वृद्ध अजुध्या अपने दस साल के पोते को गोद में उठाये झपट कर ऑटो रिक्सा में घुसा और उसके पीछे पीछे बदहवास, बिलखती मीना.... अजुध्या ने हडबडाते हुए ऑटो वाले से कहा- “बेटा, जल्दी चल.... जल्दी से बड़े अस्पताल ले चल....” उनकी दशा देख ऑटो वाले ने समय की नजाकत को समझा और बिना कुछ पूछे तेजी से ऑटो दौड़ा दी.
अजुध्या अपने गोद में लगभग अचेत पड़े पोते को हिलाकर होश में लाने का प्रयास कर रहा था. दस ही मिनट तो गुजरे हैं, जब बहू ने गोलू को पीछे बाडी में से मीठे नीम की पत्तियाँ तोड़ कर लाने को कहा. वह गोलू की फरमाईश पर आज उसके टिफीन के लिए आलू पोहा बना रही थी. तभी अजुध्या ने गोलू की चीख सुनी... वह दौडता हुआ सा बाडी में पहुंचा.... देखा नन्हां गोलू अपना पैर पकडे, रोते हुए एक ओर इशारा करके, जमीन में लुडक गया. अजुध्या ने उधर देखा... हे भगवान!!! देख कर उसकी चीख निकल गयी... गला फाडकर चिल्लाया...बहु.... भाग.... जल्दी से ऑटो रिक्सा बुला... गोलू को सांप ने काट लिया है....बदहवास मीना बाहर भागी... किस्मत अच्छी थी दरवाजे पर ही ऑटो मिल गयी...
अजुध्या गोलू के मुह से निकलने वाले झाग को पोंछते हुए मीना को ढाढस बंधाने लगा- “बेटी, धीरज रख, हम दो घड़ी में अस्पताल पहुँच जायेंगे.... गोलू बिलकुल ठीक हो जाएगा... तू हिम्मत रख, भगवान सब अच्छा करेगा.” मीना बिलखती रही.... “जाने किस जन्म का पाप काट रही हूँ बाबूजी, पहले गोलू के पापा जंगल में शहीद हो गये... आँख सूख न पाई कि गोलू इस हालत में है.”. अजुध्या की आँखों में बेटे प्रताप का चेहरा झूल गया... साथ ही कानो में गूंजने लगा प्रताप के दोस्त महेश की आंसू भरी आवाज... “बाबूजी, बस्तर में पुलिस गाड़ी लेंड माइन की चपेट में आ गयी.... बाबूजी..... प्रताप भी उसी गाड़ी में.....” अजुध्या ने अपने आँख मीच कर दोनों हाथों से कानों को ढांक लिया. उसने महसूस किया ऑटो धीमी होकर ठहर गयी थी. सिर उठा कर देखा आगे जाम लगा हुआ है... पता चला कि आगे चौक से कोइ मंत्री गुजरने वाले है... “हे भगवान, यह कैसी परिक्षा ले रहा है हमारी...” अजुध्या ने पीछे देखा, गाड़ियों की लंबी लाइन लग गयी थी...
वह झपट कर ऑटो से उतर आया, बोला- “बहु, चौक के उस पार ही अस्पताल है... चल...” मीना ने गोलू को अपने गोद में उठा लिया और वे गाड़ियों की भीड़ में से बमुश्किल गुजरते हुए आगे बढे.... चौक पर पहुँच कर देखा रस्सी लगा कर रास्ता बंद कर दिया गया था.... अजुध्या ने एक पुलिस अधिकारी को स्थिति बता कर विनती की- “साहब, मुझे और मेरी बहु को सड़क पार कर लेने दो... उस पार ही अस्पताल है साहब... हमें जाने दो, मेरे पोते का जीवन खतरे में है...” बिलखते अजुध्या और उसकी बहु की हालत देख पुलिस अधिकारी द्रवित हो गया, लेकिन वह कुछ करता उससे पेश्तर ही सारा वातावरण तेज सायरन की आवाजों से गूँज गया.... एक के बाद एक गाडियां चरमराती हुई चौक से गुजरने लगी... उस वक्त अजुध्या को लगा जैसे वह एक सड़क है और तमाम गाडियां उसके ऊपर से गुजर रही हैं.... गोलू का शरीर धीरे धीरे ठंडा पड़ता जा रहा था... वह आँख बंद कर प्रार्थना लगा.... उधर गाडियां गुजरती रहीं.... बीसियों गाडियां.... शायद और भी ज्यादा रही हो... पांच-सात मिनट से ज्यादा ही लगा होगा सभी गाड़ियों को गुजरने में.
