चाँद शरमाता हुआ सा छुप गया |
ले गया दिल और जां ले, उफ़! गया ||
धडकनों में गीत मीठे बज उठे,
बांसुरी ले आसमां ही झुक गया ||
वो घटाएं, वो समंदर क्या कहें,
जुल्फ ओ तर चश्म में दिन बुझ गया ||
आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||
इक सितारा हूँ फलक में टूटता,
आस्ताना ही सनम का छुट गया ||
कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
शब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
जिन्दगी का हर खजाना लुट गया ||
********************************************
सादर
********************************************
बेहतरीन अभिव्यक्ति..आँसू तीर से चुभते हैं...
ReplyDeletebahut khoob...behtareen
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
ReplyDeleteतीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||
कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
बहुत खूबसूरत गजल ... भीग कर गुल सा उठना ... बहुत खूब
आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
ReplyDeleteतीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||
बहुत भावपूर्ण रचना...
सादर
वाह..वाह..
ReplyDeleteकब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
लाजवाब!!!!
बेहतरीन अशआर से सजी एक खूबसूरत गज़ल.. हबीब भाई!!
ReplyDeleteवाह!!!!!बहुत अच्छी गजल,.. सुंदर रचना
ReplyDeleteMY NEW POST ...सम्बोधन...
इक सितारा हूँ फलक में टूटता,
ReplyDeleteआस्ताना ही सनम का छुट गया ||
कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
वाह हबीब साहब .......आप ने तो एक बहुत ही खूब सूरत गजल परोस दी ....हर शेर उम्दा ...सादर आभार.
चाँद शरमाता हुआ सा छुप गया |
ReplyDeleteले गया दिल और जां ले, उफ़! गया ||
उफ्फ.....!!
इस उफ्फ ने तो कमाल कर दिया .....
इक इक शेर नगीना है हबीब जी ...
बहुत खूब ....
दिली दाद कबूल करें ....
कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
ReplyDeleteभीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||are waah
कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
ReplyDeleteभीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
बेहतरीन अभिव्यक्ति
शब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
ReplyDeleteजिन्दगी का हर खजाना लुट गया ||
जानदार ग़ज़ल हर अश आर वजनी ,भर्ती का शैर कोई नहीं .
जिन्दगी का हर खजाना लुट गया। सही कहा साहब।
ReplyDeleteकब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
ReplyDeleteभीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
शब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
जिन्दगी का हर खजाना लुट गया |
बहुत सुंदर भाव ...
आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
ReplyDeleteतीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ।
हरेक शेर एक कहानी-सी कहता लग रहा है।
बहुत बढि़या।
धडकनों में गीत मीठे बज उठे,
ReplyDeleteबांसुरी ले आसमां ही झुक गया ||
....बहुत खूब! हरेक शेर बहुत उम्दा...
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल !
ReplyDeleteआभार!
लाजवाब....
ReplyDeleteआँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
ReplyDeleteतीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||.... वाह:क्या बात है ? ..बहुत सुन्दर...
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि पर्व की अनंत शुभकामनाएं
सादर!
आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
ReplyDeleteतीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ..
सुभान अल्ला ... गज़ब का शेर है जनाब ... क्या बात है ... बहुत बधाई ...
har sher mukammal aur bahut khaas...
ReplyDeleteआँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||
daad sweekaaren.
हद हैं महिलाएं। क़ब्र में भी चैन से नहीं रहने देतीं!
ReplyDeleteआँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
ReplyDeleteतीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||
आह! सच में तीर-सा ही कुछ दिल में चुभ गया।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच
ReplyDeleteपर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
दिल में चुभ (ठहर) गया बेहतरीन ग़ज़ल |
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeletebahut sundar shabd hai ek dam dil ko chune wale
ReplyDeleteकब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
ReplyDeleteभीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
......... लाजवाब !
ठीक थी ग़ज़ल....माफ़ कीजिये कुछ खास नहीं लगी।
ReplyDeleteबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना, शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeletebehad khoobsurat..
ReplyDeleteबहुत हि सुन्दर ,....
ReplyDeleteलिखते रहें मगर ज़रा क़ाफ़िया पर भी ध्यान दीजिये.
ReplyDeleteआँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
ReplyDeleteतीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||
बहुत सुन्दर अहसास... जवाब नहीं है...
सुन्दर शब्द रचना |
ReplyDeletebadhiya gazal..
ReplyDeleteशब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
ReplyDeleteजिन्दगी का हर खजाना लुट गया ||
badhiya panktiya...
वाह ...बहुत खूब
ReplyDeleteधडकनों में गीत मीठे बज उठे,
ReplyDeleteबांसुरी ले आसमां ही झुक गया ||
वाह क्या खूब ।
बहुत,बेहतरीन गजल ,सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....
ReplyDeleteMY NEW POST...आज के नेता...
कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
ReplyDeleteभीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
lajavab bahut khoob puri gazal hi bahut sunder hai
rachana
वो घटाएं, वो समंदर क्या कहें,
ReplyDeleteजुल्फ ओ तर चश्म में दिन बुझ गया ||
गज़ल का हर अश'आर सचमुच ही तीर सा अंदर तक चुभ गया.वाह !!!!!!!!
बेहतरीन !
ReplyDeleteहोली की अशेष शुभकामनाएँ।
बहुत खूब !
ReplyDeleteऎ चाँद जमाना बदल रहा है
कुछ तू भी तो बदल
अब तो शर्माना छोड़
निकल बादलों की ओट से
और खुल के बोल !