Wednesday, October 19, 2011

ग़ज़ल

लहरों की मत रफ़्तार देख |
अपने बाजू हर बार देख |

थमने की बातें भी न सोच,
ठहरा है कब संसार देख |

रिश्तों में प्रीत रही न आज,
चलता है सब व्यापार देख |

करता है ऐश लूट कर मुल्क,
तिहाड़ में खुश गद्दार देख |

हत्यारे यां रहें बा चैन,
लीला यह अपरम्पार देख |

भूखे मेहनतकश ! धिक्कार!
मौज में सब गुनहगार देख |

चुभते से प्रश्न कभी न पूछ,
हबीब है कब अधिकार देख |


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32 comments:

  1. मौज में सब गुनहगार देख |

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    मेरी बधाई स्वीकार करें ||

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  2. यथार्थ चित्रित करती गज़ल!

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  3. लहरों की मत रफ़्तार देख |
    अपने बाजू हर बार देख |

    बेहद सुंदर पंक्तियाँ...

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  4. बहुत उम्दा ग़ज़ल.....

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  5. उम्दा लिखा है..बधाई.

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  6. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  7. भूखे मेहनतकश ! धिक्कार!
    मौज में सब गुनहगार देख |
    सारे शेर अच्छे हैं मगर ये शेर ख़ास है..... अच्छी रचना का आभार !

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  8. चुभते से प्रश्न कभी न पूछ,
    हबीब है कब अधिकार देख |
    .... behad achhe bhaw

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  9. रचना चर्चा-मंच पर, शोभित सब उत्कृष्ट |
    संग में परिचय-श्रृंखला, करती हैं आकृष्ट |

    शुक्रवारीय चर्चा मंच
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  10. करता है ऐश लूट कर मुल्क,
    तिहाड़ में खुश गद्दार देख |

    वाह...बहुत खूब

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  11. एक ही हादसा तो है हिंदूस्तान में
    कि बात नही पूछी गयी
    और बात नही सुनी गयी

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  12. हां,हमारा समय ऐसा ही है।

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  13. वाह ..बहुत सुन्दर
    बहुत खूब

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  14. रिश्तों में प्रीत रही न आज,
    चलता है सब व्यापार देख |

    करता है ऐश लूट कर मुल्क,
    तिहाड़ में खुश गद्दार देख |

    gazab kii abhivyakti.....bahut khub

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  15. करता है ऐश लूट कर मुल्क,
    तिहाड़ में खुश गद्दार देख |
    kya likha hai kamal bahut bahut sunder gazal
    rachana

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  16. लहरों की मत रफ़्तार देख |
    अपने बाजू हर बार देख |

    थमने की बातें भी न सोच,
    ठहरा है कब संसार देख |

    रिश्तों में प्रीत रही न आज,
    चलता है सब व्यापार देख |

    बहुत अच्छी रचना हबीब साहब..
    विसंगतियों को उजागर करते हुए.. प्रेरणा देती रचना..आभार..

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  17. aajkal ke halat ka sahi chitran bahut achhi lagi rachna

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  18. भाई आप विषय बहुत अच्छे से छाँटते हैं

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  19. करता है ऐश लूट कर मुल्क,
    तिहाड़ में खुश गद्दार देख |


    wah wah kabiletarif...........

    shukriya

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  20. रिश्तों में प्रीत रही न आज,
    चलता है सब व्यापार देख ...

    बहुत लाजवाब शेर है इस गज़ल का ... दार्शनिक अंदाज़ है ... जीवन का सच ...

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  21. रिश्तों में प्रीत रही न आज,
    चलता है सब व्यापार देख |
    mera fav.bahut sundar......

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  22. शुभकामनायें भाई !

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  23. लहरों की मत रफ़्तार देख |
    अपने बाजू हर बार देख |

    हर शेर सच्चाई को कहता हुआ ... बहुत अच्छी गज़ल ..

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  24. एक बेहतरीन ग़ज़ल जो दिल के साथ दिमाग में भी जगह बनाती है।

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  25. करता है ऐश लूट कर मुल्क,
    तिहाड़ में खुश गद्दार देख |

    हत्यारे यां रहें बा चैन,
    लीला यह अपरम्पार देख |

    भूखे मेहनतकश ! धिक्कार!
    मौज में सब गुनहगार देख |

    In panktiyon mein prastut karara vyang bada pasand aaya.. Bahut khub...

    www.poeticprakash.com

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  26. रिश्तों में प्रीत रही न आज,
    चलता है सब व्यापार देख ।

    रिश्तों को भी व्यापार समझा जाता है अब।
    सही संदेश देती ग़ज़ल।

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  27. करता है ऐश लूट कर मुल्क,
    तिहाड़ में खुश गद्दार देख |

    waah,kya sher kaha aapne,
    bahut umda sir ji ...

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  28. वाह...
    बहुत ही बेहतरीन गजल है ...

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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