मैंने देखा वे राष्ट्रीय कार 'एम्बेसडर' से उतर कर तेजी से अपने केबिन की और बढ़े। मैंने आवाज दी - "माननीय गृहमंत्री जी, आपसे कुछ पूछना है।" वे मुझ पर एक तिक्त नजर डालकर आगे बढ़ गए, फिर जाने क्या सोचकर ठिठके, मुझे पीछे आने का इशारा किया और बढ़ चले। मैं तेज कदम चलाकर उनके साथ आ गया। "जो पूछना है जल्दी पूछो, मुझे बहुत काम है, ढेर सारे बयान तैयार करने है।" उन्होंने कहा, और अर्दली द्वारा खोले गए द्वार से अपने केबिन के भीतर चले गए। मुझे बैठने का इशारा कर उन्होंने टीवी आन कर लिया। एक न्यूज चेनल में एक आदमी जैसा देखने वाला नेता हाथ उठा उठा कर गरज रहा था- "यह बयान उनके द्वारा साजिश के तहत वर्ग विशेष की तुष्टीकरण के लिया दिया गया है... हम देश भर में, गली गली में जाकर इसका विरोध करेंगे..." मैं सोचने लगा कि विरोध के ही बहाने आप सब कम से कम देश की गलियों में तो पहुँचो... देश की असली समस्याओं से वाकिफ तो होवो.... मंत्री जी ने भुनभुनाते हुए टीवी बंद कर दिया और मेरी ऑर मुखातिब हुए।
मैंने बिना किसी लाग लपेट के पूछ लिया - " मंत्री जी आपने ये क्या कह दिया, भगवा... ।"
उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा- "सब मीडिया की शैतानी है, इन्हें बात का बतंगड़ बनाने में मजा आता है।"
मैंने शिकायती लहजे में कहा- "माननीय महोदय ये क्या बात हुई, आपने भगवा आतंकवाद कहा, मीडिया ने भगवा आतंकवाद लिखा। इसमें शैतानी वाली क्या बात है?"
उन्होंने कहा - "दूरदर्शिता... मीडिया वालों में दूरदर्शिता का अभाव है। दूरदर्शिता का अर्थ होता है, दृश्य के पीछे अदृश्य को देखना और समझना... ।
मैंने बात बदल कर मुस्कुराते हुए कहा - "अभी टीवी पर विपक्षी नेता जी क्या गलत कह रहे थे? आपने धानी रंग को खुश करने के लिए भगवा रंग का इस्तेमाल कर दिया... । अगर कुछ है तो इसका दूरदर्शी पक्ष आप ही बता दीजिये।
वे अपने सिंहासन से उठ गए, चलते हुए कहने लगे - "मैंने कहा था दूरदर्शिता ... बताईये, हमारे राष्ट्र ध्वज में कितने रंग होते हैं? देखो धानी रंग को आतंकवाद में पहले ही किसी ने शामिल कर दिया है, मैंने उसमें भगवा रंग मिला दिया, सफ़ेद रह गया है..... वह भी आ जायेगा.... और वे केबिन के द्वार से पार होकर अदृश्य हो गए।
मैं सोचता बैठा रह गया - "जिस तेजी से आतंकवाद राष्ट्र में अपनी जड़े जमा रहा है, बहुत जल्द लगता है राष्ट्रीय धर्म बन जायेगा आतंकवाद। जय हो राजनीतिज्ञों ... जल्द ही आप आतंकवाद में सफ़ेद रंग का तडका भी लगा दीजिये... फिर देखना कितना अच्छा लगेगा... "राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, राष्ट्रीय धर्म तिरंगा।"
तभी किसी ने मुझे टहोका। नींद खुल गयी। मेरा बेटा कह रहा था - "पापा चलिए उठिए, और आज कोई बहाना नहीं चलेगा मुझे आज आपके साथ "जतमई" का वाटर फाल देखानाईच है। आप जल्दी से तैयार हो जाओ। मैं स्वप्न की बातों पर मुस्कुराता उठ बैठा।
भैया सादर प्रणाम, शानदार पोस्ट ओर करारे व्यंग के लिए शुभकामनायें स्वीकार करें !!
ReplyDeleteतिरंगे के रंगों को कहाँ जोड़ दिया है , रोचक , सफ़ेद रंग शान्ति का प्रतीक है ,इसका तड़का लगना ही चाहिए ।
ReplyDeleteटिप्पणी का शुक्रिया , और अपनी पूरी नज्म का लिंक दीजिये । आइनों से नजर चुराओगे कब तक ..वाली का ।
aisa sundar likhane vale kam log hai. badhai.
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