Sunday, October 23, 2011

दीप छंद - १

कुण्डलिया

(१)
काली रातों में खिले, दीपक बन के फूल
उजियारे रत खोज में, अंधियारे का मूल
अंधियारे का मूल, कहाँ स्थित जीवन में
आओ हम तुम बैठ, तलाशें अपने मन में
यही पर्व का पाठ, करें सुख की रखवाली
मन का दीपक बार, कहाँ फिर राहें काली.

(२) 
कितने कितने कर जुड़े, उमड़े कितने दीप 
कितना बिखरा नेह है, कितने भाव प्रदीप
कितने भाव प्रदीप, जुड़े उर से उर सबके 
और मनाएं पर्व, सभी हिल मिल कर अबके 
शपथ उठायें चलो, बाँट दें सुख हो जितने
कदम उठे निःशंक, भला दुख होंगे कितने?

(३) 
अपने अपने दीप ले, अपने अपने साज 
एक सभी के राग हों, और मधुर आवाज 
और मधुर आवाज, सभी मिल खुशियाँ गायें 
गैर यहाँ पर कौन, हृदय सभी जगमगायें 
झिलमिल मेरी आँख, सजायें तेरे सपने
मेरे सारे ख्वाब, बना ले तू भी अपने.

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सादर बधाईयाँ
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34 comments:

  1. शुभकामनाएं ||

    रचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
    माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
    घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
    लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
    नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
    दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||

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  2. बहुत सुन्दर भावों से सजे छंद ..

    दीपावली की शुभकामनायें

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  3. बहुत अच्‍छी रचनाएं .. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

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  4. शपथ उठायें चलो, बाँट दें सुख हो जितने
    कदम उठे निःशंक, भला दुख होंगे कितने?
    सुन्दर भाव!
    शुभकामनायें!!!

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  5. बहुत सुंदर छंद ... हार्दिक शुभकामनाएं

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  6. अंधियारे का मूल, कहाँ स्थित जीवन में
    आओ हम तुम बैठ, तलाशें अपने मन में

    हबीब भाई,बहुत ही खूब.

    आपको भी दीपावली की शुभ कामनाएं.

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  7. दीपावली की शुभकामनाएं

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  8. सभी कुंडलियां लाजवाब!
    प्रकाश पर्व की विभिन्न छटा बिखरती यह रचना अच्छी लगी।
    दीपावली की शुभकामनाएं।

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  9. वाह ...बहुत बढि़या ..दीपोत्‍सव पर्व की शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

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  10. दूसरी कुण्डली बहुत अच्छी है। मन ही समस्या है,मन ही समाधान।

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  11. आपको दीपावली की शुभकामनाएं .

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  12. कल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
    अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।।

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  13. This comment has been removed by the author.

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  14. बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  15. सुंदर छंद
    आपको व आपके परिवार को दीपावली कि ढेरों शुभकामनायें

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  16. सुघ्घर छंद रचे हस भाई,
    देवारी के गाड़ा गाड़ा बधाई।

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  17. वाह..बहुत
    खूब .......................................दोहों के आगे दोहे
    =========
    ज्योति-पर्व पर आपको, प्रेषित मंगल-भाव।
    भव-सागर में आपकी, रहे चकाचक नाव॥
    =========
    सद्भावी- डॉ० डंडा लखनवी

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  18. प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

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  19. हबीब साहब! इस दीप-सी जगमगाती रचना के लिये बधाई! बहुत ही सुंदर विचार और बहुत सुंदर प्रस्तुति!

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  20. कानों के कुण्डलों की तरह सुंदर कुंडलियाँ . आभार. ज्योति पर्व दीवाली की आपको सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .

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  21. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हबीब साहब.. आभार..
    साथ में दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..

    -:शुभ दीपदाली:-

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  22. अति सुन्दर....** दीप ऐसे जले कि तम के संग मन को भी प्रकाशित करे ***शुभ दीपावली **

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  23. पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । दीपावली की शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

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  24. उत्कृष्ट रचनाएं
    आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ !

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  25. दीपावली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  26. सुंदर दीप छंद।
    ..शुभ दीपावली।

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  27. जगमग-जगमग दिया जलाओ...

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  28. बहुत सुन्दर भावों से सजी हैं सभी कुंडलियाँ.... शुभ कामनाएं |

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  29. ऐसी कुण्डलियाँ गढ़ीं , जैसे दीप-कतार
    इससे उत्तम हो भला क्या कोई उपहार
    क्या कोई उपहार, शब्द-रत्नों से बढ़कर
    लक्ष्मी आई द्वार ,नेह-आमंत्रण पढ़कर
    कहे अरुण फूटे अनार लाखों फुलझड़ियाँ
    संजय मिश्रा ने भेजी ,ऐसी कुण्डलियाँ.

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  30. तीनो कुन्डलियाँ लाजवाब हैं। बधाई।

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  31. अपने अपने दीप ले, अपने अपने साज
    एक सभी के राग हों, और मधुर आवाज
    और मधुर आवाज, सभी मिल खुशियाँ गायें
    गैर यहाँ पर कौन, हृदय सभी जगमगायें

    प्रेरक संदेश देतीं सुंदर कुंडलियां।

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  32. बहुत ही सुन्दर छंद है..

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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