Tuesday, December 7, 2010

"सुर्ख पानी के कतरे"

समस्त सुधि मित्रों को सादर नमस्कार। मित्रों कल शाम वाराणसी में इंसानियत फिर लहूलुहान की गयी। कुछ और ज़िंदा बमों की बरामदगी यह साबित करती है कि वहाँ और भी धमाकों की साजिशें थीं। शुक्र है, वाराणसी में श्रृंखलाबद्ध धमाकों की कोशीश नाकाम हुई, पर इस मासूम दिल का क्या, जहां लगातार धमाके हुए जा रहे हैं.... वहाँ से उठने वाली चीखें कान के परदे फाड़े डाल रही हैं.... धर्म के नाम पर इक्कीसवीं सदी की सभ्यता कहाँ जा रही है... गुस्सा है ज़ेहन में.... बेहद गुस्सा... आक्रोश के साथ आँखों से सुर्ख पानी के कुछ कतरे भी बह आये हैं....
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धर्म के नाम पर रोज़, हत्याएं करने वालों।
तुम्हारा चले, तो तुम अल्लाह को मार डालो।
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सद्भावनाओअमन बुनियाद है हरेक धर्म की,
कौन धर्म कहता है, तुम किसी की जां लो?
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मासूम खिलखिलाहट में, खुदा गर नहीं दिखता,
मुमकिन नहीं है फिर, तुम खुदा को पा लो।
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सीमा पार से आतंक को मदद करते, एक दिन,
अरे! मिट जाओगे तुम, जाओ खुद को सम्हालो।
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फूटेगा ज्वालामुखी बनकर, तबाह हो जाओगे,
'हबीब' के रगों का लहू, इस क़दर ना उबालो।
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6 comments:

  1. कल की घटना टी.वी . में देखकर बेहद दुःख हुआ .... बेचारे कई निरीह मासूम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है ... जब तक इस देश में आतंकियों को फाँसी की सजा नहीं दी जाती है या कठोर अपराध करने पर साउदी अरब देश की तरह हाथ काटे जाने जैसे कठोर दंड नहीं दिए जाते हैं तब तक बेकसूरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा .... बहुत ही सम सामयिक भावपूर्ण पूर्ण रचना ... आभार

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  2. बहुत ही सम सामयिक भावपूर्ण पूर्ण रचना ... आभार

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  3. बनारस की घटना ..और ना जाने कितनी घटनाएँ जन्म लेंगी ...बहुत समसामयिक रचना ...काश लोंग इससे प्रेरणा लें

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  4. गर 'खुदा' मिल भी जाए तो क्या फर्क
    शैतान थे और हैं, शैतानियत न छोड़ेंगे !

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  5. सामयिक भावपूर्ण पूर्ण रचना ...काश!!!! लोंग प्रेरणा लें
    नमः पार्वती पत्ये: हर हर महादेव

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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