Sunday, October 3, 2010

"बापू और सत्य"

शोरोगुल सुन
घबराया सत्य
बापू की प्रतिमा के पीछे
छुप कर बैठ गया...

डरे, सहमे, सशंकित भाव से
उसने झाँक कर देखा
नारे लगाती
भीड़ के आगे चलते हुए,
झक सफ़ेद
खादी में लिपटे
वे आये,
बापू की प्रतिमा में
माल्यार्पण किया,
चरणस्पर्श किया,
'पीछे' आई भीड़ को
बापू के बताये रास्ते में...
बापू के 'पीछे' चलने की शिक्षा दी...
और बापू की ओर
पीठ फेर कर चल दिए...
'पीछे' आई भीड़ भी
'पीछे' चल दी....

'पीछे' रह गए...
बापू और सत्य !!!

**************

11 comments:

  1. mai bhi bapu ke peechhe jagadalpur gaya tha.. shanti ko lekar ek sabha ka mukhya vaktaa thaa. abhi lauta aur ye vichar ke liye prerit kavita parhee. badhai.

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  2. सराहनीय पोस्ट के लिए बधाई .

    कृपया इसे भी पढ़े - -

    बीजेपी की वेबसाइट में हाथ साफ http://www.ashokbajaj.com

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  3. सत्य कहती रचना ...सब कुछ पीछे ही छूट चुका है ..

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  4. भैया बेहतरीन भावपूर्ण पोस्ट के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें........

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  5. अद्भुत अभिव्‍यक्ति, तीक्ष्‍ण प्रहार.

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  6. waa bro....
    realy beautiful..............
    "piche rah gaye bapu n satya.....
    '
    keep it up.....dear ...!

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  7. कृपा है आप पर ईश्वर की जो लगातार लिख पा रही हैं,बड़े-बड़े लेखक तो महीनों मूड बनाने में खर्च कर देते थे.
    आनद आता है आपकी रचना यात्रा को निरखकर!!
    नमः पार्वती पतेः हर हर महादेव

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

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  9. बापू के नाम पर होने वाले आडम्बरों की अच्छी खबर ली है आपने।
    चित्र और अभिव्यक्ति दोनो लाजवाब है। कविता लिख कर चित्र ढूंढा या चित्र देखकर कविता लिखी...कहना मुश्किल है।

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  10. Bahut hi shandar vyangya rachna ---ek katu satya ko samne lane vali....

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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