विदा लो....
अच्छा शेर है बहुत ... गज़ब की बाते कह दी हैं आपने ...