Wednesday, May 30, 2012

बढ़ कदम रुकने न पाये

राह काँटों से भरी हो,
या उमड़ती सी सरी हो,  
जीत की चाहत खरी हो,
                        काल सिर नत हो झुकाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
पंख अपने आजमाता,
नीड़ तिनके चुन बनाता,
एक पंछी यह सिखाता,
                        भाल, साहस कब झुकाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
ढूँढता फिरता कहाँ रे,
हाथ में तेरे सितारे,
जाग खुद जग को जगा रे,
                        आंधियाँ दिल में छुपाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
खींच अंबर को धरा पर,
पाँवों के अपने बराबर,
तू ही चन्दा तू दिवाकर
                        राह जग को जो दिखाये।
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।
लक्ष्य नजरों में बसे जब,
पाँव थकते फिर कहाँ कब,
चाह सब पूरी करे रब,
                        साथ विधना मुस्कुराये। 
                        बढ़ कदम रुकने न पाये।

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34 comments:

  1. बहुत सुंदर...
    बहुत प्रेरणादायी और आत्मविश्वास भरती रचना...

    सादर

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  2. साथ विधना मुस्कुराये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।
    प्रेरणात्‍मक शब्‍दों के साथ उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।

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  3. पंख अपने आजमाता,
    नीड़ तिनके चुन बनाता,
    एक पंछी यह सिखाता,
    भाल, साहस कब झुकाये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।

    वाह बहुत सुन्दर और प्रेरणा देती रचना

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  4. साथ विधना मुस्कुराये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।
    प्रेरणात्‍मक शब्‍दों के साथ उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।
    collactable lines so please mail me ,
    i will be so thankful to you.

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  5. .इशी आशा के साथ तो हम जिन्दगी जी जाते है..... प्रेरक और खुबसूरत रचना....

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  6. आशावादी और प्रेरक रचना, बहुत बधाई.

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  7. लक्ष्य नजरों में बसे जब,
    पाँव थकते फिर कहाँ कब,
    चाह सब पूरी करे रब,
    साथ विधना मुस्कुराये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।

    प्रेरक सुंदर रचना के लिये बधाई ,,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

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  8. सकारात्मक प्रेरणात्मक कविता...
    बहुत ही सुंदर...
    सादर बधाई !!

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  9. बस यूँ ही बढ़ते रहें कदम..

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  10. वाह हबीब जी बहुत शानदार कविता बहुत बहुत बधाई

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  11. पंख अपने आजमाता,
    नीड़ तिनके चुन बनाता,
    एक पंछी यह सिखाता...
    बहुत ही बढ़िया

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  12. शानदार... प्रेरक रचना... आभार

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  13. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष पर" आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  14. दिनकर वाला ओज है इस कविता में।
    कुछ पंक्तियां बरबस याद आ गईं इसकी आशावादिता के स्वर से

    हर मुश्किल का हल निकलेगा,
    आज नहीं तो कल निकलेगा।
    भोर से पहले किसे पता था,
    सूरज से काजल निकलेगा।

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  15. प्रेरणा से भरी ये कविता बहुत सुन्दर लगी।

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  16. पंख अपने आजमाता,
    नीड़ तिनके चुन बनाता,
    एक पंछी यह सिखाता,..

    छोटे छोटे छंदों के माध्यम से प्रेरक शब्द उतारे हैं आपने उस रचना में ... बहुत सुन्दर ...

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  17. लक्ष्य नजरों में बसे जब,
    पाँव थकते फिर कहाँ कब,
    चाह सब पूरी करे रब,
    साथ विधना मुस्कुराये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।
    वाह, कितना विश्वास और जोश भरा है इन पंक्तियों में...बहुत सुंदर !

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  18. लक्ष्य चाहे आसमां हो
    पांव धरती पर जमा हो
    विघ्न आगे सौ खड़ा हो
    हौसला मिटने न पाए
    बढ़ कदम रूकने न पाए....

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  19. प्रेरणादायी सुन्दर सार्थक रचना...
    बेहतरीन:-)

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  20. प्रेरक गीत। पढ़ने का अवसर देने के लिए..शुक्रिया।

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  21. आपकी विस्तार पाती लेखनी ...खुद को निहारती हैं ..उम्दा

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  22. प्रोत्साहन भरा गीत|अच्छा बन पड़ा है !

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  23. प्रेरणादायी सार्थक बेहतरीन रचना...

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  24. भाल, साहस कब झुकाये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।

    चाह सब पूरी करे रब,
    साथ विधना मुस्कुराये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।
    श्रम और साहस का मानवीकरण करती अति उत्कृष्ट रचना स्व को ऊर्जित करती अनुप्राणित करती ....सितारों से आगे जहां और भी हैं ,तेरे सामने इम्तिहान और भी हैं . .कृपया यहाँ भी -

    .


    बृहस्पतिवार, 31 मई 2012
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?

    माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
    साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

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  25. खींच अंबर को धरा पर,
    पाँवों के अपने बराबर,
    तू ही चन्दा तू दिवाकर
    राह जग को जो दिखाये।

    ....बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति...

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  26. सकारात्मक बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,,,,,

    RECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,

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  27. लक्ष्य नजरों में बसे जब,
    पाँव थकते फिर कहाँ कब,
    - ओजपूर्ण प्रेरणादायक कविता के लिये बधाई !

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  28. क्या बात!!!....अति सुन्दर

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  29. ढूँढता फिरता कहाँ रे,
    हाथ में तेरे सितारे,
    जाग खुद जग को जगा रे,
    आंधियाँ दिल में छुपाये।
    बढ़ कदम रुकने न पाये।

    बहुत ही सुंदर प्रेरणा देती हुई रचना के लिये बधाई.

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  30. बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |सुन्दर शब्द चयन और अभिव्यक्ति |
    आशा

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  31. sunder rachna, achha laga padhna

    shubhkamnayen

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  32. आज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  33. umda...prerna milti hai padh kar.....

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  34. sadar badhai .....bilkul lajbab prastuti mishr ji

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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