फरवरी १९०५। बंगाल के मिदिनापुर में ब्रिटिश सरकार द्वारा एक विशाल प्रदर्शनी लगाई गयी थी। उद्देश्य था, ब्रिटिश अत्त्याचारों को छुपा कर यह ज़ाहिर करना कि हम विदेशी होते हुए भी हम हिन्दुस्तान की भलाई के लिए क्या नहीं करते... । भांति भांति के चित्रों, पोस्टरों के ज़रिये तथाकथित ब्रिटिश दरियादिली को महिमामंडित किया जा रहा था। भारी संख्या में लोग उस प्रदर्शनी में उपस्थित भी थे। तभी एक १६ वर्षीय किशोर हाथों में पाम्पलेट का बण्डल लिए उस प्रदर्शनी में अवतरित हुआ। 'सोनार बांग्ला' शीर्षकीय इस पाम्पलेट में इस प्रदर्शनी के औचित्य और देश भर में ब्रिटिश अत्याचारों का जीवंत विवरण दिया गया था। वह १६ वर्षीय किशोर लोगों से मिलकर वनदे मातरम् के उद्घोष के साथ पाम्पलेट वितरित करता रहा और रोकने का प्रयास करने वाले पुलिस अधिकारियों को चकमा दे कर विलुप्त हो गया।
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यह किशोर कोइ और नहीं बल्कि मादरेहिंद का जांबाज़ बेटा शेरेबंगाल खुदीराम बोस था जिसने अपने जीवन के मात्र १८ वर्ष ७ महीने और ११ दिन वीरतापूर्वक बिता कर अपना सर्वस्व माँ के चरणों में समर्पित कर अमरत्व पा लिया। ३ दिसंबर १८८९ को बंगाल में मिदिनापुर जिले के हबीबपुर गाँव में जन्मे त्रिलोक्यनाथ बासु और लक्ष्मीप्रिया देवी के इस प्रखर तेजस्वी पुत्र का मन बचपन से ही माँ भारती की दासता से ना केवल व्यथित और पीड़ित था बल्कि उसके मन में दासता की इन बेड़ियों को तोड़कर अपने प्यारे वतन को आज़ाद कराने का संकल्प हिलोरें ले रहा था।
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बचपन में एक बार खुदीराम बोस ने मंदिर में भक्तजनों को साष्टांग लेटकर प्रार्थना करने का कारण पूछा तो पुजारी ने बताया कि ये सारे भक्तगण अपने कष्टों, पीडाओं और बीमारियों से मुक्ति के लिए इश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। नन्हें खुदीराम ने हंसकर कहा कि मैं भी अपनी बीमारी के लिए साष्टांग लेटकर प्रार्थना करूँगा। पुजारी के पूछने पर कि तुम्हें क्या बीमारी है? खुदीराम का जवाब था कि "दासता से बड़ी बीमारी और क्या हो सकती है।" किशोरावस्था में ही वे अरबिंद घोष की क्रांतिकारी पार्टी "युगांतर" से जुड़ गए और भारत को स्वतंत्र कराने के अपने सद्संकल्प को साकार करने में जुट गए।
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उस वक़्त कोलकाता में मुख्य मजिस्ट्रेट किंग्स्फोर्ड हुआ करते थे। उसके आदेश पर भारत की स्वतन्त्रता के लिए संघर्षरत राष्ट्रवादी युवा पुलिस की बर्बर हिंसा का शिकार हुए, और कुछ ने अपनी जानें भी गँवाईं। तब क्रांतिकारी पार्टी युगांतर ने मजिस्ट्रेट किंग्स्फोर्ड के लिए मृत्युदंड का प्रस्ताव पारित किया तथा खुदीराम बोस और उनके एक साथी प्रफुल्ल चाकी को यह दायित्व देकर किंग्स्फोर्ड के पीछे मुजफ्फरपुर भेजा गया। दोनों वहाँ हिरेन सरकार और दिनेश राय के छद्म नाम के साथ मुजफ्फरपुर में रहकर किंग्स्फोर्ड की दिनचर्या पर नज़र रखने लगे। अंततः ३० अप्रेल १९०८ को रात ८.३० बजे जैसे ही किंग्स्फोर्ड की गाडी यूरोपियन क्लब से बाहर आयी, दोनों ने उस पर बम फेंका और उसे निशाने पर लगता देख वहाँ से भाग निकले।
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इसे इन जांबाज़ भारतीय शेरों का दुर्भाग्य कहें या किंग्स्फोर्ड का सौभाग्य कि उस समय उसकी गाडी में वह स्वयम नहीं बल्कि मजिस्ट्रेट प्रिन्गले केनेडी की पत्नी और पुत्री सवार थीं, जो इस विस्फोट में मारी गयीं। खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी यह जानकार अत्यंत दुखी हुए कि उनके द्वारा गलती से दो निर्दोष महिलाओं की हत्या हो गयी। कभी पैदल कभी रेल में सफ़र करते वे निकल रहे थे कि पुसारोड़ रेलवे स्टेशन (उनके नाम पर अब खुदीराम बोस पूसा के.बी.आर. पूसा )में वे सशत्र पुलिस द्वारा घेर लिए गए। प्रफुल्ल चाकी अपने दोस्त खुदीराम को बचाने के प्रयास में शहीद हो गए और खुदीराम बोस बम विस्फोट और हत्या के आरोप में ११ अगस्त १९०८ को फांसी पर लटका दिए गए।
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अपने असफल अभियान के बावजूद खुदीराम बोस ब्रिटिश राज के विरुद्ध 'अग्नियुग' का शंखनाद करने वाले क्रांतिकारी के रूप में प्रतिष्ठीत हैं। आज ३ दिसम्बर को उस सर्वयुवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस के जन्मदिन पर उनके सहित माँ भारती के तमाम सपूतों को श्रद्धासुमन अर्पित हैं, जिनमें से बहुतों के बारे में हम जानते हैं और बहुतों के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते, किन्तु जिनके लिए निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है - "तुम चले तो हिन्दुस्तान चला।" जय हिंद।
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परम प्रिय हबीब साहब
ReplyDeleteसादर अभिवादन !
३ दिसम्बर को जांबाज़ क्रांतिकारीखुदीराम बोस को समर्पित आपकी इस पोस्ट के लिए आपको श्रद्धापूर्वक नमन !
सच्चे राष्ट्रभक्त खुदीराम बोस के जन्मदिन पर उन सहित भारत माता के तमाम जाने अनजाने सपूतों को सादर श्रद्धासुमन अर्पित हैं !
एक बार पुनः आपका आभार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हबीब साहब, इस ऐतिहासिक घटना को पढवाने का शुक्रिया।
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ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?
उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।
बहुत अच्छी पोस्ट ..हमें देश के नायकों को याद रखना चाहिए ...
ReplyDeleteKudiram Bose ke sambandh mein vistrit jankari pradan karane ke liye dhanyavad. Plz. visit mu new post.
ReplyDelete... naman ... behatreen abhivyakti !!!
ReplyDeleteek he shabd keh saktahu - Shukriya
ReplyDeleteआपका आभार इस उम्दा पोस्ट के लिए..
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