गमारे रिंद सवाली हैं
मैकदा लेकिन खाली है
माली हैरां न खिलने की
गुलों ने कसम उठा ली है.
बाग़ में उड़ती बातें हैं
के आंधी आने वाली है.
वादे किये पर न आईं
यादें तेरी शिकाली हैं.
माह का इंतज़ार कैसा?
रातें आजकल काली हैं.
गाते गाते लड़ने लगे
यारों कैसी कव्वाली है?
मुझको दिखे हैं उलटे लोग
'इतनी भी' जबकि ना ली है.
दिल ही पढना सीख 'हबीब'
चेहरे तो सारे जाली हैं.
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दिल ही पढना सीख हबीब
ReplyDeleteचेहरे तो सारे जाली हैं
.....................सच्चा शेर , उम्दा ग़ज़ल
bhut khubsurat gazal....
ReplyDeleteवाह साहब क्या खूब कही है आपने "गमारे रिंद""शकाली" का अर्थ समझ नही आया क्रुपया उसे भी एड करें तो पूरा लुफ़्त उठाया जाये
ReplyDeletesirf ek lafz mein kahun to "khoobsuart"
ReplyDeletekaash dil padna har koi seekh le..
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)
कल ,शनिवार ३०-७-११ को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी नयी -पुरानी हलचल पर..कृपया अवश्य पधारें ..!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से आज की बात कही है ..
ReplyDeleteवाह ………बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteखूबसूरत गजल.आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
बाग़ में उड़ती बातें हैं
ReplyDeleteके आंधी आने वाली है.
बहुत ही सुंदर...