जागा है हिन्दुसतान, ना सोने देना साथी...
आज इस सहर की शाम ना होने देना साथी...
बहुत किये समझौते हमने,
आशाओं को सूली दी..
कदम कदम पर सपने मारे,
अपने, उन्हें वसूली दी..
आज उठाया है सर अपना,
स्वाभिमान फिर पाने को..
कदम रुके मत, साहस ना खोने देना साथी....
आज इस सहर की शाम ना होने देना साथी...
स्वतन्त्रता की खातिर था,
लगा शहीदों का मेला..
भारत पर कुर्बान हुआ जो,
हर बेटा था अलबेला..
उनकी यादें मिटा रहे वो,
भ्रष्टाचार निभाने को..
उन शहीदों को गुमनाम ना होने देना साथी...
आज इस सहर की शाम ना होने देना साथी...
वो कहते अधिकार नहीं है,
अपनी बात सुनाने की..
उनको कहाँ मिली इजाजत,
देश बेच कर खाने की..
अब ना खाने देंगे आओ,
अपना मुल्क बचाने को..
अब अपनी आँखों को, फिर ना रोने देना साथी...
आज इस सहर की शाम ना होने देना साथी...
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बहुत सुन्दर आह्वान …………आज इसी की जरूरत है।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक आगाज़....
ReplyDeleteजागा है हिन्दुसतान, ना सोने देना साथी...
ReplyDeleteआज इस सहर की शाम ना होने देना साथी...bhaut hi sarthak abhivaykti....
saarthak lagi kavita aapki
ReplyDeletehttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
अभी सकारात्मक सोच की ही आवश्यकता है ...सार्थक गीत
ReplyDeleteज़मीरे खुद में देखा, फ़क़त तारीको खलाश है. खुद को न पा सका, मुझे अपनी ही तलाश है.
ReplyDeleteI Loved these lines..Who penned them, Dear Habib ji?
सार्थक आह्वान ... सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteBahut hi saarthak pukar hai... Badhai..
ReplyDeleteआज कुशल कूटनीतिज्ञ योगेश्वर श्री किसन जी का जन्मदिवस जन्माष्टमी है, किसन जी ने धर्म का साथ देकर कौरवों के कुशासन का अंत किया था। इतिहास गवाह है कि जब-जब कुशासन के प्रजा त्राहि त्राहि करती है तब कोई एक नेतृत्व उभरता है और अत्याचार से मुक्ति दिलाता है। आज इतिहास अपने को फ़िर दोहरा रहा है। एक और किसन (बाबु राव हजारे) भ्रष्ट्राचार के खात्मे के लिए कौरवों के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है। आम आदमी लोकपाल को नहीं जानता पर, भ्रष्ट्राचार शब्द से अच्छी तरह परिचित है, उसे भ्रष्ट्राचार से मुक्ति चाहिए।
ReplyDeleteआपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई।
सामायिक रचना .
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
आस्था और विश्वास से ओतप्रोत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteसरल शब्दों में रचना करनें में आप सिद्धहस्त हैं!
बहुत किये समझौते हमने,
ReplyDeleteआशाओं को सूली दी..
कदम कदम पर सपने मारे,
अपने, उन्हें वसूली दी..सरल शब्दों में बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
बहुत किये समझौते हमने,
ReplyDeleteआशाओं को सूली दी..
कदम कदम पर सपने मारे,
अपने, उन्हें वसूली दी..
जय हिंद ......
bahut prerak aur sundar kavita.
ReplyDeleteलोगो के सोंच बदलने होंगे ! सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteसही,सटीक,सामयिक और प्रेरक.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, सार्थक, प्रेरणादायक आह्वान करती रचना |
ReplyDeleteकृपया मेरी रचना देखें और ब्लॉग अच्छा लगे तो फोलो करें |
सुनो ऐ सरकार !!
और इस नए ब्लॉग पे भी आयें और फोलो करें |
काव्य का संसार
सार्थक प्रस्तुति
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