Saturday, January 7, 2012

ग़ज़ल (राहे हयात)

सादगी से जहाँ में निभाये चलो।
आन भी हौसला भी बचाये चलो।

इंदिया जिन्दगी का यही एक है,
इश्क की पाक लौ को जलाये चलो।

आलमे आरिजी क्या गमों के सिवा?
आलमे आरिजी को भुलाये चलो।

आप जो साथ हों हर घड़ी बज्म है,
जिंदगी को सुरों में सजाये चलो।

आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।

ओहदा है खुदा का जहाँ से जुदा,
आशिकी में उसी के बिताये चलो।

खार ही खार हों राह तो क्या हुआ?
ताकते खुद 'हबीब' आजमाये चलो।

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राहे हयात = जिन्दगी का पथ  |  इंदिया = उद्देश्य  |  आलमे आरिजी = मृत्युलोक  |  आइदा = अनुकम्पा  |  खार = कांटे (कठिनाई) |
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54 comments:

  1. आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।... क्या बात है !

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  2. "खार ही खार हों राह तो क्या हुआ?
    ताकते खुद 'हबीब' आजमाये चलो।"

    बहुत सुंदर गज़ल और उर्दु शब्दों के अर्थ लिखकर तो आपने बहुत उम्दा काम किया है। मैंने भी उर्दु के कुछ नये शब्द सीखे। शुक्रिया ।

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  3. ओहदा है खुदा का जहाँ से जुदा,
    आशिकी में उसी के बिताये चलो।

    खार ही खार हों राह तो क्या हुआ?
    ताकते खुद 'हबीब' आजमाये चलो।

    Habib sahab Adab ke sath hi shukriya ... janab ak vajandar gazal ke liye tahedil se mubarkvad deta hoon.

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  4. इंदिया जिन्दगी का यही एक है,
    इश्क की पाक लौ को जलाये चलो।
    बहुत खूब

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  5. बहुत खूब ... लाजवाब शेर हैं सभी ...

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  6. सादगी से जहाँ में निभाये चलो।
    आन भी हौसला भी बचाये चलो।
    सादा जीवन उच्च विचार ....!!
    बहुत सुंदर .

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  7. ओहदा है खुदा का जहाँ से जुदा,
    आशिकी में उसी के बिताये चलो।

    ...बहुत खूब...लाज़वाब गज़ल..

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  8. उम्दा लिखा है ... अच्छी लगी..

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  9. आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।... क्या बात है !

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  10. आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।


    वाह बहुत खूब ...उम्दा

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  11. mujhe apake ghazal padhane se ajeeb shaanti milatee hai. taareef je kie shabd nahi hai.

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  12. खार ही खार हों राह तो क्या हुआ?
    ताकते खुद 'हबीब' आजमाये चलो।
    ग़ज़ल का मकता बहुत अच्छा लगा मुबारक हो

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  13. behad sundar gazal kahi hai aapne.yoo hi likhte rahe shubhkaamnaye

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  14. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ||

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  15. सादगी आपकी ग़ज़लों की खूबसूरती होती है.. और याह गज़ल भी उसी श्रइन्खाला की एक कड़ी है!!

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  16. बहुत उम्दा

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  17. खूबसूरत और उम्‍दा गजल....
    गहरे अहसास की बानगी के लिए बधाई......

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  18. हां,खुदा का ओहदा सचमुच जहां से जुदा है। असली बात यही है।

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  19. बहुत खूब.....शानदार है ग़ज़ल|

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  20. bahut saarthak rachna, har sher behad umda, shubhkaamnaayen.

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  21. ओहदा है खुदा का जहाँ से जुदा,
    आशिकी में उसी के बिताये चलो।

    खार ही खार हों राह तो क्या हुआ?
    ताकते खुद 'हबीब' आजमाये चलो।
    वाह ...बहुत खूब ।

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  22. बहुत खूब लिखा है
    आशा

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  23. खार ही खार हों राह तो क्या हुआ?
    ताकते खुद 'हबीब' आजमाये चलो।
    ..बेहतरीन!

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  24. आपके पोस्ट पर आकर का विचरण करना बड़ा ही आनंददायक लगता है । ipn अच्छा लगी । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

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  25. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है!

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  26. आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।

    बहुत खूबसूरत...

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  27. वाह ..पूरी गज़ल ही बहुत खूब .. कौन सा शेर चुनूँ ?

    आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।

    यह सबसे अच्छा लगा . :)

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  28. सुंदर अभिव्यक्ति बढ़िया गजल ....बेहतरीन पोस्ट
    welcome to new post --"काव्यान्जलि"--

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  29. ओहदा है खुदा का जहाँ से जुदा,
    आशिकी में उसी के बिताये चलो।
    बहुत खूब..
    दाद कबूल करें..

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  30. आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।
    लाजबाब ग़ज़ल

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  31. आप जो साथ हों हर घड़ी बज्म है,
    जिंदगी को सुरों में सजाये चलो।
    लाजवाब!

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  32. आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।

    बेहतरीन ग़ज़ल
    vikram7: हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....

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  33. बहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन एक अच्छी गजल,..बधाई
    welcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--

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  34. इंदिया जिन्दगी का यही एक है,
    इश्क की पाक लौ को जलाये चलो।

    और ....
    आप ही आसमाँ आप ही हो जमीं
    आइदा आशियाँ पे बनाये चलो।
    एक उस्ताद शायर का बेहतरीन कलाम ...
    ...हबीब जी गुस्ताखी मुआफ अब से आपको हबीब भाई बोला करूँगा...हाँ मिश्रा जी भी कहना मुझे उतना ही प्रिय है..अनुमति चाहता हूँ !!

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  35. बहुत ही प्रशंसनीय.....
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  36. क्या बात है । बहुत सुन्दर।
    कुछ नये शब्द जानने को मिले। धन्यवाद।

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  37. ओहदा है खुदा का जहाँ से जुदा,
    आशिकी में उसी के बिताये चलो।

    खार ही खार हों राह तो क्या हुआ?
    ताकते खुद 'हबीब' आजमाये चलो।

    वाह संजय जी, कितनी ऊँची बात कह दी,वाह !!!!

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  38. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने! बधाई!

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  39. ग़ज़ल का एक-एक शेर
    खुद को पढवा रहा है ....
    बहुत अच्छा कलाम है .. मुबारकबाद .

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  40. वाह! बहुत सुन्दर.
    पढकर मन मग्न हो गया है,जी.
    आभार.

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  41. बहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
    new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....

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  42. बहुत सुंदर गज़ल वाह! बहुत सुन्दर......

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  43. बेहतरीन गज़ल...
    बधाई...आभार....!!

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  44. ओहदा है खुदा का जहाँ से जुदा,
    आशिकी में उसी के बिताये चलो।

    ग़ज़ल और उसके सारे शेर अच्छे लगे।

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  45. sab kuchh behtareen ....badhai ke sath abhar.

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  46. सादगी से जहाँ में निभाये चलो।
    आन भी हौसला भी बचाये चलो।

    बेहतरीन रचनाएँ...
    ओ बी ओ पर भी रचनाएँ पढ़ीं 'तलाश'शीर्षक पर
    सभी बहुत अच्छी लगी|

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  47. बहुत ही सुन्दर और खूबसूरत गजल..बधाई

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  48. दिल को छू लेन वाली गजल बहुत अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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