Saturday, December 18, 2010

"बापू के बन्दर"

मैनें देखा
बापू के तीनों बन्दर
एकदम "डिफरेंट पोजीसन"
में बैठे हैं...

मैनें पूछा -
ये क्या हुआ, आप तीनों
अपनी भिन्न मुद्राएँ बदलकर
एक ही मुद्रा बनाकर कैसे बैठे हैं?

उनमें से एक बोल उठा-
क्या करें,
बरसों से हम
अपनी नैसर्गिक प्रवृत्ती छोड़
शांत बैठकर,
लोगों को
बुरा ना देखने
बुरा ना सुनने और
बुरा ना बोलने
की शिक्षा देते आ रहे हैं...
बावजूद इसके
हमारे सन्देश के
विरोधियों की संख्या
निरंतर बढ़ती जा रही है....

सुना नहीं तुमने
अरुंधती,
गिलानी,
चिदंबरम,
दिग्विजय
और अब
बुरा बोलने वालों की ज़मात का
ताजा उदहारण,
राहुल बाबा ने क्या कहा...?

अब तुम्हीं बताओ
ऐसे में हम तीनों
"सर पकड़ कर" (जिसे तुम एक ही मुद्रा में बैठना कह रहे हो)
ना बैठें
तो क्या करें??

********** :-)) ************** ((-: ************

5 comments:

  1. बहुत सही ...अच्छी प्रस्तुति ..

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  2. हबीब भाई,
    चित्रों के माध्यम से आपने बहुत कुछ कह दिया है। सटीक पोस्ट। नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  3. बहुत सुन्दर हबीब भाई.... बहुत उम्दा लिखा.... बधाई....

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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