३ मई २०१०
आनंद मठ की परंपरा को फिर हमें अपनाना होगा।
हिंद के बेटों उट्ठो के वन्दे मातरम गाना होगा।
आततायी आज अपने ही बने हैं,
तेग भाई की ही भाई पर तने हैं,
एकता का सूत्र पुनः सिखलाना होगा।
हिंद के बेटों उट्ठो के वन्दे मातरम गाना होगा।
शासकों ने आँख अपनी फेर ली है,
सेना अपनी गीदड़ों ने घेर ली है,
बाघ की भाँती हमें लड़ जाना होगा।
हिंद के बेटों उट्ठो के वन्दे मातरम गाना होगा।
आज जीवन ही बड़े खतरे में है,
रक्षक हमारे खुद कड़े पहरे में है,
अपना बीड़ा स्वयं हमें उठाना होगा।
हिंद के बेटों उट्ठो के वन्दे मातरम गाना होगा।
उट्ठो, जागो की सागर मंथन की घडी है,
हिंद की चिंता यहाँ किसको पड़ी है,
महादेव बन गरल हमें पी जाना होगा।
हिंद के बेटों उट्ठो के वन्दे मातरम गाना होगा।
BHAIYA SADAR PRANAM , MAI IS RACHNA PAR KUCH KAH SAKUN ITNI MERI SHAKTI NAHI , BESHAK MAI ISE PADHKAR ABHIBHOOT HUA AUR AAPKI LEKHNI KA KAYAL BHI..........BAS MAI ISHWER SE PRARTHNA KARTA HUN KI AAP BAS ISI TARAH LIKHTE RAHEN AUR MAI PADHKAR KHUSH HOTA RAHUN.............ASHESH SHUBHKAMNAYEN
ReplyDeleteमेरा शत शत प्रणाम......सचमुच ऐसे भावों के साथ शब्दों को पिरोने वालों का मेरा शत शत प्रणाम!
ReplyDeleteजिस भमि पर ऐसे भावों के साथ राह दिखने वालें हो तो कोई भी दिया नहीं बुझेगा!
ईश्वर हमें ऐसे भावों के साथ जीने की प्रेरणा और संकल्प शक्ति दे.
मैंने पहली बार पढ़ा ...बल्कि पढ़ा नहीं पूरा गीत अंतरात्मा के साथ गया...सचमुच आज तक का सर्वोत्तम आनद प्राप्त हुआ.
SIR JI KYA DESHBHATI KAVITA LIKHI HAI
ReplyDeletePADHKAR OZ RAS KHUN ME DOUDNE LAGAA
aabhaar
meri kavita par aapka maargdarshan chahungaa
( वतन बचाने आ जाओ )
खवाब जो देखे थे पहले उसे सजाने आ जाओ
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ
राम नाम के भेष में अब तो रावण छिप कर बैठा है
बन गयी लंका अब फिर से उसे जलाने आ जाओ
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ
शहीदों की शहादत को यह देश भूल कर बैठा है
रहबर रहजन बन बैठे राह दिखाने आ जाओ
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ
आज़ादी का जो सपना तुमने बचपन में देखा था
एसेम्बली में जो तुमने बहरो के लिए बम फेंका था
इन्कलाब का नारा फिर से याद दिलाने आ जाओ
भगत सुखदेव राजगुरु वतन बचाने आ जाओ