Thursday, October 13, 2011

ग़ज़ल (जगजीत की याद में)


दो बूँद लुडक आये पलकों से कपोलों तक |
कि गर्दे याद छायी चलती चलि मीलों तक | 

हम आसमां को देने आये  थे मस्त मौसम, 
के चाँद उतर आया चल के यहाँ शोलों तक |

सब ढूंढ ही रहे थे चारा-ए-गमे दिल को,
मरहम वो दे भी आया जलते से फफोलों तक |

इक आग जैसे था वो जलता  रहा उमर भर,
कि सुर्खी फ़ैल आयी दीदा-ए-अकीलों तक |

'हबीब' रूह है पुरनम भीगा है ये जहां भी,
अश्कों की फ़ौज छायी समंदर-ओ-साहिलों तक |

 

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 विनम्र श्रद्धांजली 
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19 comments:

  1. दो बूँद लुडक आये पलकों से कपोलों तक |
    कि गर्दे याद छायी चलती चलि मीलों तक |
    ye yaden lifelong chlegi koi jagjeet
    ji ki kmi ko puri nhi kr payega.

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  2. संजय जी
    काव्यमय श्रद्धांजलि अच्छी लिखी है आपने …

    चित्र में जो कुंडली लिखी है वह अधिक प्रभावित करती है …


    मेरी ओर से भी जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि …
    जग जीतने की चाह ले’कर लोग सब आते यहां !
    जगजीत ज्यों जग जीत कर जग से गए कितने कहां ?
    जग जीतने वाले हुनर गुण से जिए तब नाम है !
    क्या ख़ूब फ़न से जी गए जगजीत सिंह सलाम है !!

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. विनम्र श्रद्धांजलि .... अच्छी प्रस्तुति

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  4. विनम्र श्रद्धांजलि दिव्यात्मा को . सच ! स्थान रिक्त हुआ है..जो अपूर्णीय है.

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  5. जगजीत सिंग जी ने भारतीय मानस पटल पर गजलों का जो रंग चढ़ाया है आशा है अगली पीढ़ी के गजल गायक उसे बरकरार रख पायेंगे। आपकी श्रद्धांजली बेहतरीन है।

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  6. जगजीत सिंहजी को भावभीनी श्रधांजलि ...

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  7. 'हबीब' रूह है पुरनम भीगा है ये जहां भी,
    अश्कों की फ़ौज छायी समंदर-ओ-साहिलों तक |
    इससे अच्छी श्रद्धांजली और क्या होगी, .... ग़ज़ल को ग़ज़ल के फूल

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  8. यह आवाज अमर रहेगी.....
    शुभकामनायें !

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  9. जगजीत सिंहजी को श्रद्धांजली ...

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  10. सब ढूंढ ही रहे थे चारा-ए-गमे दिल को,
    मरहम वो दे भी आया जलते से फफोलों तक |

    उनकी कमी सदा खलेगी...... श्रद्धांजलि नमन

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  11. जग जीता जगजीत, ग़ज़ल सम्राट कहाए।
    जगजीत सिंह का ग़ज़ल के लिए योगदान अविस्मरणीय है। आप के साथ साथ हम भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।


    गुजर गया एक साल

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  12. सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति.

    ... श्रद्धांजलि नमन

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  13. bahut achchi bhavbhini shradhanjali di hai aapne.jagjeet singh ji sabhi ko priye the.

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  14. इक आग जैसे था वो जलता रहा उमर भर,
    कि सुर्खी फ़ैल आयी दीदा-ए-अकीलों तक द्य

    जगजीत सिंह जी की रेशमी आत्मा को नमन।

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  15. कुण्डली के भाव-पुष्प चित्र के साथ -आपके मन की पीड़ा को स्वर दे रहे हैं.महान गज़ल गायक को भावमयी श्रद्धांजलि.

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  16. सुन्दर ग़ज़ल...
    हमारी ओर से भी विनम्र श्रद्धांजलि

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  17. युग का अंत हो गया ,,, भुलाए नहीं भूलेंगे वो ...

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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