सभी सम्माननीय मित्रों को सादर नमस्कार। जाने क्यूँ कुछ उदासी सी है... उदासी....!!! अनेकों बार उदासी का कोई कारण नहीं होता... उदासी कभी कभी यूँ भी आ जाती है... ढलती हुई शाम की तरह .... वक़्त के कागज़ पर मिटते हुए किसी नाम की तरह...
"अजीब सा एहसास है, बिना वज़ह, शाम कुछ उदास है, बिना वज़ह।
किसी के अरमानों का लहू फैला है, या सुर्ख यूँ ही आकाश है, बिना वज़ह। "
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दूर क्षितिज में जगमग जगमग रंगबिरंगी माया है।
जाने क्यूँ इस दिल के अन्दर बेचैनी की छाया है।
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साथ सभी हैं, पास सभी और माजी का इक दरिया भी,
यादों की तन्हाँ कश्ती पर तूफानों का साया है।
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आ बैठें संग बात करें ओ मेरे तन्हाँ तन्हाँ मन,
तू ही तो हमराह है हरपल, तूने साथ निभाया है।
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खारों पर चलते चलते ही शाम हौसले की आई,
फूलों के ख्वाब दिखा पांवों के छालों को बहलाया है।
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रूठ ना मुझसे यार ऐसे कि दिल की धड़कन रूठ चले,
तेरी मुस्कानों को दिल ने धड़कन सा अपनाया है।
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कहाँ करार पायेगा दिल यह मेरा, मेरे 'हबीब' बता,
कदम कदम पर दुनिया ने इन नज़रों को भरमाया है।
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badhiyaa
ReplyDeleteshayad kahin kuchh vajah to hai mitra,
ReplyDeletebevajah yun hi akash surkh nahi hota.
sundar abhivyakti...
Abhar..
सुबह की तलाश
ReplyDeleteकिसी के अरमानों का लहू फैला है , या सुर्ख यूँ ही आकाश है ...
ReplyDeleteवाह ....हबीब जी आनंद आ गया इस दर्द को ....
आ बैठें संग बात करें ओ मेरे तन्हाँ तन्हाँ मन
तू ही तो हमराह है हरपल तुने साथ निभाया है
क्या बात है .....
बहुत खूब ....!!
साथ सभी हैं, पास सभी और माजी का इक दरिया भी,
ReplyDeleteयादों की तन्हाँ कश्ती पर तूफानों का साया है।
*
आ बैठें संग बात करें ओ मेरे तन्हाँ तन्हाँ मन,
तू ही तो हमराह है हरपाल, तूने साथ निभाया है।
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
हरपाल की जगह हरपल कर लें ...
उदासी क्यों है ? बेवजह तो कुछ नहीं होता
bhut khubsurat panktiya hai...
ReplyDelete@ रश्मि प्रभा जी ललित भैया, संजीव भाई, हीर जी, संगीता दी, सुषमा जी, हौसला आफजाई का बहुत शुक्रिया.....
ReplyDeleteसंगीता दी, करेक्सन कर दिया है... .
आभार...
waah behtarin panktiyan hai bhaiya............badhai !!
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 12 - 04 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
बेहतरीन!!
ReplyDeletelovely ....
ReplyDeletebahut khoobsurat abhivyakti....ye blog hai na udasi door karne ke liye...fir kya pareshani...
ReplyDeleteआदरणीय हबीब भाई जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
आपसे शत प्रतिशत सहमत हूं … होती है उदासी बहुत बार बिना वजह !
मेरे मन की भी हालत अभी ऐसी ही है … बहुत प्यारे अज़ीज़ चाहने वालों से भी बात नहीं कर पा रहा हूं , डर है … उन्हें भी बिना वजह दुखी न करदूं …
:) होता है …
बहुत ख़ूबसूरत भावों के सथ बहुत प्यारी रचना के लिए आभार ! मन को सुकून मिला है पढ़ कर … सचमुच ! दिली मुबारकबाद और शुक्रिया !
(आपकी मेल आईडी होती तो कभी संवाद हो पाता …)
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बढ़िया है.
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पर आये, आभार.
हबीब साहब बहुत प्यारी गजल कही है आपने। बधाई।
ReplyDelete............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
साथ सभी हैं पास सभी और माजी का एक दरिया भी,
ReplyDeleteयादों की तन्हाँ कश्ती पर तूफानों का साया है !
गहरे अहसास से भरा हुआ शेर !
आभार !
आ बैठें संग बात करें ओ मेरे तन्हाँ तन्हाँ मन,
ReplyDeleteतू ही तो हमराह है हरपल, तूने साथ निभाया है
Waah...