समस्त सुधि मित्रों को सादर नमस्कार। आज बचपन में पढ़ी एक कहानी मेरे हाथ आ गयी.... शेर का फंदे में फसना, चूहे का जाल कुतरना... बड़ी शिक्षाप्रद कथा है। आज के परिवेश में उस कथा को परखने और विचारने का प्रयास किया तो एक सांकेतिक व्यंग्य रचना बन पडी। प्रस्तुत है -
"चूहा और शेर"
शेर के
शक्तिशाली पंजे में दबे
चूहे ने मिन्नत की-
"हुजुर, माईबाप,
मुझे छोड़ दें
मैं आपके काम आउंगा,
वक़्त आने पर
पिछली बार की तरह
जाल कुतर कर
आपको आज़ाद कराऊंगा..."
शेर ने पंजे का
दबाव बढ़ाया,
चूहे की कराह पर
कुटिलतापूर्वक मुस्कराया
बोला- "नादान चूहे,
मैंने उस समस्या को ही
ख़त्म कर दिया है,
शेरनी के नाम पर
जाल बनाने वाली कंपनी का
फिफ्टी परसेंट शेयर
खरीद लिया है...
अब तो बस हम
उन्हें जाल बिछाने की
जगह बताएँगे
जितने फसेंगे उसका आधा
वे ले जायेंगे, और
आधा मैं और शेरनी
आराम से खायेंगे।
चूहे, तुम्हें छोड़ दिया तो तुम
अपनी हरक़त से बाज नहीं आओगे,
जाल कुतरोगे
और हमें नुकसान पहुँचाओगे।
इसलिए बहुत जरुरी है,
तुम्हें खाना
मेरी मजबूरी है..."
कहता हुआ शेर
चूहे को पान की तरह चबा गया,
उसके चहरे पर
निश्चिंतता का भाव आ गया।
***********************
"चूहा और शेर"
शेर के
शक्तिशाली पंजे में दबे
चूहे ने मिन्नत की-
"हुजुर, माईबाप,
मुझे छोड़ दें
मैं आपके काम आउंगा,
वक़्त आने पर
पिछली बार की तरह
जाल कुतर कर
आपको आज़ाद कराऊंगा..."
शेर ने पंजे का
दबाव बढ़ाया,
चूहे की कराह पर
कुटिलतापूर्वक मुस्कराया
बोला- "नादान चूहे,
मैंने उस समस्या को ही
ख़त्म कर दिया है,
शेरनी के नाम पर
जाल बनाने वाली कंपनी का
फिफ्टी परसेंट शेयर
खरीद लिया है...
अब तो बस हम
उन्हें जाल बिछाने की
जगह बताएँगे
जितने फसेंगे उसका आधा
वे ले जायेंगे, और
आधा मैं और शेरनी
आराम से खायेंगे।
चूहे, तुम्हें छोड़ दिया तो तुम
अपनी हरक़त से बाज नहीं आओगे,
जाल कुतरोगे
और हमें नुकसान पहुँचाओगे।
इसलिए बहुत जरुरी है,
तुम्हें खाना
मेरी मजबूरी है..."
कहता हुआ शेर
चूहे को पान की तरह चबा गया,
उसके चहरे पर
निश्चिंतता का भाव आ गया।
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waah bahut khub,,,,,,
ReplyDeleteMazaaaa aa gaya.
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
ReplyDeleteश्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!
वाह !!!!! आप व्यंग भी लिखते हैं आज पता पड़ा ....देखते है आप के पिटारे में से और कौन कौन सीकाव्य विधा निकलती है | आप पर माँ शारदा की असीम अनुकम्पा है भाई जी !! आप शब्दों के वो जादूगर है जो सरल शब्दों में ...... इतनी गूढ़ बात .....जो की पढने वाले की अंतरात्मा को झकझोर दे .........वो कला है आप के पास | इस रचना के लिए आप बधाई के पात्र है |
ReplyDeleteहर हर महादेव
...kyaa baat hai ... bahut khoob !
ReplyDeletesaral aur ispasht - utam
ReplyDeleteवाह क्या बात है......भावों को अभिव्यक्त करने की कला तो सच में कोई आप से सीखे !!
ReplyDeleteकितने सहज रूप में आपने सब कुछ कह दिया है............लाजवाब......... !!
achcha vyang.
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