Thursday, June 23, 2011

"नागों को जाकर है डसना - पैरोडी"

ये देश है बड़े घोटालों का,
जांचों की मकडी जालों का
इस देश का यारों. होए....
इस देश का यारों क्या कहना
चोरों के संग हमको रहना....
ऊं... ऊं.... ऊं..... ऊं....

सूटकेस में प्राईम मिनिस्टर यहाँ ख़रीदे जाते हैं.
तोपों की गोलों में काले पैसे डाले जाते हैं.
हवालाईयों के मुखडों की, लाली देखो तो यारों
'ताबूतों' में भी रख व्यंजन, यहाँ उडाये जाते हैं.
ऊं... ऊं.... ऊं..... ऊं....
यहाँ भेडिये वस्त्र पहनते कामधेनु की खालों का. होए...
इस देश का यारों क्या कहना
चोरों के संग हमको रहना....

छोटे मोटे चोरों की नित शामत आती है भाई
बड़े बड़े डाकू संसद के आज बने हैं गोसाई.
गरीबों के घर भूख, प्रेत बन नाच रहे देखो यारों
नेताओं के बंगलों से, नगरी कुबेर की शरमाई
ऊं... ऊं.... ऊं..... ऊं....
दर्शन यहाँ सरल है बेशर्मी से उठते भालों का, होए....
इस देश का यारों क्या कहना
चोरों के संग हमको रहना....

बाबा, अन्ना अनशन करते, भ्रष्टाचार मिटाने को  
मुल्क समूचा साथ खडा है, लाठी गोली खाने को
सच्चाई के साये में, तन बदन सुलगते हैं जिनके
अग्नि-असुरों का समूल, संग आओ वंश मिटाने को  
ऊं... ऊं.... ऊं..... ऊं....
कदम पलटने ना दें अब, सच्चाई के रखवालों का, होय....
चोरों पर फंदा है कसना,
नागों को जाकर है डसना

वरदान वोट का पाकर सारे, भष्मासुर हैं बन बैठे
जनता की तकलीफों का क्या? खाते पीते हैं ऐठे
इन पर से सत्ता-मदिरा का, नशा उतारो अब यारों
भ्रष्टाचार के सागर में, जो बैठे हैं गहरे पैठे  
ऊं... ऊं.... ऊं..... ऊं....
आज रहस्य पूछें सब इनके, लाल गुलाबी गालों का, होय...
चोरों पर फंदा है कसना,
नागों को जाकर है डसना
ऊं... ऊं.... ऊं..... ऊं....

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7 comments:

  1. वाह हबीब भाई वाह !

    गज़ब की पैरोडी लिखी है ....

    पूरे देश की दुर्गति का खाका खींचते हुए बहुत सार्थक आह्वान किया है

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  2. बहुत बढ़िया ... अब यही गाना बजना चाहिए

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  3. mazaa aa gaya .... maine to ise gaa bhi liya

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  4. सुन्दर पैरोडी .. अब तो यही बाकी है

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  5. भैया सादर प्रणाम,
    वाकई पढ़कर बहुत मजा आया और अब तो इसे हम गुनगुनाने भी लगे हैं !!

    न जाने मेरे देश के तथाकथित कर्णधारों को माँ भारती की पीड़ा क्यों नहीं समझ आती या वे समझ कर भी क्यों अनजान बने रहते हैं...

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  6. मजा आ गया काश यह गीत संसद मे एक बार बज पाता शायद बेशर्मो को शर्म ही आ जाती

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  7. वाह साहब !
    खूब कटाक्ष लिखा है
    हर बात अपना असर दे रही है
    बहुत खूब !!

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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