समस्त सुधि, स्नेही, सहृदय मित्रों को सादर नमस्कार। मित्रों, हमारे जापानी भाई/बहन आज गंभीर त्रासदी की चपेट में हैं... उगते सूरज का यह चितेरा देश आज गहरे अँधेरे में डूबा है....
"कितनी लम्बी रात है, इन्हें नहीं मालूम।
सूर्योदय का रास्ता, देख रहे मासूम॥
आईये, दो क्षण हाथ जोड़ कर सर्वशक्तिमान से दुआ करें कि वह हमारे असहाय भाई/बहनों को सहारा दे। विधाता से रहम की गुजारिश के साथ एक ग़ज़ल "पानी ले आया ये कैसा शरर" लाखों भाई बहनों को समर्पित है...
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लहरों का गुस्सा, परमाणु ज़हर।
खुदाया! क्यूँ टूटा है तेरा कहर।
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खुशियों की लाशें, अश्कों के कफ़न,
तस्वीरें दर्दनाक, जहां तक नज़र।
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चला है उसके आगे किसका जोर,
जैसे है तिनका, करे क्या बशर।
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दुआओं में उट्ठे हैं तमाम हाथ,
फरियादें होंठों पर, आँखे अहमर।
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जाएँ कहाँ सारी दुनिया है यार,
उसकी ही चौखट, उसका ही दर।
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करें उसके नाम अपने सारे करम,
'वो' ही 'हबीब' सबका सच्चा रहबर।
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शब्दार्थ: बशर = इंसान। अहमर = सुर्ख।
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"हे प्रभु! अपने संतानों पर रहम कर, कृपा दृष्टी बनाए रख।"
He bhagvan ! Tumhare hi sharan me hai ham.. Ay malik tere bande ham....
ReplyDelete- Pankaj Trivedi
However, God is great......!!
ReplyDeleteDefinitely he will open next door for them.
May God bless them all.
आदरणीय हबीब साहब
ReplyDeleteसादर अभिवादन !
कितनी लंबी रात है , इन्हें नहीं मा'लूम … जापान के हर नागरिक के प्रति चिंता करते हुए इस दोहे के बाद लिखी संवेदना से भरी इस रचना के लिए साधुवाद !
दिनेश मिश्र जी से सहमत हूं
परमात्मा बहुत महान है, वह अवश्य ही उनके लिए अगला द्वार खोलेगा ।
रचना बहुत अच्छी और संवेदना जाग्रत करने वाली है …
भगवान सबका भला करे … आमीन !
हार्दिक मंगलकामनाएं !
शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
संवेदनशील रचना ....ऐसी आपदा की स्थिति में उस महान शक्ति जिसे हम ईश्वर कहते हैं उनकी ही शरण में जाना पड़ता है ...
ReplyDeleteत्रासदी का बयाँ करती आपकी नज़्म जापानी लोगों के लिए सची दुआ है.
ReplyDeleteसलाम .
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति...इश्वर मृतात्माओं को शांति एवं इस दुखद घडी को सहने की शक्ति प्रदान करें यही कामना है !!!
ReplyDeleteसुदर भावाभिवाक्ति, सार्थक चिंतन... इश्वर जापान को सहारा दे... आभार.
ReplyDeleteआपकी इस रचना की जितनी भी तारीफ करूँ कम है ...
ReplyDeleteएक एक शब्द दिल में उतरता है ...
समाचारों पर हर पल निगाह है ....
आँखों में वेदना ...
हाथों में दुआ .....
शायद हमारी भी बारी आती हो क्या पता .....