tag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post5414254779359263306..comments2023-10-19T08:37:00.697-07:00Comments on एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: गजलS.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')http://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-15714709693141032452012-06-24T05:21:58.030-07:002012-06-24T05:21:58.030-07:00मक्ते के तीर ही नहीं, हर शेर खंजर चुभो रहे हैं भाई...मक्ते के तीर ही नहीं, हर शेर खंजर चुभो रहे हैं भाई जी। ..उम्दा गज़ल।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-58601982045046728722012-06-23T05:00:51.502-07:002012-06-23T05:00:51.502-07:00मैं सहर की शाम की हर पीर लिखता हूँ
जिंदगी में हर क...मैं सहर की शाम की हर पीर लिखता हूँ<br />जिंदगी में हर कदम तज्वीर लिखता हूँ<br />.........<br />आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,<br />बिक रही बाजार में जो हीर लिखता हूँ<br />नि:शब्द करती पंक्तियां ... लाजवाब प्रस्तुति ... आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-44638126166138275972012-06-22T21:25:38.742-07:002012-06-22T21:25:38.742-07:00मैंने पूछा इतना उम्दा कैसे लिखते हो
बोले संजय, अपन...मैंने पूछा इतना उम्दा कैसे लिखते हो<br />बोले संजय, अपना सीना चीर लिखता हूँ |अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-65501865786338913342012-06-22T21:21:10.216-07:002012-06-22T21:21:10.216-07:00दूध में इसको भिगा वो रोज खा लेते,
मुल्क अपना हो गय...दूध में इसको भिगा वो रोज खा लेते,<br />मुल्क अपना हो गया अंजीर लिखता हूँ<br /><br />वाह !!!! अद्भुत कल्पनाअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-72454865453582004722012-06-22T07:35:44.833-07:002012-06-22T07:35:44.833-07:00हबीब साहब ग़ज़ल की खूबी है जब भी पढ़ी जाए सर पे सव...हबीब साहब ग़ज़ल की खूबी है जब भी पढ़ी जाए सर पे सवार हो जाए ,ऐसा ही हो रहा है .यकीन मानिए आपकी साहित्यिक टिप्पणियों का वजन भी बहुत ज्यादा होता है .सलामत रहो .<br />आदाब .कृपया यहाँ भी -<br />बृहस्पतिवार, 21 जून 2012<br />सेहत के लिए उपयोगी फ़ूड कोम्बिनेशन<br />सेहत के लिए उपयोगी फ़ूड कोम्बिनेशन <br />http://veerubhai1947.blogspot.in/<br />ram ram bhaivirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-24591108275819598592012-06-22T01:22:58.404-07:002012-06-22T01:22:58.404-07:00बहुत खूब "अपने पैरों में पड़ी जंजीर लिखता हूँ ...बहुत खूब "अपने पैरों में पड़ी जंजीर लिखता हूँ "<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-39978020683350459722012-06-19T02:32:51.921-07:002012-06-19T02:32:51.921-07:00मैं सहर की शाम की हर पीर लिखता हूँ
जिंदगी में हर क...मैं सहर की शाम की हर पीर लिखता हूँ<br />जिंदगी में हर कदम तज्वीर लिखता हूँ <br />.........<br />आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,<br />बिक रही बाजार में जो हीर लिखता हूँ<br /><br />लाजवाब...लाजवाब....लाजवाब.....Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-10986409918719538912012-06-18T08:21:40.269-07:002012-06-18T08:21:40.269-07:00काट कर जड़ जंगलों की बादलों की मैं,
इस धरा की सू...काट कर जड़ जंगलों की बादलों की मैं, <br />इस धरा की सूखती तकदीर लिखता हूँ |२|<br /><br />हसरतों ने राह मेरी रोक ली ऐसे,<br />अपने पैरों में पडी जंजीर लिखता हूँ |३|<br /><br />बहुत उम्दा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-9919959732597086332012-06-16T20:41:14.520-07:002012-06-16T20:41:14.520-07:00आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,
बिक रही बाजार म...आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,<br />बिक रही बाजार में जो हीर लिखता हूँ.<br /><br />यूं तो सारे शेर लाजवाब है परन्तु यह तो आज की सच्चाई हूबहू बयाँ करता है. बधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-5863980132625282102012-06-16T02:15:55.315-07:002012-06-16T02:15:55.315-07:00आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,
बिक रही बाजार म...आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,<br />बिक रही बाजार में जो हीर लिखता हूँ ।<br /><br />हर शेर हक़ीकत को बयां कर रहा है।<br />बेहतरीन ग़ज़ल ।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-12132292557636766162012-06-15T03:14:48.773-07:002012-06-15T03:14:48.773-07:00हसरतों ने राह मेरी रोक ली ऐसे,
