कुण्डलिया
(१)
काली रातों में खिले, दीपक बन के फूल
उजियारे रत खोज में, अंधियारे का मूल
अंधियारे का मूल, कहाँ स्थित जीवन में
आओ हम तुम बैठ, तलाशें अपने मन में
यही पर्व का पाठ, करें सुख की रखवाली
मन का दीपक बार, कहाँ फिर राहें काली.
(२)
कितने कितने कर जुड़े, उमड़े कितने दीप
कितना बिखरा नेह है, कितने भाव प्रदीप
कितने भाव प्रदीप, जुड़े उर से उर सबके
और मनाएं पर्व, सभी हिल मिल कर अबके
शपथ उठायें चलो, बाँट दें सुख हो जितने
कदम उठे निःशंक, भला दुख होंगे कितने?
कितने भाव प्रदीप, जुड़े उर से उर सबके
और मनाएं पर्व, सभी हिल मिल कर अबके
शपथ उठायें चलो, बाँट दें सुख हो जितने
कदम उठे निःशंक, भला दुख होंगे कितने?
(३)
अपने अपने दीप ले, अपने अपने साज
एक सभी के राग हों, और मधुर आवाज
और मधुर आवाज, सभी मिल खुशियाँ गायें
गैर यहाँ पर कौन, हृदय सभी जगमगायें
झिलमिल मेरी आँख, सजायें तेरे सपने
मेरे सारे ख्वाब, बना ले तू भी अपने.
अपने अपने दीप ले, अपने अपने साज
एक सभी के राग हों, और मधुर आवाज
और मधुर आवाज, सभी मिल खुशियाँ गायें
गैर यहाँ पर कौन, हृदय सभी जगमगायें
झिलमिल मेरी आँख, सजायें तेरे सपने
मेरे सारे ख्वाब, बना ले तू भी अपने.
********************************
सादर बधाईयाँ
*********************************
सादर बधाईयाँ
*********************************
शुभकामनाएं ||
ReplyDeleteरचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||
बहुत सुन्दर भावों से सजे छंद ..
ReplyDeleteदीपावली की शुभकामनायें
बहुत अच्छी रचनाएं .. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteशपथ उठायें चलो, बाँट दें सुख हो जितने
ReplyDeleteकदम उठे निःशंक, भला दुख होंगे कितने?
सुन्दर भाव!
शुभकामनायें!!!
बहुत सुंदर छंद ... हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteअंधियारे का मूल, कहाँ स्थित जीवन में
ReplyDeleteआओ हम तुम बैठ, तलाशें अपने मन में
हबीब भाई,बहुत ही खूब.
आपको भी दीपावली की शुभ कामनाएं.
दीपावली की शुभकामनाएं
ReplyDeleteसभी कुंडलियां लाजवाब!
ReplyDeleteप्रकाश पर्व की विभिन्न छटा बिखरती यह रचना अच्छी लगी।
दीपावली की शुभकामनाएं।
वाह ...बहुत बढि़या ..दीपोत्सव पर्व की शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
ReplyDeleteदूसरी कुण्डली बहुत अच्छी है। मन ही समस्या है,मन ही समाधान।
ReplyDeleteआपको दीपावली की शुभकामनाएं .
ReplyDeleteकल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
ReplyDeleteअपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteसुंदर छंद
ReplyDeleteआपको व आपके परिवार को दीपावली कि ढेरों शुभकामनायें
सुघ्घर छंद रचे हस भाई,
ReplyDeleteदेवारी के गाड़ा गाड़ा बधाई।
वाह..बहुत
ReplyDeleteखूब .......................................दोहों के आगे दोहे
=========
ज्योति-पर्व पर आपको, प्रेषित मंगल-भाव।
भव-सागर में आपकी, रहे चकाचक नाव॥
=========
सद्भावी- डॉ० डंडा लखनवी
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
ReplyDeleteहबीब साहब! इस दीप-सी जगमगाती रचना के लिये बधाई! बहुत ही सुंदर विचार और बहुत सुंदर प्रस्तुति!
ReplyDeleteकानों के कुण्डलों की तरह सुंदर कुंडलियाँ . आभार. ज्योति पर्व दीवाली की आपको सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हबीब साहब.. आभार..
ReplyDeleteसाथ में दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..
-:शुभ दीपदाली:-
अति सुन्दर....** दीप ऐसे जले कि तम के संग मन को भी प्रकाशित करे ***शुभ दीपावली **
ReplyDeleteपोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । दीपावली की शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteSundar rachna. Aapko tatha aapke pariwar ko deepawali ki hardik subhkamna.
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचनाएं
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ !
दीपावली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
सुंदर दीप छंद।
ReplyDelete..शुभ दीपावली।
जगमग-जगमग दिया जलाओ...
ReplyDeletebahut sundar. shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावों से सजी हैं सभी कुंडलियाँ.... शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteऐसी कुण्डलियाँ गढ़ीं , जैसे दीप-कतार
ReplyDeleteइससे उत्तम हो भला क्या कोई उपहार
क्या कोई उपहार, शब्द-रत्नों से बढ़कर
लक्ष्मी आई द्वार ,नेह-आमंत्रण पढ़कर
कहे अरुण फूटे अनार लाखों फुलझड़ियाँ
संजय मिश्रा ने भेजी ,ऐसी कुण्डलियाँ.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
तीनो कुन्डलियाँ लाजवाब हैं। बधाई।
ReplyDeleteअपने अपने दीप ले, अपने अपने साज
ReplyDeleteएक सभी के राग हों, और मधुर आवाज
और मधुर आवाज, सभी मिल खुशियाँ गायें
गैर यहाँ पर कौन, हृदय सभी जगमगायें
प्रेरक संदेश देतीं सुंदर कुंडलियां।
बहुत ही सुन्दर छंद है..
ReplyDelete