मंत्री जी का काफिला गुजरने के बाद सड़क के दोनों ओर से गाडियों का रेला एक साथ बह निकला. हार्न और ब्रेक की तेज आवाजों के बीच गाड़ियों से टकराते अजुध्या और उसकी बहु गोलू को गोद में उठाए दौड चले. भगवान की कृपा से अस्पताल पहुँचने पर सब काम झटपट हो गया. गोलू को तत्काल आपात चिकित्सा कक्ष में ले जाया गया. डाक्टर उसके इलाज में लग गये.
अजुध्या और मीना बाहर बेंच में बैठे भगवान से प्रार्थना करते रहे... तभी डाक्टर आपात कक्ष से बाहर आया और अजुध्या के पास आकार पूछा- “सर्पदंश वाले बच्चे के साथ आप लोग हैं?” अजुध्या के हाँ में सिर हिलाने पर डाक्टर ने अपना हाथ अजुध्या के कांधे पर रख दिया.... “शायद बहुत जहरीला सांप था.... जहर पूरी तरह शरीर में फ़ैल गया था.... आप लोगों ने आने में थोड़ी देर कर दी....” सुनते ही मीना अचेत होकर लुडक गयी....., और अजुध्या.... अजुध्या की आँखें शून्य में टिक गईं.... उसने महसूस किया कि अनगिनत गाडियां सायरन बजाती हुई उसके ऊपर से गुजरती चली जा रही हैं.....
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आज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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kuch nahi kahna
ReplyDeleteये सायरन वाले बेंदरामन के हीही-खीखी ले बड़ हलकानी होगे हे, पहले त एके दुए ठीक रहिस, अब त सैकड़ा गन डारबे। चातर सड़क ले धरसा तक बस हुंवाच हुंव होवत हे, कुकुरमन घला भांडी मा सपट जथे। कहीं रुकतिस त एखर टायर मा.......।
ReplyDeleteबने केहे हस भैया अजुध्या के माध्यम ले आम जनता के पीरा ल।
राम राम
kabhi kabhi hamre aas-pas kuch aisha hota h jiske baare me kuch bhi kah pana muskil hota hai...
ReplyDeleteअत्यंत ह्रदय विदारक ..मार्मिक अभिव्यक्ति ....!!!!
ReplyDeleteकहानी पढ़ जैसे एक सन्नाटा पसर गया है .... बहुत मार्मिक ...
ReplyDeleteमार्मिक कथा......
ReplyDeleteइन नेताओं के ताम-झाम के कारण ट्रैफिक में फँसकर रोज न जाने कितनों की जिंदगियाँ इसी तरह समाप्त होती रहती हैं किन्तु इन संवेदनहीनों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला
मार्मिक .. पर सच है अपने देश का ... कडुवा सच ...
ReplyDeleteमार्मिक अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteसामाजिक विद्रूपता का सटीक चित्रण।
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क्या कहूं श्ब्द नही है बड़ी अफ़सोस नाक स्थिती है पर जहां इसंआन नही सिस्टम काम कर रहा हो वहां यही कुछ होता है ।
ReplyDeleteबेहद मार्मिक अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 24-- 11 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज ..बिहारी समझ बैठा है क्या ?
bhagwan aisa din kisi ko na dikhaye
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक कहानी।
ReplyDeleteसादर
उफ्फ ... बेहद मार्मिक ...
ReplyDeleteरौंगटे खडे हो गये इस ह्रदयविदारक सच्चाई को पढकर्…………ऐसा भी होता है ना जाने कितने मासूमो के साथ जो शायद ये व्यवस्था कभी नही जान पायेगी।सामाजिक विद्रूपता का सटीक चित्रण।
ReplyDeleteइसे पढने के बाद पता नहीं कहाँ खो गया, कोई भाव ही नहीं आये मन में. एक शांति सी पसर गयी हर ओर.
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