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"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)
एक नज़र इधर भी...
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समस्त सम्माननीय मित्रों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाईयों सहित एक नज़्म सादर समर्पित.. . झुक नहीं सकता कभी भी मान यह अभिमान है। ...
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कुछ व्यस्तताओं के चलते अपनी लम्बी अनुपस्थिति के लिए स्नेही मित्रों से सादर क्षमायाचना, आप सबके सहृदय स्नेह के लिए सादर आभार सहित शुभाभिनंदन....
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जंगल जंगल वेदना, मनुज वेदना शुन्य| भटके भूले राह सब, कहाँ पाप कंह पुण्य|| नादानी है छीनना, हरियाली के प्राण| वरदाता सब पेड अब, मांगें जीवनद...
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समस्त सुधि मित्रों को सादर नमस्कार। मित्रों कल शाम वाराणसी में इंसानियत फिर लहूलुहान की गयी। कुछ और ज़िंदा बमों की बरामदगी यह साबित करती है क...
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सभी स्वजनों को "ईद मुबारक" , मित्रों, दुनिया में हर इंसान का सबसे बड़ा धर्म और कर्म अपने ज़मीर को, दिल को तथा अपनी रूह को पाक और ...
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गमारे रिंद सवाली हैं मैकदा लेकिन खाली है माली हैरां न खिलने की गुलों ने कसम उठा ली है. बाग़ में उड़ती बातें हैं के आंधी आने वाली है....
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२९ मई २०१०। बापू! मैनें तो किताबों में पढ़कर ही जाना की १५ अगस्त १९४७ को हमारा देश अंग्रेजों की दासता से आज़ाद हुआ था, और तब उस बुलंद हिन्दु...
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वृ द्ध अजुध्या अपने दस साल के पोते को गोद में उठाये झपट कर ऑटो रिक्सा में घुसा और उसके पीछे पीछे बदहवास, बिलखती मीना.... अजुध्या ने हडबडाते ...
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समस्त सम्माननीय मित्रों को सादर नमन सहित आज प्रस्तुत है ओपन बुक्स आनलाईन महा उत्सव अंक १५ के लिए तलाश विषय रचित दोहे.... आँखें अपनी...
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समस्त सम्माननीय मित्रों को सादर नमस्कार... काफी हाउस की महफ़िल, नोक झोंक, हास परिहास ओर चुटकियों के बीच से निकली एक दुखबंदी.... ओ... ओ.. सॉर...
filhaal door door tak sirf aatank hai...
ReplyDeleteमुरख बैईठे गद्दी, साधु चले किनार
ReplyDeleteसती हां भूख मरे,लड़ुवा खाए छिनार
क्या कहें भाई कैसे मूर्ख है जो ऐसा काम करते हैं और वो लोग कैसे महामूर्ख हैं जो इन्हे ऐसा करने से जन्नत मिलेगी की शिक्षा देते हैं ।
ReplyDeleteआतंक के साये में ...।
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