Sunday, February 19, 2012

तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया (ग़ज़ल)

चाँद शरमाता हुआ सा छुप गया |
ले गया दिल और जां ले, उफ़! गया ||

धडकनों में गीत मीठे बज उठे, 
बांसुरी ले आसमां  ही झुक गया ||

वो घटाएं, वो समंदर क्या कहें, 
जुल्फ ओ तर चश्म में दिन बुझ गया ||

आँख से उनकी दो मोती जो गिरे, 
तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||

इक सितारा हूँ फलक में टूटता,
आस्ताना ही सनम का छुट गया ||

कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||

शब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
जिन्दगी का हर खजाना लुट गया ||

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सादर 
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47 comments:

  1. बेहतरीन अभिव्यक्ति..आँसू तीर से चुभते हैं...

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  2. बहुत सुन्दर रचना

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  3. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||

    कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||

    बहुत खूबसूरत गजल ... भीग कर गुल सा उठना ... बहुत खूब

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  4. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||

    बहुत भावपूर्ण रचना...
    सादर

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  5. वाह..वाह..
    कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||

    लाजवाब!!!!

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  6. बेहतरीन अशआर से सजी एक खूबसूरत गज़ल.. हबीब भाई!!

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  7. वाह!!!!!बहुत अच्छी गजल,.. सुंदर रचना

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

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  8. इक सितारा हूँ फलक में टूटता,
    आस्ताना ही सनम का छुट गया ||

    कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||

    वाह हबीब साहब .......आप ने तो एक बहुत ही खूब सूरत गजल परोस दी ....हर शेर उम्दा ...सादर आभार.

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  9. चाँद शरमाता हुआ सा छुप गया |
    ले गया दिल और जां ले, उफ़! गया ||

    उफ्फ.....!!
    इस उफ्फ ने तो कमाल कर दिया .....

    इक इक शेर नगीना है हबीब जी ...
    बहुत खूब ....
    दिली दाद कबूल करें ....

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  10. कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||are waah

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  11. कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
    बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  12. शब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
    जिन्दगी का हर खजाना लुट गया ||
    जानदार ग़ज़ल हर अश आर वजनी ,भर्ती का शैर कोई नहीं .

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  13. जिन्दगी का हर खजाना लुट गया। सही कहा साहब।

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  14. कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||

    शब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
    जिन्दगी का हर खजाना लुट गया |

    बहुत सुंदर भाव ...

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  15. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ।

    हरेक शेर एक कहानी-सी कहता लग रहा है।
    बहुत बढि़या।

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  16. धडकनों में गीत मीठे बज उठे,
    बांसुरी ले आसमां ही झुक गया ||

    ....बहुत खूब! हरेक शेर बहुत उम्दा...

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  17. बहुत बेहतरीन ग़ज़ल !
    आभार!

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  18. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||.... वाह:क्या बात है ? ..बहुत सुन्दर...

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  19. बहुत सुन्दर!
    महाशिवरात्रि पर्व की अनंत शुभकामनाएं
    सादर!

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  20. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ..

    सुभान अल्ला ... गज़ब का शेर है जनाब ... क्या बात है ... बहुत बधाई ...

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  21. har sher mukammal aur bahut khaas...

    आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||

    daad sweekaaren.

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  22. हद हैं महिलाएं। क़ब्र में भी चैन से नहीं रहने देतीं!

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  23. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||
    आह! सच में तीर-सा ही कुछ दिल में चुभ गया।

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  24. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच
    पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

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  25. दिल में चुभ (ठहर) गया बेहतरीन ग़ज़ल |

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  26. bahut sundar shabd hai ek dam dil ko chune wale

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  27. कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
    ......... लाजवाब !

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  28. ठीक थी ग़ज़ल....माफ़ कीजिये कुछ खास नहीं लगी।

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  29. बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना, शुभकामनाएँ।

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  30. बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ

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  31. बहुत हि सुन्दर ,....

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  32. लिखते रहें मगर ज़रा क़ाफ़िया पर भी ध्यान दीजिये.

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  33. आँख से उनकी दो मोती जो गिरे,
    तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया ||

    बहुत सुन्दर अहसास... जवाब नहीं है...

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  34. सुन्दर शब्द रचना |

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  35. शब् सहर ख़्वाबों के दुश्मन हैं 'हबीब',
    जिन्दगी का हर खजाना लुट गया ||
    badhiya panktiya...

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  36. वाह ...बहुत खूब

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  37. धडकनों में गीत मीठे बज उठे,
    बांसुरी ले आसमां ही झुक गया ||

    वाह क्या खूब ।

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  38. बहुत,बेहतरीन गजल ,सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....

    MY NEW POST...आज के नेता...

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  39. कब्र पे मेरी वो आकर रो दिये,
    भीग मैं गुल की शकल ले उठ गया ||
    lajavab bahut khoob puri gazal hi bahut sunder hai
    rachana

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  40. वो घटाएं, वो समंदर क्या कहें,
    जुल्फ ओ तर चश्म में दिन बुझ गया ||

    गज़ल का हर अश'आर सचमुच ही तीर सा अंदर तक चुभ गया.वाह !!!!!!!!

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  41. बेहतरीन !
    होली की अशेष शुभकामनाएँ।

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  42. बहुत खूब !
    ऎ चाँद जमाना बदल रहा है
    कुछ तू भी तो बदल
    अब तो शर्माना छोड़
    निकल बादलों की ओट से
    और खुल के बोल !

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मेरी हौसला-अफजाई करने का बहुत शुक्रिया.... आपकी बेशकीमती रायें मुझे मेरी कमजोरियों से वाकिफ करा, मुझे उनसे दूर ले जाने का जरिया बने, इन्हीं तमन्नाओं के साथ..... आपका हबीब.

"अपनी भाषा, हिंदी भाषा" (हिंदी में लिखें)

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