देशभक्ति का ज्वार उठा कल, लहराया था बाहों में।
गया ज्वार अब देख पड़ा हूँ, खारों के संग राहों में।
हम दुनिया में सबसे अच्छे, दुनिया के सिरमौर हैं हम।
कितनी जल्दी आ जाता हूँ, मैं ऐसी अफवाहों में।
"रेड-फोर्ट" से सुना रहा है, कथा तरक्की का बन्दा।
बरसों में जो काम ना हुआ, कर देंगे हम माहों में।
आयातों पर अवलंबित है, अर्थ-व्यवस्था मेरी भी।
पूरी हो या ना हो भाई, ख्वाब तो रखूं निगाहों में।
मुफलिसी की जात मिटा दे, ऐसी राह दिखा दूं क्या?
अभी से गिनना चालू कर दे, 'हबीब' तू खुद को शाहों में।
---------------------------------------------------------------
गया ज्वार अब देख पड़ा हूँ, खारों के संग राहों में।
हम दुनिया में सबसे अच्छे, दुनिया के सिरमौर हैं हम।
कितनी जल्दी आ जाता हूँ, मैं ऐसी अफवाहों में।
"रेड-फोर्ट" से सुना रहा है, कथा तरक्की का बन्दा।
बरसों में जो काम ना हुआ, कर देंगे हम माहों में।
आयातों पर अवलंबित है, अर्थ-व्यवस्था मेरी भी।
पूरी हो या ना हो भाई, ख्वाब तो रखूं निगाहों में।
मुफलिसी की जात मिटा दे, ऐसी राह दिखा दूं क्या?
अभी से गिनना चालू कर दे, 'हबीब' तू खुद को शाहों में।
---------------------------------------------------------------
हम दुनिया में सब से अच्छे दुनिया के सिरमौर है हम
ReplyDeleteकितनी जल्दी आ जाता हूँ मै ऐसी अफवाहों में................
वाह भाई साहिब वाह!!!! क्या बात है .......इस ग़ज़ल के लिए आपका अभिनन्दन करता हूँ भाई साहिब ... हर शेर पर वाह वाह अनायास ही निकल पड़ता है... काव्य कि हर विधा पर आपकी पकड़ गहरी से गहरी होती जाए इन्हीं शुभकामनाओं के साथ....
हर हर महादेव
गजल के माध्यम से बहुत ही गहरे भाव. बढ़िया रचना.
ReplyDeleteआयातों पर अवलंबित हैं .............. बहुत सुन्दर शेर भाई साहब, धन्यवाद.
ReplyDeleteसत्य को उद्घाटित करने वाली पत्रकार आाशा शुक्ला को वसुन्धरा सम्मान
सुन्दर पोस्ट, छत्तीसगढ मीडिया क्लब में आपका स्वागत है.
ReplyDelete