अपने पैरों में पडी ...हसरतों ने राह मेरी रोक ली ऐसे,<br />अपने पैरों में पडी जंजीर लिखता हूँ |३|<br /><br />....बहुत सुन्दर ! बेहतरीन गज़ल....Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-17091357198901002942012-06-14T20:20:36.670-07:002012-06-14T20:20:36.670-07:00सच की इस आह से पाठक बच नहीं सकते, बहुत खूब!सच की इस आह से पाठक बच नहीं सकते, बहुत खूब!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-31496324868744256842012-06-14T08:07:41.375-07:002012-06-14T08:07:41.375-07:00lazabab.....lazabab.....mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-48537510318675152482012-06-14T03:58:42.858-07:002012-06-14T03:58:42.858-07:00जी हाँ ,हबीब साहब गाय भी ज्यादा दूध देती है संगीत ...जी हाँ ,हबीब साहब गाय भी ज्यादा दूध देती है संगीत का जादू सर चढ़के बोलता है .पंडित रविशंकर का सितार वादन सुनके फसलें खिल खिला उठती हैं .'बैजू बावरा' फिल्म में संगीत का यह जादू दिखलाया गया है .'शबाब' में भी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-50980631362115689892012-06-14T02:11:56.773-07:002012-06-14T02:11:56.773-07:00काट कर जड़ जंगलों की बादलों की मैं,
इस धरा की सू...काट कर जड़ जंगलों की बादलों की मैं, <br />इस धरा की सूखती तकदीर लिखता हूँ ...<br /><br />जबरदस्त ... आज के हालात पे चुटकी ली है इस शेर में संजय जी ...<br />बहुत ही लाजवाब गज़ल बन पड़ी है पूरी ... बधाई हो ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-2864880482374902442012-06-13T23:43:00.056-07:002012-06-13T23:43:00.056-07:00आपकी ग़ज़ल ने हिंदी गज़लों के सबसे बड़े शायर"...आपकी ग़ज़ल ने हिंदी गज़लों के सबसे बड़े शायर"दुष्यंत कुमार " की याद दिला दीApurv Sisodiahttps://www.blogger.com/profile/15601030878956939405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-50492802330252614742012-06-13T11:17:40.677-07:002012-06-13T11:17:40.677-07:00बेच कर ईमान रब से चैन मांगूंगा,
सर उठा कर बेशरम तह...बेच कर ईमान रब से चैन मांगूंगा,<br />सर उठा कर बेशरम तहरीर लिखता हूँ |<br />आज हर तरफ़ यह तहरीर लिखा मिलता है। और एक और लाजवान शे’र है --<br />आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,<br />बिक रही बाजार में जो हीर लिखता हूँ |<br />ख़रीद-फ़रोख़्त के इस बाज़ार में इश्क़ मे मोल-तोल से जी ऊब-सा गया है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-58278034359949995452012-06-13T10:46:11.163-07:002012-06-13T10:46:11.163-07:00हर शेर एक से बढ़ कर एक...हर शेर एक से बढ़ कर एक...kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-77263671564044174842012-06-13T01:26:22.843-07:002012-06-13T01:26:22.843-07:00बहुत खुबसूरत ग़ज़ल।बहुत खुबसूरत ग़ज़ल।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-13027823621655899842012-06-12T17:19:25.498-07:002012-06-12T17:19:25.498-07:00आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,
बिक रही बाजार म...आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,<br />बिक रही बाजार में जो हीर लिखता हूँ |५|<br /><br /><br />kya bat hai habib ji ....<br />bahut khoob ....!!<br /><br />vyastta ke karan jra net se dur hun aajkal .....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-88643179464292468722012-06-12T12:25:57.394-07:002012-06-12T12:25:57.394-07:00दूध में इसको भिगा वो रोज खा लेते,
मुल्क अपना हो गय...दूध में इसको भिगा वो रोज खा लेते,<br />मुल्क अपना हो गया अंजीर लिखता हूँ |६|<br /><br />बड़ी तीखी गजल .... बहुत सुंदर ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-90395823326118186062012-06-12T10:19:13.097-07:002012-06-12T10:19:13.097-07:00काट कर जड़ जंगलों की बादलों की मैं,
इस धरा की सू...काट कर जड़ जंगलों की बादलों की मैं, <br />इस धरा की सूखती तकदीर लिखता हूँ<br /><br />हर शे'र के लिए वाह... वाह... वाह !!!<br />सादरऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-22864507977613598042012-06-12T04:44:23.121-07:002012-06-12T04:44:23.121-07:00कमाल..कमाल ...बेमिसाल...कमाल..कमाल ...बेमिसाल...Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-6378885153022643292012-06-12T01:21:09.037-07:002012-06-12T01:21:09.037-07:00है आज क्यूं टूटा हुआ,जो हबीब है सबका
क्या हुआ,कैसे...है आज क्यूं टूटा हुआ,जो हबीब है सबका<br />क्या हुआ,कैसे हुआ,मैं आज लिखता हूं!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-38115984006516743952012-06-11T22:15:01.452-07:002012-06-11T22:15:01.452-07:00आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,
बिक रही बाजार म...आज रांझे भूल बैठे इश्क शय क्या है,<br />बिक रही बाजार में जो हीर लिखता हूँ .... बहुत बढ़ियारश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com