tag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post5996626455160984702..comments2023-10-19T08:37:00.697-07:00Comments on एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')http://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-53119150933840794152010-11-15T07:12:43.370-08:002010-11-15T07:12:43.370-08:00प्रणाम,
आपकी रचना को पढ़ते वक़्त उस बालक की कल्पना ...प्रणाम,<br />आपकी रचना को पढ़ते वक़्त उस बालक की कल्पना करती हुई तस्वीर नजर के सामने आने लगती है और साथ में हजारों सवाल मन में उठते है पर लाख सोचने पर भी न जाने क्यों कोई सार्थक "समाधान" नजर नहीं आता...<br />आपकी इस रचना पर टिपण्णी करने की गुस्ताखी मै नहीं कर सकता अतः केवल सार्थक लेखन की अनवरतता के लिए शुभकामनायें स्वीकार करें |<br />"भारतीय"गौरव शर्मा "भारतीय"https://www.blogger.com/profile/08677836318252485179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-21062364699977596832010-11-14T21:49:54.637-08:002010-11-14T21:49:54.637-08:00क्या देखा है तुम ने नर को नर के आगे हाथ फैलाये
क्...क्या देखा है तुम ने नर को नर के आगे हाथ फैलाये <br />क्या देखे है तुम ने उनकी आँखों में खारे फौवारे <br />देखे है फिर भी कहते हैं हम नहीं हो विप्लविकारी <br />तब तो हम सब हिजड़े है या हैं महा भयंकर अत्याचारी <br />बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना जो हमारे देश की इस समस्या पर कुठाराघात कर रही है लकिन इस समस्या का निदान क्या है ????<br />अगवानी हर परिवर्तन की भेट चड़ी बदनामी की <br />हमने जय प्रकाश के आंसू की भी तो नीलामी की <br />परिवर्तन की पतवारो से केवल एक निवदेन था <br />भूखी मानवता को रोटी देने का आवेदन था <br /><br />अब भी रोज कहर के बादल फटते है झोपड़ियों पर <br />कोई संसद बहस नहीं करती भूखी अंतड़ियों पर <br />अब भी महलों के पहरे है पगडण्डी की सांसो पर <br />शोक सभाएं कहाँ हुई है मजदूरो की लाशो पर <br /><br />निर्धनता का खेल देखिये कला हांड़ी में जा कर <br />बेच रही है माँ बेटी को भूख प्यास से अकुला कर <br />यहाँ बचपना और जवानी गम से रोज बुढ़ाती है <br />माँ बेटों की लाशो पर आंचल का कफ़न उढ़ाती है <br /><br />हर चौराहे से आती है आवाजे संत्रासो की <br />पूरा देश नज़र आता है मंडी ताजा लाशो की <br />सिंघासान को चला रहे है नैतिकता के नारों से <br />मदिरा की बदबू आती है संसद की दीवारों से <br /><br />हम वो कलम नहीं है जो बिक जाती है दरबारों में <br />हम शब्दों की दीप शिखा है अंधियारे चौबारे में <br />हम वाणी के राज दूत है सच पर मरने वालें है <br />डाकू को डाकू कहने की हिम्मत करने वाले हैं <br /><br />जब तक बंद तिजोरी में मेहनतकस की आज़ादी है <br />तब तक हम सिंघ्हासान को अपराधी बतलायेंगे <br />बागी है हम इंक़लाब के गीत सुनाते जायेगें <br />हर हर महादेवगोपालhttps://www.blogger.com/profile/18228944147060361542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-54021373283735286502010-11-13T06:55:28.901-08:002010-11-13T06:55:28.901-08:00... bhaavpoorn rachanaa ... behatreen abhivyakti !...... bhaavpoorn rachanaa ... behatreen abhivyakti !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-20637559417261543992010-11-13T06:00:11.481-08:002010-11-13T06:00:11.481-08:00रचना भाव बेहद उम्दा हैं ... आभाररचना भाव बेहद उम्दा हैं ... आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-80159312534073800342010-11-13T05:59:54.671-08:002010-11-13T05:59:54.671-08:00सामाजिक व्यवस्था पर प्रहार करती बढ़िया रचना ... रच...सामाजिक व्यवस्था पर प्रहार करती बढ़िया रचना ... रचना भाव बेहद उम्दा हैं ... आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-5454419032256340382010-11-13T04:49:34.317-08:002010-11-13T04:49:34.317-08:00हबीब साब,
आदाब!
चोट करने में सक्षम है आपकी कविता.....हबीब साब,<br />आदाब!<br />चोट करने में सक्षम है आपकी कविता....<br />लेकिन जो बात ज़्यादा अहम है वो ये के क्या इस समस्या का कोई हल है?<br />अनुभव आपका पढ़ रहा था और विज़ुअलाईज़ खुद को कर रहा था, लुधिआना रेलवे स्टेशन पर.<br />आशीष<br />---<br />पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-49349447897604477812010-11-13T03:29:45.372-08:002010-11-13T03:29:45.372-08:00किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं क...किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com