Sunday, February 13, 2011

वेलेनटाइन डे

मैनें नेताजी को बधाई दे कर
अपनी चिंता बताई-

वेलेनटाइन का तीर,
जिगर-ए-हिंद के पार है
हर 'वीर' 'जारा' से कर रहा
इश्क का इज़हार है,

कुछ लोग धर्म पताका लेकर
सिखलाते उन्हें संस्कार हैं
'वीर-जारा' को लगता उन पर
होता घोर अत्याचार है

कुछ करती क्यों नहीं
आपकी सरकार है

वे मुस्कुराए बोले-
छोडो ना यार...
"अपना तो हर दिन
वेलेनटाइन डे है,
अपनी वेलेनटाइन तो
बॉस भ्रष्टाचार है... ।"



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3 comments:

  1. बहुत सही बात कही!!!


    वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर said...

    डॉ. डंडा लखनवी जी के दो दोहे

    माननीय डॉ. डंडा लखनवी जी ने वृक्ष लगाने वाले प्रकृतिप्रेमियों को प्रोत्साहित करते हुए लिखा है-

    इन्हें कारखाना कहें, अथवा लघु उद्योग।
    प्राण-वायु के जनक ये, अद्भुत इनके योग॥

    वृक्ष रोप करके किया, खुद पर भी उपकार।
    पुण्य आगमन का खुला, एक अनूठा द्वार॥

    इस अमूल्य टिप्पणी के लिये हम उनके आभारी हैं।

    http://pathkesathi.blogspot.com/
    http://vriksharopan.blogspot.com/

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  2. saral va ispasht -**
    Nakshe se asantusht hu :(

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  3. वाह भैया क्या बात है...!!
    वेलेंटाइन डे की यह पोस्ट तो बड़ी शानदार है....बधाई एवं आभार !!

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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