Sunday, July 17, 2011

जीवन संगीत-२

वक्त की पनाहों में, खुशियों की बाहों में
आँधियों के पहरे हैं, जिंदगी की राहों में
कश्ती को तूफां में, चलने-मचलने दो
शक्ति अक्षुण्य लिए, अपनी निगाहों में.
Photo by: Habib.

जीवन इक आशा है, चलना परिभाषा है
बाधाएं हर क़दम, बन खड़ी निराशा है
जीने की चाव लिए, बढ़ने की ताव लिए,
तेरा संकल्प हीकठिनाई में, दिलासा है
दहका ले ज्वाला इक, ह्रदय की उछाहों में

कश्ती को तूफां में, चलने-मचलने दो  
शक्ति अक्षुण्य लिए, अपनी निगाहों में....

लहरों का जोश लिए, सागर सा होश लिए
उठा कदम कराल तू, अम्बर आगोश लिए
पर्वत की छाती पर, छाप छोड़ पावों के
धरती पर गाथा गढ़, उत्कट उदघोष लिए
तेज देख देख तेरा, सूर्य छुपे छाहों में...

कश्ती को तूफां में, चलने-मचलने दो
शक्ति अक्षुण्य लिए, अपनी निगाहों मे....


11 comments:

  1. चलना ही जिंदगी है । बहुत अच्छी पंक्तिया है हबीब जी

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  2. हमेशा की तरह बेहतरीन....
    हार्दिक आभार एवं शुभकामनायेँ !!हमेशा की तरह बेहतरीन....
    हार्दिक आभार एवं शुभकामनायेँ !!

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  3. हार गए जो आपकी रचना पढ़ कर जिन्दगी को फिर से जीने का जज्बा जगा दिया .. बहुत ही खुबसूरत..

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  4. अत्यंत ओजपूर्ण एवं प्रेरक पंक्तियाँ ! बधाई स्वीकार करें !

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  5. ओजपूर्ण एवं प्रेरक..........

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  6. ये मेरा गीत , जीवन संगीत
    कल भी कोई दोहरायेगा.......
    प्रेरणादायी रचना.निराश हृदय को निश्चय ही आशावान कर देगी.

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  7. 'धरती पर गाथा गढ़ , उत्कट उदघोष लिए
    तेज देख देख तेरा , सूर्य छुपे छाहों में ...'
    ..................नया ओज भरने में समर्थ रचना

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  8. लहरों का जोश लिए, सागर सा होश लिए
    उठा कदम कराल तू, अम्बर आगोश लिए
    पर्वत की छाती पर, छाप छोड़ पावों के
    धरती पर गाथा गढ़, उत्कट उदघोष लिए

    बहुत ओजपूर्ण सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति...बहुत सुन्दर

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  9. कश्ती को तूफां में, चलने-मचलने दो
    शक्ति अक्षुण्य लिए, अपनी निगाहों मे

    मस्त काव्य हे।

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  10. बहुत सुन्दर शब्द चुने आपने कविताओं के लिए..

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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