दो बूँद लुडक आये पलकों से कपोलों तक |
कि गर्दे याद छायी चलती चलि मीलों तक |
हम आसमां को देने आये थे मस्त मौसम,
के चाँद उतर आया चल के यहाँ शोलों तक |
सब ढूंढ ही रहे थे चारा-ए-गमे दिल को,
मरहम वो दे भी आया जलते से फफोलों तक |
इक आग जैसे था वो जलता रहा उमर भर,
कि सुर्खी फ़ैल आयी दीदा-ए-अकीलों तक |
'हबीब' रूह है पुरनम भीगा है ये जहां भी,
अश्कों की फ़ौज छायी समंदर-ओ-साहिलों तक |
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विनम्र श्रद्धांजली
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दो बूँद लुडक आये पलकों से कपोलों तक |
ReplyDeleteकि गर्दे याद छायी चलती चलि मीलों तक |
ye yaden lifelong chlegi koi jagjeet
ji ki kmi ko puri nhi kr payega.
♥
ReplyDeleteसंजय जी
काव्यमय श्रद्धांजलि अच्छी लिखी है आपने …
चित्र में जो कुंडली लिखी है वह अधिक प्रभावित करती है …
मेरी ओर से भी जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि …
जग जीतने की चाह ले’कर लोग सब आते यहां !
जगजीत ज्यों जग जीत कर जग से गए कितने कहां ?
जग जीतने वाले हुनर गुण से जिए तब नाम है !
क्या ख़ूब फ़न से जी गए जगजीत सिंह सलाम है !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
विनम्र श्रद्धांजलि .... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि दिव्यात्मा को . सच ! स्थान रिक्त हुआ है..जो अपूर्णीय है.
ReplyDeleteजगजीत सिंग जी ने भारतीय मानस पटल पर गजलों का जो रंग चढ़ाया है आशा है अगली पीढ़ी के गजल गायक उसे बरकरार रख पायेंगे। आपकी श्रद्धांजली बेहतरीन है।
ReplyDeleteजगजीत सिंहजी को भावभीनी श्रधांजलि ...
ReplyDelete'हबीब' रूह है पुरनम भीगा है ये जहां भी,
ReplyDeleteअश्कों की फ़ौज छायी समंदर-ओ-साहिलों तक |
इससे अच्छी श्रद्धांजली और क्या होगी, .... ग़ज़ल को ग़ज़ल के फूल
यह आवाज अमर रहेगी.....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
जगजीत सिंहजी को श्रद्धांजली ...
ReplyDeleteसब ढूंढ ही रहे थे चारा-ए-गमे दिल को,
ReplyDeleteमरहम वो दे भी आया जलते से फफोलों तक |
उनकी कमी सदा खलेगी...... श्रद्धांजलि नमन
जग जीता जगजीत, ग़ज़ल सम्राट कहाए।
ReplyDeleteजगजीत सिंह का ग़ज़ल के लिए योगदान अविस्मरणीय है। आप के साथ साथ हम भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
गुजर गया एक साल
Jagjit singh ko meri bhi bhavpurn shradhanjali...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDelete... श्रद्धांजलि नमन
सुंदर भावांजलि!!
ReplyDeletebahut achchi bhavbhini shradhanjali di hai aapne.jagjeet singh ji sabhi ko priye the.
ReplyDeleteइक आग जैसे था वो जलता रहा उमर भर,
ReplyDeleteकि सुर्खी फ़ैल आयी दीदा-ए-अकीलों तक द्य
जगजीत सिंह जी की रेशमी आत्मा को नमन।
कुण्डली के भाव-पुष्प चित्र के साथ -आपके मन की पीड़ा को स्वर दे रहे हैं.महान गज़ल गायक को भावमयी श्रद्धांजलि.
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल...
ReplyDeleteहमारी ओर से भी विनम्र श्रद्धांजलि
युग का अंत हो गया ,,, भुलाए नहीं भूलेंगे वो ...
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